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मदनपुर -पनियहवा मुख्य मार्ग क्या बन्द होगा?

*दो राज्यों को जोड़ने वाला मदनपुर -पनियहवा मुख्य मार्ग जो आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र को पूर्वांचल की राजधानी गोरखपुर से जोड़ती है ,को बंद कर नए मार्ग बनाने के पीछे व्यापक गड़बड़ घोटाला के मंसूबे परिलक्षित करता है। क्योंकि जिन जनजाति लोगों को बिहार के माननीय मुख्य मंत्री श्री नीतीश कुमार गोद ले रखे हैं ।उन्हीं के मुख्य मार्ग को बंद करना किसी व्यापक घोटाले की ओर संकेत कर रहा है। पढे और ज्यादा से ज्यादा लोगों को शेयर करिए ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग स्वार्थी तत्वों के स्वार्थ को जान सकें*।
पनियहवा- मदनपुर मार्ग को व्यवस्थित ढंग से संचालित करने और प्रस्तावित नए मार्ग को बनाने कितने खर्च होंगे व क्या समस्या होगी? इसे नीचें वर्णित आँकडों समझा जा सकता है…
1- पनियहवा- मदनपुर मार्ग जो पूर्व से बनकर तैयार है ।मात्र 6 किलोमीटर का सड़क जंगल विभाग के आनाकानी और एक कुशल व दृढ़ संकल्पित जनप्रतिनिधि के नेतृत्व के अभाव के कारण पक्कीकरण नहीं हो पा रहा है ।
2- उत्तर प्रदेश और बिहार को मिलाकर मदनपुर पनियहवा सडक़ की कुल लम्बाई13 किलोमीटर है ।जिसमें 7 किलोमीटर सड़क पूरी तरह से बना हुआ है ।मात्र 6 किलोमीटर सड़क वन विभाग के गलत निर्णय और कुशल व दृढ़ संकल्पित जनप्रतिनिधियों के निर्णय लेने की अक्षमता के कारण नहीं बन सका है।
3- पनियाहवा मदनपुर सड़क अनुसूचित जनजातियों की राजधानी हर्नाटांड़ , बिहार का कश्मीर बाल्मीकि नगर टूरिस्ट प्लेस एवं नेपाल और बिहार के सीमावर्ती क्षेत्र के बीच बसे लाखों की आबादी के लिए यह रास्ता पूर्वांचल की राजधानी गोरखपुर, जो स्वास्थ्य एवं अन्य कई वस्तुओं के लिए एक प्रमुख महानगर के रूप में क्रय विक्रय का केंद्रद है ,से जोडता है।इस मार्ग से जाना आसान है और कम दूरी के कारण लोग मोटरसाइकिल या ने वाहनों से भी चले जाते हैं ।जबकि नए प्रस्तावित मार्ग के से दूरी तो बढ़ेगी ही ।लोगों में उदासीनता का भाव भी आएगा ।इन क्षेत्रों के विकास की जो गति तीव्र हुई है वह धीमी पड़ जाएगी ।
4-आध्यात्मिक दृष्टि से मदनपुर माता जी का स्थान एक शक्ति पीठ और सिद्ध पीठ के रूप में काफी प्रसिद्ध हो चुका है। उत्तर प्रदेश ,बिहार ,नेपाल के लोग प्रतिदिन हजारों की संख्या में दूर-दूर से लोग अपने गाड़ियों से माता जी के दर्शन करने आते हैं। इस सड़क के बंद हो जाने से लोगों की आवाजाही बंद ही नहीं होगी ।लाखों लोगों के आस्था पर कुठाराघात होगा ।जो किसी भी दृष्टि से सही नहीं है ।क्योंकि वहां लोगों के आने से जंगल के बीचो बीच रहने वाले अनुसूचित जनजाति एवं आम लोगों को रोजी रोटी दुकानों के माध्यम से चलता है।
5-कार्तिक और चैत्र नवरात्र में हजारों की संख्या में आने वाले भक्तों की संख्या लाखों में पहुंचाता है। घंटों जाम का सामना करना पड़ता है ।ऐसे में इस मार्ग को बदलना लाखों श्रद्धालुओं की श्रद्धा और माता मदनपुर का अवहेलना करने से कम नहीं है।
6-सबसे बड़ी बात यह है कि दो राज्यों को जोड़ने वाला मदनपुर पनियहया मार्ग के बरसों से संचालन से छोटे-मोटे व्यवसाई छोटे-मोटे किसान सड़क के किनारे अपने छोटे-छोटे दुकानों को विकसित कर रखे हैं ।जो लम्बी दुरी से आने वाली गाड़ियों के ठहराव से उनकी रोजी-रोटी रोजगार को चलते हैं ।इसके बंद हो जाने से वे बड़ी गाड़ियां इस रास्ते से नहीं आएंगी ।उनके रोजगार नष्ट हो जाएंगे। जिससे उनको बेकारी और तंगी हालात का सामना करना पड़ेगा।
7- जंगल विभाग के आनाकानी से महज 6 किलोमीटर न बन सकने वाले सड़क के पक्कीकरण करने में महज एक करोड़ से या डेढ़ करोड़ रुपये खर्च होंगे। जबकि नए प्रस्तावित सड़क की कुल लंबाई 19.5 किलोमीटर है। जिसमें सबसे बड़ी समस्या भूमि अधिग्रहण की है । फिर उसके किनारे लोगों की बस ने व्यवसायिक प्रतिष्ठान खोलने जैसे अनेकानेक समस्याएं उत्पन्न होगी । देखने वाली बात यह है कि नव प्रस्तावित सड़क के लिए सवाँ दो सौ एकड भूमि अधिग्रहण कर 219 करोड़ रुपये मुआवजे के रूप में दी जाने वाली है । सड़क निर्माण में कुल अनुमति खर्च ₹769करोड़ रुपये खर्च होंगे ।
*इसलिए नव प्रस्तावित सड़क खर्चीला और उपयुक्त नहीं है ।वैसे तो शहर में सड़क का जाल बिछना जरूरी है ।लेकिन इसके लिए मुख्य मार्ग 727 को बंद करना बेहद ही खतरनाक है। बाल्मिकीनगर संसदीय क्षेत्र में रहने वाले आपसभी लोगों से खासकर बाल्मिकीनगर, हर्नाटांड़ मदनपुर ,बरहा ,के सभी लोगों से अभिनंदन करते हुए यह कहना है कि नए प्रस्ताव में इंजीनियर और ठेकेदार केवल कमाने के लिए इसे मंजूरी दे रखे हैं। इसे के खिलाफ पुरजोर आंदोलन की आवश्यकता है और दृढ संकल्प की आवश्यकता है ।इसका घोर विरोध करें तथा अपनी मांग को सरकार के सामने रखें। ताकि मदनपुर पनियहवा मुख्य मार्ग का निर्माण कार्य शीघ्र ही न स्थाई रूप से शुरू हो सके* ।
आप सभी मित्रों को की भरपूर सहयोग की कामना है

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