राज्य

-: शालिग्राम शिला :-:

पटना डेस्क:-पत्थरों में भी जीवन होता हैं और अन्य जीवों की तरह वह

भी स्त्रीलिंग, पुल्लिंग, नपुसकलिंग होते हैं तथा वर्ण

व्यवस्था भी होती हैं। पत्थरों की नाड़ी की जांच करके

उनके लिंग का पता लगाया जाता हैं एवं स्त्रीलिंग पत्थर

से देवी की और पुल्लिंग पत्थर से देवता की मूर्ति बनाई

जाती हैं। यह सारा कार्य विद्वान ब्राह्मणों व पीढ़ी दर पीढ़ी

वाले मूर्तिकारों से ही करवाया जाता हैं। पत्थरों में भी

जान होती हैं, इस बात का शालिग्राम शिला सबसे बड़ा

प्रमाण हैं और मूर्ति बनाने व पत्थरों को जांचने की यह

विद्या हज़ारों वर्ष पुरानी हैं। वर्तमान में भी भारतीय

वैज्ञानिक जगदीश चंद्र बासु ने, पत्थरों में जीवन को

प्रमाणित किया था, इसलिए उनकी हत्या कर दी

गई, क्योंकि पश्चिम आधुनिक विज्ञान, इस बात को नहीं

मानता। आज के यह अधूरे आधुनिक वैज्ञानिक व

आधुनिक शिक्षित, इसी पश्चिम के बहकावे में

आकर, ब्राह्मणों को पाखंडी कहते हैं व सनातनी ग्रंथ

जलाते हैं। भविष्य में लोग, सनातनी ग्रंथो का अपमान

करने वाले इन लोगों को, रावण स्वरूप ही मानेंगे।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button