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एक बार फिर बिहार में गुंडाराज

बिहार में अपराध एवं अपराधियों का वर्चस्व फिर से सिर चढ़कर बोलने लगा है। महाजंगलराज के शासन को उखाड़ फेकने वाली बिहार की जनता को फिर से डर लगने लगा है और खूनी तांडव का भयंकर रूप विभत्स बनता जा रहा है। कानून का राज पर गुण्डाें का राज स्थापित कराने में सरकार की राजनीति भी कहीं न कहीं जिम्मेवार है और पुलिस भी अपराधियों के साथ साँठ-गाँठ करके माहौल बिगाड़ने की पूरी कोशिश कर रहे हैं।आखिर क्यों बहने लगी है खून की नदियां ? आखिर कौन कर रहा है अपहरण का राजनीति ? आखिर क्यों होने लगी सरेआम हत्याएं ? आखिर कौन लूट रहा है बैंक ? आखिर क्यों असुरक्षित होने लगी आवाम ? आखिर क्यों नहीं सुरक्षित हो रही है बालिकाएं ? आखिर बलात्कार पर कब लगेगा अंकुश ? आखिर क्यों होने लगी बाहुबलियों की पूछ ? आखिर किसके दम पर कूदने लगे गुण्डे ? क्यों धीमी पड़ गयी स्पीडी ट्रॉयल ? आखिर शराब बंद होने के बाद भी क्यों नशे में है बिहार ? आखिर क्यों रक्त-रंजित हो रहा है बिहार ? अपराधियों के वर्चस्व कायम क्यों ? क्या कमजोर हैं नीतीश कुमार ? बिहार में समाप्त हो गया है सुशासन ? सूबे का सभी जिला डर के साये में जीने को मजबूर है और राजनीतिक अस्थिरता के कारण अपराधिक तत्व का मनोबल सातवें आसमान पर है।बिहार में फिर से कायम हो रहा गुण्डाराज पर पड़ताल करती संयुक्त संपादक अमित कुमार की विशेष रिपोर्टः

बिहार में शराब बंद ? बालू बंद ? दहेज बंद ? रोजगार बंद ? कल-कारखाने बंद ? उद्योग बंद ? सरकारी योजना बंद ? भ्रष्टाचार एवं भ्रष्टाचारियों पर नकेल बंद ? अपराधियों का तांडव बंद ? और भी कई ऐसी चीजे हैं, जो है बंद ? यह बात विपक्ष नहीं, ना ही आम जनता बल्कि नीतीश की सरकार एवं स्वयं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार यह बाते गला फाड़-फाड़कर कहते हैं।अपनी बात को इतने जोरदार तरीके से मंच पर से बोला करते हैं, जैसे पीएम नरेन्द्र मोदी।जिससे यह एहसास हो सके कि बिहार में लालू का जंगलराज नहीं, नीतीश का मंगल राज है।खुद को हरिशचंद बताने वाले नीतीश कुमार, अपराधियों पर स्पीडी ट्रायल चलाने वाले नीतीश कुमार, भ्रष्टाचारियों को सलाखों के भीतर डालने वाले नीतीश कुमार, अपराधियों के बढ़ते तांडव के सामने घुटना टेकते दिखाई पड़ते हैं।बिहार में बढ़ते अपराध, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सुशासन सरकार पर करारा तमाचा है।यह बात बिहार सरकार के पुलिस विभाग के आंकड़ें चीख-चीखकर बता रहे हैं।

दैनिक अखबार के पन्नों में पटी भरी बिहार के अपराध की दास्तां


सनद् रहे कि एक दशक पूर्व बिहार में अपराधियों का तांडव इस प्रकार कायम था कि इस बिहार जैसे उन्नत प्रदेश में सूबे के ही उद्योगपति, प्रतिष्ठित व्यवसायी, कर्मठ एवं दिलेर पदाधिकारी सरकार के राजनीतिक गुण्डागर्दी के कारण बिहार से पलायन को मजबूर थे। दिल दहल जाता है, जब गोलू और किसलय जैसे मासूम बच्चों का अपहरण की बाते याद आती है और मन में सिहरन होने लगता है। रात में चलना तो दूर शाम छः बजे के बाद कई प्रमुख शहरों में बढ़ते गुण्डागर्दी के कारण आवागमन बंद हो जाता था और आवश्यकता पड़ने पर कही भी जाने पर रूह कांप उठती थी।शहाबुद्दीन, भंगर यादव जैसे कुख्यात, दुर्दांत, हवसी अपने गुण्डागर्दी के दम पर लालू-राबड़ी सरकार को झूकने पर मजबूर कर दिया था।यही प्रमुख वजह था की माननीय न्यायालय भी लालू-राबड़ी सरकार को महाजंगल राज की संज्ञा देती थी।दिन-दहाड़े किसी को उठा लेना, अपहरण कर लेना, किसी के घर में डाका डाल देना, खुलेआम हत्या कर देना, बीच सड़क में बलात्कार की घटना से बिहार की जनता त्रहीमाम्-त्रहीमाम् करती थी।सूबे की जनता ने जंगल राज एवं अपराधियों को संरक्षण देने वाली सरकार को बड़ी उम्मीद से फरवरी 2005 में उखाड़ फेका था।लेकिन, सीटों की गणना एवं अपराधियों की मानसिकता व राजनीतिक दबाब की वजह से किसी की भी सरकार नहीं बन सकी थी, नतीजतन सूबे में राष्ट्रपति शासन लागू हो गया।इस शासन व्यवस्था में अपराधियों पर नकेल कसने की कोशिश तो जरूर की गई किन्तु भ्रष्टाचारी शाषण का आरोप इस शासन व्यवस्था पर लगा।वही नवम्बर 2005 में भ्रष्ट पदाधिकारी, भ्रष्ट राजनेता, खूनी खेल को अंजाम देने वाले अपराधी एवं विभिन्न क्षेत्र के माफिया को चारो खाने चीत होते देखा गया।यहां एक बात कहना आवश्यक है कि लालू-राबड़ी के जंगलराज में, अपराधियों के खात्मे के लिए एसटीएफ का गठन किया था, तथा सैकड़ों खूंखार, दुर्दांत और जालिम अपराधियों को पुलिस ने एनकाउंटर में मार गिराया था।गत् 2005 के नवम्बर में नीतीश कुमार बिहार के मुख्यमंत्री बने और सबसे पहला काम सूबे में कानून का राज स्थापित करने का बीड़ा उठाया।स्पीडी ट्रायल के हनक ने पुलिस पदाधिकारियों के गिरते मनोबल को उठा दिया।