*बिहार को मिला दो नए रामसर साइट का तोहफा*
– बिहार में रामसर साइट की संख्या हुई पांच
– 93 रामसर स्थलों के साथ एशिया में भारत नंबर वन
त्रिलोकी नाथ प्रसाद/बिहार ने आर्द्रभूमि संरक्षण की दिशा में एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। राज्य के बक्सर जिले का गोकुल जलाशय (448 हेक्टेयर) और पश्चिम चंपारण जिले की उदयपुर झील (319 हेक्टेयर) को अंतरराष्ट्रीय महत्व की आर्द्रभूमि (रामसर स्थल) का दर्जा मिला है।
इन दोनों स्थलों के जुड़ने के साथ ही भारत में कुल रामसर स्थलों की संख्या बढ़कर 93 हो गई है, जो लगभग 13,60,719 हेक्टेयर क्षेत्रफल में फैले हुए हैं। यह उपलब्धि भारत की जैव विविधता संरक्षण, जलवायु संतुलन और सतत आजीविका को प्रोत्साहित करने की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। वर्तमान में भारत एशिया में पहले और विश्व में तीसरे स्थान पर है, जहां सबसे अधिक रामसर स्थल मौजूद हैं।
*गोकुल जलाशय : गंगा का वरदान*
गंगा की बाढ़ की लहरें इस आर्द्रभूमि को प्रभावित करती हैं। गर्मियों में यहां दलदली और कृषि क्षेत्र उजागर हो जाते हैं, जबकि मानसून के बाद जलभराव बढ़ जाता है। बाढ़ के समय यह झील आसपास के गांवों के लिए प्राकृतिक बफर का कार्य करती है और ग्रामीणों को आपदा से सुरक्षा प्रदान करती है।
इस झील और आसपास के क्षेत्रों में 50 से अधिक पक्षी प्रजातियां पाई जाती हैं। खासतौर पर प्री-मानसून सीजन में दलदली भूमि और झाड़ियां पक्षियों के लिए भोजन और प्रजनन का बेहतर आवास बन जाती हैं। स्थानीय लोग मछली पकड़ने, खेती और सिंचाई के लिए इस जलाशय पर निर्भर हैं। हर वर्ष एक पारंपरिक पर्व के दौरान ग्रामीण सामूहिक रूप से जलाशय की सफाई और खरपतवार हटाने का कार्य करते हैं, जिससे यह क्षेत्र स्वच्छ और सुरक्षित बना रहता है।
*उदयपुर झील : जैव विविधता का खजाना*
उदयपुर झील (रामसर सूची में स्थल संख्या 2577) भी एक ऑक्सबो झील है, जो उत्तर और पश्चिम दिशा से उदयपुर वन्यजीव अभयारण्य के घने जंगलों से घिरी हुई है। यह झील एक गांव को चारों ओर से घेरे हुए है। यहां 280 से अधिक वनस्पति प्रजातियां पाई जाती हैं।
यह झील लगभग 35 प्रवासी पक्षी प्रजातियों के लिए शीतकालीन ठिकाना है। इनमें असुरक्षित श्रेणी की मानी जाने वाली कॉमन पोचार्ड भी शामिल है।