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भारत एक अत्यंत सामाजिक आर्थिक असमानता वाला देश है।अगर निजी क्षेत्र, जिसका एकमात्र उद्देश्य अधिकाधिक लाभ कमाना होता है, के हाथों में ही सबकुछ बेच दिया जाएगा तो कमजोर वर्गों के हितों की रक्षा कौन करेगा?

त्रिलोकी नाथ प्रसाद शिक्षा,स्वास्थ्य,परिवहन,नौकरी…सबकुछ कमज़ोर वर्गों की पहुँच से बाहर हो जाएगा!
केंद्र में बैठे नीम हकीमों ने अच्छी खासी दौड़ रही अर्थव्यवस्था को इतना बीमार कर दिया है कि अब इसका रेंगना भी दूभर हो गया है।
अब इसे ज़िंदा रखने के लिए इसी के अंग काट-काटकर देश की संपत्ति ये झोलाछाप निजी हाथों में बेच रहे हैं। आँगन बेचकर किसी तरह घर चलाना कौन सी काबिलियत है, साहब?
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