कारण था, नीतीश कुमार ने यह स्पष्ट कर दिया था कि अपराधियों के साथ पुलिस अपराधियों जैसा व्यवहार करे और कानून का राज स्थापित करने के लिए पुलिस को जिस हद तक जाना पड़े, अपराधियों पर नकेल कसे।हमारी सरकार अपराधियों को राजनीतिक संरक्षण नहीं देगी।यह सरकार जदयू$भाजपा गठबंधन की थी और दोनो दलों ने जनता को यह विश्वास दिलाया था की बिहार में गुण्डाराज का खात्मा होगा और भ्रष्टाचारी किसी भी सूरत में नहीं बचेंगे।बिहार की जनता को निश्चित तौर पर अपने फैसले पर गर्व हुआ और 2005 से 2010 के बीच चली गठबंधन की सरकार ने निःसंदेह कुछ घटनाओं को छोड़ दिया जाए तो अपराधियों पर नकेल स्पीडी ट्रायल से कसा जाने लगा। वही भ्रष्टाचारी निगरानी के हत्थे धरा-धर चढ़ने लगे थे।साथ ही अपराध एवं गुण्डागर्दी को बढ़ावा देने वाले सुशासन की सरकार में माननीय भी बनने लगे ! गौरतलब हो कि उस जमाने में बहुचर्चित, जिनके नाम सुनते ही आम आवाम की पैन्ट गिली हो जाती थी और पुलिस पदाधिकारी भी उन पर कार्यवाई करने में थर्र-थर्र मूतते थे एवं सरकार चलाने वाले नेता भी सबकुछ जानते हुए मौत के डर की वजह से सिर्फ सरकार चलाने में ही अपनी भलाई समझते थे।ऐसे कई नामचीन चेहरे जो आज माननीय का दर्जा रखते हैं, उनके एक फोन से जनता, पुलिस और सरकार की नींद हराम हो जाती थी और वह ताल ठोककर लोकप्रिय गुण्डागर्दी का काम करते थे।इनकी गुण्डागर्दी इतनी हावी थी कि गुण्डागर्दी करने के बाद भी ये लोकप्रिय थे।एक साहेब कहलाता था तो दूसरा भइया।आजाद भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ० राजेन्द्र प्रसाद बिहार का नाम रौशन किया था और उनकी विद्वता की चर्चा विश्व के कोने-कोने में होती थी।वही उनके गृह जिले के खूंखार, दुर्दांत और राजनीतिज्ञ से साहेब बने शहाबुद्दीन की भी चर्चा विश्व में होती है, गुण्डागर्दी के लिए।ऐसी चर्चा भी आम थी की साहेब का संबंध आतंकवादी संगठनों से भी था।सर्वविदित है कि गुण्डागर्दी के क्षेत्र में लोकप्रियता हासिल करने वाले अनंत सिंह, पप्पू यादव, मुन्ना शुक्ला, रितलाल यादव, कुंदन यादव, बिंदु सिंह, भूटन शुक्ला, अखिलेश सिंह, अशोक महतो, बिंदी यादव, सुरेन्द्र यादव, साधु यादव, सुभाष यादव, सुनील पाण्डेय, हुलास पाण्डेय, राजन तिवारी, ददन पहलवान, धूमल सिंह, दिलीप सिंह, बुलो मंडल, चुन्नू शर्मा, मनोज कुमार अकेला, आनंद मोहन, नीरज कुमार बब्लू, सूरजभान सिंह, कन्हैया सिंह, राजवल्लभ यादव सहित कई लोकप्रिय दबंग बाहुबलियों में से कई लोग आज बरी भी हो गए और कुछ तो कई जघन्य अपराधों से भी मुक्त कर दिया गया।राजनीतिक संरक्षण प्राप्त गुण्डों को पत्रकारों ने दबंग का भी नाम दिया।वही प्रत्येक दिन के अखबारों का प्रथम पृष्ठ, पत्रिका का कवर और टेलीविजन चैनलों की हेडलाइन पर गुण्डों का साम्राज्य कायम था। इन तमाम लोगाें पर 2005 से 2010 के बीच नीतीश सरकार के कानून से डर लगने लगा था और बिहार की जनता भी राहत महसूस करने लगी थी।शाम तो दूर, रात में भी चहलकदमी करते नहीं थकती थी।जिसका नतीजा 2010 के बिहार विधान सभा चुनाव में स्पष्ट जनादेश देखने को मिला।2005 से 2010 तक चली सरकार ने बिहार में गली-नली से लेकर विभिन्न क्षेत्र में विकास का कार्य किया। नीतीश कुमार ने लफुआ एवं गुण्डों को अपनी मांद में रहने के लिए पुलिस को खुली छूट देने के साथ-साथ दबंगों को ठेकेदार बना दिया। हफ्ता वसूली करने वाले गांव-गली के विकास कार्य में लग गए। नीतीश कुमार अपनी सरकार का नाम सुशासन कहलवाने लगे। स्थति ऐसी बन गई की नीतीश कुमार का उपनाम सुशासन बाबू पड़ गया।एक तरफ नीतीश कुमार की बढ़ती लोकप्रियता, उन्हें धीरे-धीरे अहंकारी बनाने लगा और अहंकार इतना परवान चढ़ा कि 17 वर्ष पुराना गठजोड़ बस इसलिए टूट गया की नीतीश कुमार और नरेन्द्र मोदी का फोटो एक साथ लगाया गया था।इस फोटो से नीतीश कुमार को अपना कद छोटा लग रहा था, क्योंकि श्री कुमार को यह लगता था कि भाजपा की 91 सीटें उनकी लोकप्रियता के कारण मिली है और यह अहंकार ने गठबंधन तोड़ लिया।हालात ऐसे हुए की 2013 में जदयू और भाजपा अलग होने के बाद सरकार जब गिरने की स्थिति आयी तो लालू यादव की राजद और कांग्रेस के समर्थन से बच तो गई, लेकिन सुशासन बाबू पर कुशासन, भ्रष्ट शासन, महाजंगल राज का आरोप भाजपा लगाने लगी तथा अपराधियों एवं खूंखार गुण्डों का तांडव फिर सर चढ़कर बोलने लगा।रणवीर सेना के प्रमुख ब्रह्मेश्वर मुखिया की हत्या हो या विशेश्वर ओझा की हत्या हो या फिर लोजपा के वृजनाथी सिंह की हत्या हो या मुजफ्फरपुर के नवरूना का मामला हो या फिर राजवल्लभ, बिन्दी यादव का।एक बार फिर बिहार अपने पुराने अतीत में लौटने लगा।2014 के लोकसभा चुनाव में नीतीश कुमार का अहंकार चकनाचूर हो गया और नरेन्द्र मोदी के सामने वह बौना दिखने लगे, क्योंकि जिस फोटो से नीतीश कुमार को चिढ़ था, अब वह भारत के प्रधानमंत्री बन चुका है।