किशनगंज में जीविका के प्रयासों से ग्रामीण और शहरी महिलाएं बन रही आत्मनिर्भर, हजारों नए परिवारों को मिला समूह से जुड़ाव

किशनगंज,05जुलाई(के.स.)। धर्मेन्द्र सिंह, जिले में गरीब ग्रामीण और शहरी परिवारों को आर्थिक रूप से सशक्त करने के लिए जीविका द्वारा तेज़ी से समूह निर्माण और जोड़ने की प्रक्रिया चलाई जा रही है। स्वयं सहायता समूह (SHG) के माध्यम से महिलाओं को स्वरोजगार, बचत, ऋण और प्रशिक्षण की सुविधा दी जा रही है ताकि वे आत्मनिर्भर बन सकें और अपने परिवार की आय में वृद्धि कर सकें।
घर-घर सर्वेक्षण कर जोड़े जा रहे छूटे हुए परिवार
जीविका किशनगंज के प्रभारी जिला परियोजना प्रबंधक सुफल कुमार झा ने बताया कि जिले के सातों प्रखंडों में सामुदायिक संसाधन सेवी एवं उत्प्रेरक जीविका दीदियां घर-घर जाकर छूटे हुए परिवारों का सर्वेक्षण कर उन्हें समूह से जोड़ने का कार्य कर रही हैं।
परिवार से केवल एक महिला सदस्य को समूह से जोड़ा जाता है, जिसकी आयु 18 से 60 वर्ष के बीच होनी चाहिए। आधार कार्ड और राशन कार्ड के माध्यम से पहचान और स्थायी निवास की पुष्टि कर सदस्यता दी जाती है।
ग्रामीण और शहरी क्षेत्र में तेजी से हो रहा विस्तार
अब तक ग्रामीण क्षेत्र में
- 505 नए स्वयं सहायता समूह बनाए गए हैं
- जिनसे 5,000 से अधिक छूटे हुए परिवार जोड़े जा चुके हैं
वहीं शहरी क्षेत्र में
- 46 समूह बनाए गए
- जिससे 400 से अधिक परिवार जुड़ चुके हैं।
वृहद स्तर पर समूह निर्माण
कुल मिलाकर किशनगंज जिले में अब तक—
- ग्रामीण क्षेत्रों में 20,037 स्वयं सहायता समूह बनाए जा चुके हैं
- 2.3 लाख से अधिक परिवार इन समूहों से जुड़े हुए हैं
- शहरी क्षेत्रों में 1,029 समूह गठित हैं
- जिनसे 11,000 से अधिक परिवारों का जुड़ाव हुआ है।
स्वरोजगार, ऋण और प्रशिक्षण से सशक्त हो रही हैं महिलाएं
स्वयं सहायता समूहों से जुड़ने के बाद महिलाएं—
- कम ब्याज दर पर ऋण लेकर स्वरोजगार शुरू कर रही हैं
- बैंक लिंकेज के ज़रिए ऋण प्राप्त कर रही हैं
- कृषि, पशुपालन, बुनाई, सिलाई आदि क्षेत्रों में प्रशिक्षण लेकर आत्मनिर्भर बन रही हैं
- साप्ताहिक बैठक, बचत, लेखांकन और समय पर ऋण चुकौती जैसी गतिविधियों से नेतृत्व क्षमता और पारदर्शिता भी विकसित कर रही हैं।
जीविका दीदियों के क्षमतावर्धन से बदल रही तस्वीर
समूह की महिलाएं अब केवल सहभागी नहीं, बल्कि अगुवा बनकर अपने परिवार और समुदाय को बदल रही हैं। जीविका द्वारा आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से वे आत्मनिर्भरता, वित्तीय अनुशासन और उद्यमिता की दिशा में अग्रसर हो रही हैं।