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विश्व की सबसे बड़ी समस्या आज बढ़ते वायू प्रदूषण और ग्लोबल वार्मिंग है !

विश्व के सबसे अधिक प्रदूषित शहरों में टॉप फिफ्टीन शहर भारत के हैं !

अनिल कुमार मिश्र :-विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर “विश्व की सबसे बड़ी समस्या” बढ़ते वायू प्रदूषण और ग्लोबल वार्मिंग पर राजकुमार सिंह सनातनी नें गहरी चिंता ब्यक्त की है और मीड़िया के माध्यम से भारत सरकार व देश के नागरिकों का ध्यान आकृष्ट कराते हुए कहा कि बढ़ते ताप से जनजीवन त्रस्त है प्रदूषण का सबसे ज्यादा भारत देश का शहरी क्षेत्र प्रभावित है फिर भी भारत सरकार हर साल लगभग 24 लाख पेंड़ काट देती है !मुम्बई का जंगल काट दिया गया है मध्यप्रदेश के छतरपुर जिला स्थित बक्स्वाहा जंगल को काटा जाना है जहां ढाई लाख पेंड हैं। भारत सरकार व देश के नागरिक समय रहते सजग नहीं हुए तो पर्यावरण के मामले में भारत देश का हलात बद से बदत्तर होगा। सरकार को जंगल में पेड़ों की कटाई को बंद करना चाहिए और हरे पेड़ो की कटाई रोकने हेतू भारत में बने कानून को शख्ती से अनुपालन कराने हेतू
प्रशासन को जबाबदेह बनाना होगा तभी ग्रामीण क्षेत्रों में हरे पेड़ो की कटाई पर रोक लगेंगे।

बढ़ते वायू प्रदूषण और ग्लोबल वार्मिंग की हकियत पर राजकुमार सिंह सनातनी का केवल सच को प्रस्तुत लेख,

१. विकास के नाम पर भारत सरकार हर साल लगभग 24 लाख पेंड़ काट देती है ! मुम्बई का जंगल काट दिया गया तो मध्यप्रदेश के छतरपुर जिला स्थित बक्स्वाहा जंगल को काटा जाना है जहां ढाई लाख पेंड हैं।
२. पूरा देश मिलकर अपने सोफा पलंग घर के दरवाजों खिड़कियों आदि के उपयोग के लिये लगभग 14 करोड़ पेंड़ काट देता है !
३. पूरा विश्व मिलकर लगभग 1500 करोड़ पेड़ों को काट देता है।
४. आज विश्व की सबसे बड़ी समस्या वायू प्रदूषण और ग्लोबल वार्मिंग है !
५. विश्व के सबसे अधिक प्रदूषित शहरों में टॉप फिफ्टीन शहर भारत के हैं !
६. ग्लोबल वार्मिंग के कारण विश्व का तापमान जिस तरह से बढ़ रहा है अगले 20 सालों में ग्रीनलैंड का सारा वर्फ़ पिघल जाएगा।
७. अंटार्टिका का बर्फ भी पिघलने लगा है। केवल ग्रीनलैंड का बर्फ पिघलने पर विश्व के 15 देश जलमग्न हो जाएंगे !
८. कोरोना हो, अन्य महामारी हो, भूकंप हो या अन्य विभीषिका सबका मूल में कारण पेड़ों का कटना है।
९. पिछले साल और इस साल हुए टिड्डियों का प्रकोप का कारण भी पेड़ों की घटती संख्या ही है !
१०. टिड्डियों के कारण 1960 से 64 तक चीन में दुर्भिक्ष अकाल पड़ा था जिससे वहां 4 करोड़ लोग भूख से मर गए थे ! टिड्डियों का बढ़ने का कारण 1958 में मावो द्वारा दिया गया एक आदेश जिसके बाद सारे गौरैय्या चिड़ियाँ को मार दिया गया था।
११. एक पीपल का बयस्क पेंड एक साल में जितना ऑक्सीजन देता है उतना ऑक्सीजन यदि बाजार से खरीदा जाय तो उसके लिये हमें 27 लाख रु देना होगा।१२. एक बरगद का बयस्क पेंड़ एक साल में जितना ऑक्सीजन देता है उतना ऑक्सीजन बाजार से खरीदा जाय तो उसके लिये हमें 18 लाख रुपये देने होंगे।
१३. गिरता भूजल स्तर का प्रमुख कारण भी पेड़ों का कटना है !
१४. आप भी आज विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर राष्ट्र को समर्पित कर एक बरगद या पीपल वृक्ष जरूर लगाएं।
एक सनातन सत्य यह भी, ” ईश्वर और प्रकृति जितना लेते हैं उतना देते हैं। ये न तो कम देते हैं और न उधार रखते हैं।

जीव -जन्तू व वन प्राणियों पर सनातनी कि चिंतन मानव संवेदना को झकझोर देता है समय रहते मानव अगर पर्यावरण के संरक्षण नहीं करता है तथा पेड़ों की कटाई प्रारंभ रहता है तो आने वाले समय मनुष्य के लिए दुखद ही दुखद होंगे और ऑक्सीजन के बिना लोग खुद खुद दम घुट घुट कर मरेगें और ग्लोबल वार्मिंग के कारण विश्व का बढ़ते तापमान से बर्फ पिघल कर धरती को जलमग्न कर देगा। ऐसी परिस्थितियों में पर्यावरण का संरक्षण हेतू हर ब्यक्ति द्वारा कम से कम एक पेड़ को लगाना और पेड़ो की कटाई पर रोक लगाना हर मानव का कर्तव्य बनता है।
आये हम विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर संक्लप लें कि हरे पेड़ो की कटाई हम नहीं होने देंगे और एक पेड़ अपने हाँथो से हम अवश्य लगायेगे।

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