2015 के बिहार विधान सभा चुनाव में बिहार की जनता ने भाजपा को विपक्षी दल के लिए चुना और सरकार चलाने की जिम्मेवारी राजद$जदयू$कांग्रेस (टिकड़ी) को दिया था।राजद के साथ सरकार चलाने में खुद को असहज महसूस करने वाले नीतीश कुमार भाजपा के सामने या नरेन्द्र मोदी के आगे घुटने टेक चुके हैं, तो यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी।साथ ही भाजपा के साथ मिलकर सरकार बना चुके हैं और उन्होंने अपना कद पीएम मोदी से छोटा स्वीकार कर लिया है।जून 2013 से जनवरी 2018 के मध्य की राजनीति में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को कमजोर बना दिया और गुण्डे अपराधियों ने सरकार की लचर व्यवस्था पर अपनी बादशाहत हासिल कर ली एवं कानून की धज्जियां उड़ाने लगे।एक बार फिर बिहार में अपराधियों एवं बाहुबलियों का वर्चस्व सर चढ़कर बोल रहा है और वह बेखौफ होकर अपनी खूनी खेल को मुकाम दे रहे हैं। किसी की हत्या, किसी का अपहरण तो खुलेआम किसी का सामुहिक बलात्कार की घटनाओं ने सूबे को शर्मसार कर दिया है। सूबे की जनता फिर एक बार डर के साये में जीने को मजबूर है। ऐसी कई घटनाएं जो हर दिन घटित हो रही है और लोग सहमे हुए हैं।आइए ऐसी घटनाआें पर प्रकाश डालते हैं, जिससे सुशासन का अर्थ समझ आयेगा–।सनद् रहे कि बिहार में इसी साल विधान सभा चुनाव 2020 होने को हैं किन्तु विश्वव्यापी महामारी कोरोना (कोविड-19) वायरस आने से बिहार में चुनावी राजनीति तूल नहीं पकड़ रही थी तथा लॉकडाउन के चलते राजनीतिक सरगरमी उतनी नहीं दिख रही थी, लेकिन बिहार के गोपालगंज जिले में आरजेडी नेता के घर पर फायरिंग में परिवार के 3 लोगों की मौत ने माहौल को गरमा दिया है।आरजेडी के नेता तेजस्वी यादव अचानक एक्टिव हो गए हैं।बहरहाल, बिहार में कुछ महीने बाद विधानसभा चुनाव होने हैं।कोरोना संकट के बीच विपक्षी दल, चुनाव को ध्यान में रखकर मुद्दों की तलाश में जुटे ही थे कि गोपालगंज जिले में ट्रिपल मर्डर की वारदात को अंजाम दिया गया।वारदात में निशाना बने लोग और इसे जिस तरीके से अंजाम दिया गया, उसे देते हुए अनुमान लग गया था कि यह यह मामला राजनीतिक रंग लेगा।बिहार की जमीनी हकीकत और राजनीति को समझने वाले लोग भांप गए थे कि इस ट्रिपल मर्डर में विपक्ष अपने लिए संजीवनी तलाश सकता है।हुआ भी कुछ ऐसा ही।आरजेडी चीफ लालू प्रसाद यादव के लाल तेजस्वी यादव ने इस मुद्दे को तुरंत लपक लिया।अब वे इसे 2015 के पुटुस यादव हत्याकांड की तरह भुनाने की कोशिश में लगे हैं।ऐसे में बिहार की राजनीति में तनिक भी इंट्रेस्ट रखने वालों के मन में यह भाव आना स्वभाविक है कि आखिर गोपालगंज ट्रिपल मर्डर केस को विपक्ष इतनी हवा क्यों दे रहा है, तो एक बार फ्रलैशबैक में जाने की जरूरत है और यादव करना है साल 2015 का बिहार विधान सभा चुनाव।उस चुनाव में लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार मिलकर मैदान में उतरे थे। चुनाव में माहौल बनाने के लिए लालू यादव ने नीतीश कुमार पर दबाव बनाया था कि वह मोकामा के बाहुबली विधायक अनंत सिंह पर कार्रवाई करें।दरअसल, उस दौरान अनंत सिंह पर आरोप लगे कि बाढ़ शहर के बाजार में पुटुस यादव समेत कुछ युवकों ने अनंत सिंह के रिश्तेदार की लड़की पर फबतियां कसी थी।आरोप है कि इसके बाद अनंत सिंह ने इन युवकों को उठवा लिया था और उनकी बेरहमी से हत्या कर दी थी।पुटुस यादव की हत्या को लालू यादव ने जोर-शोर से उठाया था, जिसके बाद नीतीश कुमार के करीबी माने जाने वाले अनंत सिंह को जेल जाना पड़ा था।लालू रैलियों में सीधे-सीधे कहते रहे कि कोई भूमिहार अनंत सिंह यादव पर वार करेगा तो उसे वे बर्दाश्त नहीं करेंगे।यहां बता दें कि लालू और उनकी पार्टी पिछड़ों, खासकर यादवों की राजनीति करती है।ऐसे में इसबार गोपालगंज गोलीकांड में जेडीयू के बाहुबली विधायक अमरेंद्र पांडेय उर्फ पप्पू पांडेय का नाम आ रहा है और अब तेजस्वी, जेपी यादव के परिवार पर हुए हमले में अमरेंद्र पांडेय उर्फ पप्पू पांडेय का नाम आने के बाद एक्टिव हो गए हैं।जेडीयू विधायक अमरेंद्र ब्राह्मण समाज से आते हैं।लालू यादव तो पहले ही ‘भूरा बाल साफ करो’ (भूमिहार, राजपूत, ब्राह्मण और लाला को साफ करो) जैसा नारा दे चुके हैं। हांलाकि इस घटना को जातिगत तौरपर हटाकर देंखे तो एक बार फिर बिहार अपराध और खौफ के साये में जीने को विवश दिख रहा है और सरकार तथा सरकार के पुलिस-प्रशासन सिर्फ कोरोना और क्वरंटीन के बीच ही उलझे दिख रहे हैं।गोपालगंज ट्रिपल मर्डर को भले ही राजद राजनीतिक रंग दे रहा हो, किन्तु बाहुबलियों की लिस्ट में एक नाम अमरेन्द्र पाण्डेय उर्फ पप्पू पाण्डेय का भी नाम आता है। ज्ञात हो कि कुचायकोट विधानसभा क्षेत्र के जेडीयू विधायक अमरेंद्र पांडेय उर्फ पप्पू पांडेय जनता के बीच मिस्टर क्लीन की छवि बनाने की भरसक कोशिश में रहते हैं।वहीं थाने का मुकदमा रजिस्टर खंगाला जाये तो पचासो पन्ने केवल इनके कारनामे से ही अटे हुए हैं।बता दें कि कुचायकोट, दियारा और गन्ने की खेती के लिए प्रसिद्ध है।बाढ़ के बाद यहां लहलहाने वाली फसल इलाके की समृद्धि की कहानी बयां करती है।कुचायकोट गोपालगंज उत्तर प्रदेश से सटा हुआ सीमावर्ती इलाका है।कुचायकोट को करीब से जानने वाले कहते हैं कि पप्पू पांडेय की राजनीति गन्ने की खेती से बिल्कुल उलट है।गन्ने की फसल की कटाई करने में मुश्किल होती है, लेकिन उसके अंदर का रस मिठास देता है।वहीं इसके ठीक उलट पप्पू पांडेय, जनता के बीच दयावान की छवि बनाए हुए हैं, लेकिन पर्दे के पीछे की इनकी क्राइम फाइल लंबी चौड़ी है।गोपालगंज के बाहुबलियों की लिस्ट में सतीश पांडेय का अच्छा खासा नाम है। सतीश पूर्व मंत्री बृज बिहारी हत्याकांड में जेल के अंदर बाहर आते-जाते रहते हैं।अमरेंद्र पांडेय अंतरराज्यीय अपराधी गिरोह के सरगना सतीश पांडेय के छोटे भाई हैं।12वीं पास पप्पू पांडेय करोडों की संपत्ति के मालिक हैं।अमरेंद्र 2015 में जदयू के टिकट पर विधानसभा पहुंचे हैं।इससे पहले 2010 में बीएसपी के टिकट पर भी विधायक बने थे।वही अमरेंद्र पांडेय उर्फ पप्पू पांडेय के खिलाफ दर्जनों मामले दर्ज हैं, लेकिन अबतक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। मुकदमों की लिस्ट में हत्या, वसूली, रंगदारी जैसे मामले हैं।2012 में गोपालगंज के हथवा प्रखंड मुख्यालय में शराब दुकान चलाने वाले अनिल साह की हत्या हुई थी।इस मामले में पप्पू पांडेय, उनके पिता रमाशीश पांडेय, बहनोई जलेश्वर पांडेय, भाभी और पूर्व जिला परिषद अध्यक्ष उर्मिला पांडेय के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ था। अनिल साह के परिजनों का आरोप था कि पप्पू पांडेय ने 50 लाख रुपये रंगदारी मांगी थी, लेकिन इसकी पूर्ति नहीं कर पाने के चलते हत्या कर दी गई।27 मार्च 2012 को ही सरकारी पदाधिकारी अख्तर की पत्नी ने पप्पू पांडेय पर आरोप लगाया था कि इन्होंने पहले उनके पति का अपहरण किया फिर रिहाई के एवज में 55 लाख रुपये लिए थे।वही एक कंस्ट्रक्शन कंपनी के कार्यकारी निदेशक अखिलेश कुमार जायसवाल ने आरोप लगाया था कि पप्पू पांडेय ने उनसे 50 लाख रुपये की रंगदारी मांगी थी।इस मामले में पटना के शास्त्री नगर थाने में मुकदमा दर्ज कराया गया था। बहरहाल, बिहार के गोपालगंज जिले के हथुआ थाने के रूपनचक गांव में हुए तिहरे हत्याकांड में कुचायकोट के जदयू विधायक अमरेन्द्र कुमार पांडेय उर्फ पप्पू पांडेय, उनके भतीजे जिला परिषद अध्यक्ष मुकेश पांडेय, भाई कुख्यात सतीश पांडेय व एक अज्ञात के खिलाफ हथुआ थाने में प्राथमिकी दर्ज की गई है।प्राथमिकी फायरिंग में जख्मी जेपी यादव के बयान पर दर्ज की गई है।केस दर्ज होने के बाद डीआईजी विजय कुमार वर्मा के नेतृत्व में पुलिस टीम ने विधायक के नयागांव तुलसिया स्थित आवास पर छापेमारी कर जिप अध्यक्ष मुकेश पांडेय व उसके पिता सतीश पांडेय को गिरफ्तार कर लिया और देर शाम पुलिस ने दोनों को कोर्ट में पेश किया।पेशी के बाद दोनों को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में मंडल कारा, चनावे भेज दिया गया।इसके पूर्व पोस्टमार्टम के बाद पिता, पुत्र व मां के शव गांव में पहुंचते ही ग्रामीण आक्रोशित हो गए।वे तीनों शवों को हथुआ थाना के समीप रखकर प्रदर्शन करने पर उतारू थे, लेकिन पुलिस ने रोक दिया।इससे ग्रामीण उग्र हो गए।इस दौरान पुलिस ने लाठी भी भांजीं।बाद में स्थानीय लोगों के बीच-बचाव से आक्रोशित ग्रामीण शांत हुए।रूपनचक में माले से जुड़े जेपी यादव, उनके पिता महेश चौधरी, मां संकेसिया देवी व भाई शांतनु यादव के ऊपर बाइक सवार 4 बदमाशों ने ताबड़तोड़ फायरिंग की थी।महेश व उनकी पत्नी की मौत वहीं पर हो गई जबकि जेपी यादव व शांतनु गंभीर रूप से जख्मी हो गए।गोरखपुर में इलाज के दौरान शांतनु की भी मौत हो गई।घायल जेपी यादव का इलाज पटना में चल रहा है।गौरतलब हो कि इस ट्रिपल मर्डर पर प्रकाश डालते हुए एसपी मनोज कुमार तिवारी द्वारा बताया गया कि तिहरे हत्याकांड में जदयू विधायक अमरेन्द्र पांडेय के भाई सतीश पांडेय व भतीजे जिप अध्यक्ष मुकेश पांडेय को गिरफ्तार किया गया है।दोनों से पूछताछ की जा रही है।वही इस मामले में खुद को और अपने परिवार को फंसाने का आरोप लगाते हुए विधायक अमरेन्द्र पांडेय कहते हैं कि हत्याकांड में मुझे व मेरे परिवार के लोगों को फंसाया जा रहा है।घर पर सीसीटीवी कैमरा लगा है।घटना के वत्त हमलोग घर पर ही थे।जांच से सबकुछ स्पष्ट हो जाएगा।हमें अदालत, सरकार व प्रशासन पर पूरा भरोसा है।गौरतलब है कि कुचायकोट विधायक पर लगे आरोप के बाद से राजद नेता व पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने प्रेस वार्ता के दौरान पत्रकारों के बीच अमरेन्द्र पाण्डेय के विरूद्ध साक्ष्य के तौरपर एक वीडीयो दिखाते हुए कहा था कि गोपालगंज के व्यवसायी रामाश्रय सिंह कुशवाहा का एक साल पहले मर्डर हुआ था, लेकिन अभी तक कोई कारवाई नहीं हुई।वही बीजेपी के वरिष्ठ नेता शिव कुमार उपाध्याय ने आरोप लगाया था कि जेडीयू विधायक पप्पू पांडेय उन्हें गोलियों से छलनी करना चाहते हैं।आरोप है कि पप्पू पांडेय ने शिव कुमार के काफिले को रोककर उन्हें गोलियों से छलनी करने की धमकी दी थी।इस वीडियो में आप देख सकते है।इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर भी वायरल हुआ था।कुछ दिन पहले अनिल तिवारी की हत्या हुई।उसे कौन हॉस्पिटल लेकर गया ? इस वीडीयो में जो आवाज है, उसका सैम्पल लेकर जाँच होनी चाहिए ? दोषी स्वयं पकड़ा जायेगा। इसे गोली लगी नहीं बल्कि प्राइवेट पार्ट पर गोली मारी गयी।पुलिस पता करे, अन्यथा और भी सबूत है।साथ ही गोपालगंज के वरिष्ठ बीजेपी नेता कृष्णा शाही की हत्या जेडीयू के बाहुबली विधायक पप्पू पांडेय ने की, पर अबतक कोई कार्रवाई नही हुई।स्वर्गीय कृष्णा शाही की पत्नी आदरणीय श्रीमती शांता शाही और परिवार को न्याय मिलना चाहिए।तेजस्वी यादव ने आगे कहा कि सुशसान की सरकार हत्यारे विधायक के पापों को अनदेखा क्यों कर रही है ? यूपी की एसटीएफ की एक रिपोर्ट में विधायक के गिरफ्तार शूटर पप्पू श्रीवास्तव ने स्वीकारा कि इन्होंने कृष्णा शाही की हत्या करवाई। इनके पास अनेक अवैध ए-के–47 भी है।दूसरी तरफ गोपालगंज के हथवा प्रखंड मुख्यालय में ही व्यवसायी अनिल साह की हत्या हुई थी।इस मामले में भी जेडीयू विधायक पप्पू पांडेय और उनके परिजनों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ था।अनिल साह के परिजनों का आरोप था है कि पप्पू पांडेय ने 50 लाख रुपये रंगदारी मांगी थी, लेकिन इसकी पूर्ति नहीं कर पाने के चलते हत्या कर दी गई।अब तक इस केस में उसे क्यों बचाया जा रहा है ? वही राजकुमार शर्मा का हथुवा स्टेशन माल गोदाम परिसर में 6 महीना पहले मर्डर हुआ। ये गिट्टी के बहुत बड़े व्यापारी थे और इनकी हत्या भी कर दी गई। अरुण सिंह पूर्व मुिखिया का 7 महीना पहले जिगना ढ़ाला पर मर्डर किया गया।उपेंद्र सिंह कुशवाहा की मटिहानी मीरगंज में 9 महीना पहले पिपरा में हत्या की गयी।इनकी पत्नी जिगना पंचायत की वर्तमान मुखिया है।और अब जेपी चौधरी, शंभु मिश्रा, मुन्ना तिवारी और अनिल तिवारी की हत्या हुई।इन सभी हत्याओं को एक ही ढंग से अंजाम दिया गया।पहले रंगदारी माँगी जाती है नहीं देने पर कुछ अपराधी दो बाइक पर आते है, ताबड़तोड़ गोलियाँ चलाते है।हत्या कर फरार हो जाते है और फिर भ्रष्ट पुलिस अपराधियों को बचाती है।ये तमाम बातें नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने प्रेसवार्ता के दौरान कही।बताते चले कि सरकारी पदाधिकारी अख्तर की पत्नी ने पप्पू पांडेय पर आरोप लगाया था कि इन्होंने पहले उनके पति का अपहरण किया, फिर रिहाई के एवज में 55 लाख रुपये लिए थे, तो वही एक कंस्ट्रक्शन कंपनी के कार्यकारी निदेशक अखिलेश कुमार जायसवाल ने आरोप लगाया है कि पप्पू पांडेय ने उनसे 50 लाख रुपये की रंगदारी मांगी है।तेजस्वी यादव ने प्रेसवार्ता के माध्यम से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर सवाल उठाते हुए कहा कि मुख्यमंत्री जी एक समय सीमा बताए कि एसआईटी जाँच कर कब तक बाहुबली विधायक को गिरफ्तार करेगी ? अगर समय सीमा नहीं बताई गयी तो आंदोलन होगा।एक खूंखार हत्यारे विधायक के विरुद्ध हत्या के साक्ष्य सहित अनेक गंभीर मामले दर्ज है लेकिन गिरफ्तारी क्यों नहीं होती ? मुख्यमंत्री को सामने आकर स्पष्टता से सरकार की बाध्यता और कारवाई के बारे में अवगत कराना चाहिए।वही डीजीपी ने इस आतंकी प्रवृति के विधायक के घिनौने कृत्यों पर कोई व्यत्तवय क्यों नहीं दिया है।डीजीपी गोपालगंज क्यों नहीं गए ? पप्पू पांडेय की तीन महीने की कॉल डिटेल्स और यदि संभव हो तो वाट्सएप कॉल्स को भी खंगाला जाए।पता लग जाएगा कौन उसे बचा रहा है ? सब जानते हैं आईजी रहते किस अधिकारी ने इस दुर्दांत विधायक को अनेक केस से बरी करा अपराध करने के लिए प्रोत्साहित किया ? मुख्यमंत्री अपने नकारा, पक्षपाती और भ्रष्ट अधिकारियों पर कारवाई करने के लिए किस शुभ मुहूर्त का इंतजार कर रहे है ? गोपालगंज ही नहीं बल्कि पूरे बिहार में हत्या का दौर चल रहा है, जिसपर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार काबू नहीं कर पा रहे हैं।सनद् रहे कि बीते दिनों पटना जिला के मोकामा क्षेत्र अंतर्गत घोसवरी प्रखंड के रामनगर में दो महादलित युवकों देवव्रत माँझी और सोल्जर माँझी की अपराधियों ने निर्मम हत्या कर दी गई तो दूसरी तरफ पटना जिला के ही नौबतपुर निवासी श्री भोला पासवान की अपराधियों ने बीच बाजार गोली मारकर हत्या कर दी।तेजस्वी यादव ने कहा कि प्रदेश में व्यापारियों, आम नागरिकों, दलितों, अतिपिछड़ों और गरीबों पर अत्याचार चरम पर है।सत्ता संरक्षण में अपराधियों को अपराध करने की खुली छूट है।बिहार में राक्षस राज स्थापित हो चुका है।कथित सुशासनी में अपराधियों का बोलबाला है।बिहार में चहुँओर लूट, हत्या और नरसंहार हो रहा है।कब कौन किसे कैसे क्यों और कहाँ मार दे कोई पता नहीं ? आगे तेजस्वी यादव ने सीएम नीतीश कुमार पर तंज कसते हुए कहा कि, अगर आपको लगता है कि आप मेरे और पार्टी के नेताओं के खिलाफ झूठे मामले दर्ज कर हमें डरा सकते हैं तो आप बहुत बड़े भ्रम में जी रहे हैं।जब तक आपका पसंदीदा अपराधी और आतंकी प्रवृति का विधायक गिरफ्तार नहीं किया जाता तब तक हम आराम नहीं करेंगे और नरसंहार पीडि़त परिवार को न्याय दिलाकर रहेंगे।आप क्या चाहते है ? सत्ताधारी गुंडे ऐसे ही गरीबों का कत्लेआम करते रहे और हम चुप बैठे रहें।हम बीजेपी के नेतृत्व वाली नीतीश सरकार को बिहार में अराजकता नहीं फैलाने देंगे।बताते चले कि बिहार में गोपालगंज ट्रिपल मर्डर केस तूल पकड़ता जा रहा है और इसे लेकर रस्साकसी चल रही है।बिहार के सियासी गलियारे से लेकर प्रशासनिक महकमे तक में हलचल मचा हुआ है।दूसरी तरफ गोपालगंज जा रहे रालोसपा प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा को प्रशासन ने रास्ते में रोका गया तो डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय फेसबुक लाइव होकर अपनी सफाई दी।उन्होंने कहा कि आज तक जात-पात के नाम पर किसी भी अपराधी को संरक्षण नहीं दिया।यदि यह बात कोई साबित कर देगा तो वे नौकरी छोड़ देंगे।फेसबुक लाइव में डीजीपी पांडेय गोपालगंज कांड को लेकर जारी राजनीति से काफी आहत नजर आये।उन्होंने कहा कि उन्हें पुलिस सेवा में आये तकरीबन 35 साल हो गये।वे कम से कम दस जिलों में एसपी और 20 जिलों में आइजी-डीआइजी रहे।उनके कार्यकाल के लंबे इतिहास में किसी भी वत्त उन पर जात-पात या संप्रदाय के नाम पर भेदभाव करने का कोई आरोप कहीं नहीं लगा।डीजीपी ने कहा कि अपने सेवाकाल में वे लालू प्रसाद, उसके बाद राबड़ी देवी तक के मुख्यमंत्रित्व काल में काम कर चुके हैं।आज वे बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ काम कर रहे हैं।राज्य की कमान किसी के हाथ में रही हो, उन्होंने हमेशा पूरी ईमानदारी, निष्ठा के साथ अपना काम किया।कई ऐसे मौके भी आये जब उनकी जान तक जोखिम में आई, परन्तु उन्होंने जान का खतरा उठाकर सांप्रदायिक झगड़ों का निपटारा तक कराया।उन्होंने कहा कि अपने सेवाकाल में उन्होंने कई चुनाव कराये हैं, परन्तु आज तक उन पर किसी पार्टी विशेष को मदद पहुंचाने या जात-जमात को मदद करने का भी कोई आरोप नहीं लगा सका। बेहद दुखी मन से डीजीपी ने कहा कि संवैधानिक पद पर बैठे कुछ लोगों को गलत जानकारी देकर बरगलाने के प्रयास हो रहे हैं।पुलिस गोपालगंज मामले का अनुसंधान कर रही है।उन्होंने कहा कि गोपालगंज ट्रिपल मर्डर केस में तो तीन लोगों की हत्या तो हुई ही, इसके एक दिन बाद भी एक दूसरे मामले में दो लोगों की हत्या कर दी गयी।जांच में यह घटना प्रतिशोध में की गई, ऐसी बात सामने आ रही है।ट्रिपल मर्डर कांड में जहां पीडि़त पक्ष जयप्रकाश चौधरी की तरफ से सतीश पांडेय, मुकेश पांडेय और विधायक पप्पू पांडेय पर केस किया गया, तो वहीं इसके विपरीत दूसरे मामले में, जिसमें सतीश पांडेय के आदमी मारे गये, उसमें जयप्रकाश चौधरी के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।डीजीपी ने कहा इन दोनों पक्षों को लेकर पुलिस पूरे मामले की जांच कर रही है।उन्होंने कहा, अपराधी कोई भी हो उसे किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा।दूसरी तरफ इस घटना को राजनीतिक तंज देने के लिए तेजस्वी अपने राजद विधायकों के साथ गोपालगंज जाना चाहते थे, लेकिन उन्हें रोक दिया गया था।इधर, राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के अध्यक्ष एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा गोपालगंज में हुए तिहरे हत्याकांड के पीडितों से मिलने पहुंचे, लेकिन स्थानीय प्रशासन ने उन्हें पीडितों से मिलने से रोक दिया।पार्टी के मुख्य प्रवक्ता अभिषेक झा ने बताया कि उपेंद्र कुशवाहा को जिस तरीके से प्रशासन ने बैरिकेडिंग लगाकर पीडि़तों से नहीं मिलने दिया, वह सरकार की मंशा दर्शाता है।उपेंद्र कुशवाहा ने स्थानीय थाना प्रभारी और एसडीओ से कहा कि यह कोई राजनीतिक गतिविधि नहीं है, इसलिए उन्हें कहीं भी जाने से रोका नहीं जा सकता, लेकिन वहां मौजूद अधिकारियों ने कहा कि जिलाधिकारी ने किसी को भी पीडि़त परिवार के घर की ओर जाने की अनुमति नहीं दी।कुशवाहा ने कहा कि यह बात समझ से परे है कि वर्तमान लॉक डाउन की स्थिति में किसी को सड़क पर चलने की मनाही नहीं है तो फिर उन्हें पीडि़त लोगों से मिलने क्यों नहीं दिया जा रहा है ? कहीं न कहीं यह सरकार की मंशा को उजागर करता है कि सरकार नहीं चाहती है कि विपक्ष के लोग पीडि़त लोगों से मिल पाये।यह सरकार का बेहद नकारात्मक रवैया है और सरकार चाहती है कि कैसे भी विपक्ष की आवाज को दबा दिया जाये।हालांकि गोपालगंज ट्रिपल मर्डर केस में आरोप है कि इस वारदात को कुचायकोट विधानसभा क्षेत्र के बाहुबली जेडीयू विधायक अमरेंद्र पांडेय उर्फ पप्पू पांडेय के इशारे पर अंजाम दिया गया है।आरोप है कि गोपालगंज के हथुआ थानांतर्गत रुपनचक गांव में आरजेडी नेता के घर में घुसकर अपराधियों ने जेपी यादव समेत उनके चार परिजनों को गोलियों से भून दिया था।अपराधियों की ओर से ताबड़तोड़ की गई फायरिंग की वजह से आरजेडी नेता जेपी यादव की माता-पिता की मौत हो गई थी, जबकि गंभीर रूप से घायल उनके एक भाई ने गोरखपुर के एक अस्पताल में दम तोड़ दिया था।वहीं आरजेडी नेता जेपी यादव और उनके एक भाई अभी भी पटना के पीएमसीएच में इलाजरत हैं। आरोप है कि इस हत्याकांड में जदयू के विधायक अमरेन्द्र कुमार पांडेय, जिला परिषद अध्यक्ष मुकेश पांडेय और उनके पिता सतीश पांडेय की संलिप्तता है।यादव नेता और उसके परिवार पर हमले की खबर से तेजस्वी चौकन्ने हो गए और तुरंत इलाजरत जेपी यादव से मिलने पीएमसीएच पहुंच गए।इसके बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस कर तेजस्वी यादव ने बिहार की मौजूदा सरकार के सुशासन वाले दावे पर चोट की।तेजस्वी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को अल्टीमेटम दिया कि अगर वे किसी अपराधी को संरक्षण नहीं देते हैं तो 24 घंटे के भीतर जेडीयू विधायक अमरेंद्र पांडेय उर्फ पप्पू पांडेय की गिरफ्रतारी कराएं, वर्ना आरजेडी कार्यकर्ता इस लॉकडाउन में ही पटना से गोपालगंज के लिए कूच करेंगे।किन्तु प्रशासन द्वारा उनके गोपालगंज अपने समर्थकों के साथ जाने से रोक दिया।आरजेडी नेता तेजस्वी यादव इसको लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर हमलावार हैं और सरकार द्वारा विधायक को बचाने का आरोप लगा रहे हैं।तेजस्वी यादव के इस बयान के बाद सत्ता पक्ष और विपक्ष के नेताओं के बीच बयानबाजी जारी ही है कि लालू फैमिली ने पटना में हाई वोल्टेज ड्रामा शुरू कर दिया।तेजस्वी यादव, राबड़ी देवी और तेजप्रताप यादव, आरजेडी विधायकों और कार्यकर्ताओं के साथ गोपालगंज कूच करने के लिए निकले।प्रशासन ने उन्हें रोका तो रोड पर ही हाईवोल्टेज ड्रामा हुआ।वही ट्रिपल मर्डर को लेकर बिहार में राजद पर सहयोगी ही अब बरसने लगे हैं।इसे लेकर बिहार महागठबंधन में तनातनी होती दिख रही है।हम सुप्रीमो व पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव पर सीधा हमला किया और उन्हें कठपुतली बताया।दरअसल, गोपालगंज नरसंहार को मुद्दा बनाते ही नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी अपने सहयोगी मांझी के निशाने पर आ गए हैं।सहयोगियों को विश्वास में लिये बगैर आंदोलन को निकले तेजस्वी से नाराज हिदुस्तानी आवाम मोर्चा प्रमुख जीतन राम मांझी ने दो टूक शब्दों में तेजस्वी के आंदोलन को जातिवादी राजनीति (कास्ट पॉलिटिक्स) बताया।मांझी ने कहा कि सिंदुआरी, अररिया जहानाबाद और नवादा में दलितों के साथ घटनाएं हुई तो तेजस्वी ने कुछ नहीं किया।लेकिन गोपालगंज मसले पर वे बिना सहयोगियों के अकेले ही आंदोलन में कूद गए।इस घटना ने साबित किया है कि तेजस्वी यादव किसी के हाथ की कठपुतली बन गए हैं।बहरहाल, विडम्बना है इस बिहार की ! जहां ना तो कल-कारखाने हैं और ना ही उद्योग।और जो भी छुटभैये धंधे हैं, उनपर रोजगार को लेकर पहले से उम्मीद बिठाये बिहारी मूल के लोग इस टकटकी में हैं कि उनका कायाकल्प शायद होगा।वैसे में कोरोना के इस जंग में बिहार के बाहरी प्रवासी पुनः अपने घर के द्वार पहुंच चुके हैं और हालात अब यहां यह बयां कर रहा है कि एक ही रोटी, किस-किस को खिलाये।एक तरफ शराबबंदी के कारण इस व्यवसाय से जुड़े लोग बाहर राज्यों को पलायन कर गये थे, आज पुनः वह जब आये हैं तो इन हालातों में सिर्फ एक ही धंधा इन बेरोजगारों को रोजगार दे रहा है और वह है अपराध का धंधा।इसके कई उदाहरण है।बीते दिनो ही लॉकडाउन में बिहार के सीवान और पूर्णिया जिले में दिनदहाड़े अपराधियों ने दो लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी थी। पहला मामला सीवान जिले का था, जहां ब्राह्मण महासंगठन के जिला अध्यक्ष शेषनाथ द्विवेदी उर्फ टिंकू की गोली मार हत्या कर दी गई थी।परिजनों का कहना है कि शेषनाथ द्विवेदी सुबह में घर के दरवाजे पर बैठे हुए थे, तभी बाइक सवार दो अपराधी पहुंचे और अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी।गोलियां की आवाज सुनकर परिजन बाहर आये, तब तक हमलावर भाग चुके थे और शेषनाथ जमीन पर खुन से लथपथ होकर गिरे थे।आनन-फानन में परिजन उन्हें स्थानीय पीएचसी में ले गए।जहां डॉक्टरों ने गंभीर हालत देख सदर अस्पताल रेफर कर दिया।सदर अस्पताल ले जाते वक्त रास्ते में ही उनकी मौत हो गई।घटना की सूचना मिलने के बाद पूरे इलाके में सनसनी फैल गई।पुलिस अपराधियों का पता लगाने में जुटी रही, लेकिन सुराग नहीं मिल पाया है।एक घटना गोपालगंज जिले के उचकागांव थाना क्षेत्र का है, जहां अपराधियों ने ठेकेदार शम्भू मिश्रा की गोली मारकर हत्या कर दी।घटना बरवा मठिया गांव की है।शम्भू सुबह मठिया के सामने सामुदायिक भवन में कसरत कर रहे थे, तभी बाइक सवार दो अपराधी आए और फायरिंग कर दी।गोली लगने पर शम्भू भागे तो अपराधियों ने उनका पीछा किया और नजदीक से कई गोली मार दी।अपराधियों द्वारा चलाई गई गोली शम्भू के सिर, सीने और पीठ में लगी, जिससे मौके पर ही उनकी मौत हो गई।वारदात को अंजाम देकर अपराधी भाग गए।गोली चलने की आवाज सुन गांव के लोग जुटे तब तक शम्भू की मौत हो गई थी।सूचना पाकर पुलिस मौके पर पहुंची और शव को पोस्टमॉर्टम के लिए गोपालगंज सदर अस्पताल भेज दिया।पुलिस मामले की जांच में जुट गई है।गौरतलब हो कि इस ट्रिपल मर्डर केस में जिस प्रकार विपक्ष, खासकर राजद ने तूल पकड़ा है, उससे आगामी चुनाव में क्या माइलेज मिलेगा, यह तो वक्त ही बतायेगा किन्तु एक तरफ अमरेंद्र पांडेय का विरोध तो दूसरी तरफ सोशल मीडिया पर एक तस्वीर का वायरल होना, जिसमें पप्पू पांडेय और तेजस्वी यादव की करीबी देखी जा सकती है।तेजस्वी यादव और पप्पू पांडेय की जो तस्वीर वायरल हो रही है यह वर्ष 2015 के विधानसभा चुनाव की है, तब जेडीयू और आरजेडी ने मिलकर चुनाव लड़ा था।जानकारी के अनुसार, गोपालगंज के कुचायकोट में 28 अक्टूबर को मतदान था और ये 26 अक्टूबर को रामनगर पंचायत के बलवंतपुर गांव में आयोजित चुनावी सभा की तस्वीर है।इस चुनावी सभा में तेजस्वी यादव और पप्पू पांडेय ने न सिर्फ मंच शेयर किया था, बल्कि दोनों के बीच काफी नजदीकी देखी जा सकती है।इस तस्वीर के आधार पर यह दावा किया जा रहा है कि जदयू विधायक पप्पू पांडेय और तेजस्वी यादव कभी एक-दूसरे के काफी करीबी रहे हैं।बहरहाल, तेजस्वी यादव ने नीतीश सरकार को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश की है और राज्य सरकार पर अपराधियों को संरक्षण देने का आरोप लगाया है।उन्होंने कहा कि बिहार में अपराध का बोलबाला है, सरकार पूरे तरीके से अपराधियों को संरक्षण दे रही है।हालांकि, इसके साथ ही सवाल ये भी खड़ा होता है कि अगर इसी पप्पू पांडेय के साथ तेजस्वी यादव ने वर्ष 2015 में मंच शेयर किया था, तब उन्हें ये अपराधी क्यों नहीं लगे थे ? इस तस्वीर के साथ एक और तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल है, जिसमें पप्पू पांडेय और राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव एक चुनावी मंच पर काफी करीब से गुफ्तगू करते नजर आ रहे हैं।जाहिर है लालू और तेजस्वी ने अमरेंद्र पांडेय के लिए चुनाव प्रचार भी किया था।हालांकि, बाद में जदयू और राजद का गठबंधन टूट गया था। अगर दूसरे शब्दों में कहें तो लालू-तेजस्वी की बदौलत एमएलए बने थे, ट्रिपल मर्डर के आरोपी पप्पू पांडेय।मसलन, इससे तो साफ है कि तेजस्वी यादव अपनी पार्टी राजद को आगे लेकर बिहार के आगामी चुनाव के लिए गोपालगंज ट्रिपल मर्डर काण्ड का मास्टर कार्ड खेल रही है।अगर ऐसा ना होता तो क्या सिवान में बीते कुछ महीने पूर्व ही हनुमानगढ़ी मंदिर के महंथ की नृशंस हत्या कर दी गई थी और उस वक्त राजद सहित समूचा विपक्ष मौन था।इसके बाद सिवान में एक ब्राह्मण महासंगठन के जिलाध्यक्ष शेषनाथ द्विवेदी उर्फ टिंकू बाबा की हत्या कर दी गई, उस वक्त भी राजद नेता तेजस्वी यादव चुप्पी साधे थे, किन्तु आज एक यादव परिवार के तीन लोगाें की हत्या होने के बाद वह इसे राजनीतिक तंज देने में कोई कसर नहीं छोड़ते दिखायी दे रहे हैं।बहरहाल, राजनीति अपनी जगह पर हो किन्तु बिहार में अपराध का बोलबाला सर चढ़कर बोल रहा है।खुलेआम चोरी, डकैती, छिनतई, बलात्कार, हत्या, अपहरण, दंगा, मॉबलीचिंग और न जाने कितने प्रकार के अपराधिक घटना को अंजाम देने में अपराधी नहीं डरते। इनके अंदर प्रशासन का कोई डर नहीं है, तभी तो एक लूट को अंजाम देने के बाद पकड़े गये अपराधी से प्रेस संवाददाता द्वारा पूछे जाने पर एसपी के सामने ही यह कहना कि ‘इतने कम रकम की राशि की लूट से हम शर्मिंदा हैं’।यह साफतौर पर पुलिस की नपुंसकता को दर्शाता है।बिहार पुलिस में फिलवक्त प्रवासियों की धड़-पकड़ कर क्वरंटीन कराने का काम चल रहा है तो दूसरी तरफ सिर्फ और सिर्फ शराब पकड़ने में।सर्वविदित है कि बिहार दिवस से लेकर मानव श्रृंखला तक के अति प्रचारित कई भव्य आयोजनों पर इस गरीब राज्य की अमीर सरकार ने पानी की तरह पैसे बहाये हैं और मुख्यमंत्री की व्यक्तिगत छवि उस समय जितनी भी चमकी हो, बिहार का बदहाल चेहरा तो मलिन का मलिन ही रहा।इसमें दो मत नहीं कि शराबबंदी से बिहार के आम जनजीवन को बड़ी राहत मिली, लेकिन शराब के धंधेबाजों ने उसके बाद जो शराब के ही अवैध कारोबार की दुर्गन्ध फैला रखी है, उसे रोकने में सरकार नाकाम दिख रही है।

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