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साइनस का सही इलाज होमियोपैथी में ही संभव

डॉक्टर लक्ष्मी नारायण सिंह-साइनस होता क्या है? हमारे कपाल या खोपड़ी के भीतर काफी मात्रा में हवा भरी होती है, क्योंकि खोखली हडि्डयों का बना होता है। नाक की तरफ व नाक के पीछे, माथे में खोखली हडि्डयां है, जिन्हें साइनस कहते ‌हैं।

नाक के दोनों तरफ हवा भरे को पैरानेसल साइनस कहते हैं, गाल के हिस्से में दो ऐसे हिस्सा से भी कक्ष होते हैं। जीन्हें मैक्सिरली साइनस कहते हैं। आंखों के बीच में पमोइउल साइनस कहते हैं व माथे के भीतर क्रन्टल साइनस होते हैं।

मनुष्य की खोपड़ी में साइनस होने के‌ कारण ये हमारे सिर को हलका‌ व सुडौल बनाते हैं। तथा मस्तिष्क को चोट से बचाते हैं।साइनसों में हवा भरी रहने के कारण हमारी आवाजों में गुंज होती है वह स्वर मधुर होती है। नाक व साइनस मिलकर हमारी सांस द्वारा अंदर की खींची गई हवा को साफ करने ,आद्रता प्रदान करने व अंदर गई हवा के तापमान को नियंत्रित करते हैं।नाक व साइनस में एक पर्त होती है जिसमें सुघंने‌ की क्षमता होती ‌होतु है।

नाक व साइनसों की पर्त में महीन-,महीन रेशे (बाल) होते हैं जिन्हें सिलिया कहते हैं।।ये लगातार फड़फड़ाते रहते हैं जिससे किटाणु या अन्य सूक्षम कण छनकर फेफड़े तक पहुंचे।साइनुसाइटिस की शुरुआत नाक में संक्रमण से अथवा मुंह के संक्रमण से किटाणु साइनस तक पहुंच जाने पर होती है। जिससे साइनस में सूजन आ जाती है।ऐसा होने से कीटाणु और तेजी से फैलते‌ हैं।

साइनस के निकास द्वार कई कारणों से बंद हो सकते हैं। साइनस में संक्रमण का सबसे बड़ा कारण जर्सी गाय का दूध सेवन करना है। साइनस में सक्रंमण को ही साइनुसाइटिस कहते हैं।साइनुसाइटिस की विकरालता जीवन को तवाह कर देती है।इसकी व्यापकता से सुनने की क्षमता में कमी,मुंह व चेहरे पर सूजन, दर्द ,नाक बंद , सुंघने की शक्ति में कमी ,सिर में दर्द,सांस फूलने, खांसी, सीने में दर्द,कमर,घुटने में दर्द, तथा आसपास की हडि्डयों में फैल जाती है।साइनुसाइटिस का होमियोपैथी में कारगर दवा है। होमियोपैथी में किसी भी बीमारी का पेटेंट दवा नहीं होती है।लक्षण के अनुसार दवा चुनाव करने की आवश्यकता है। कुछ दवा का नाम भी शामिल किया गया है।(1)टियुक्रियम मेरम वेरम दुर्गन्धित स्वांस,अश्रुप्रवाह छींके, सर्दी-जुकाम,नाक बंद आदि लक्षण मौजूद है। (2) ऐरम ट्रिफाइलम नाक बंद हो जाती है मुंह से स्वांस लेनी पड़ती है। नाक से त्वचा को गला देने वाला श्राव।नाक के अंदर बाहर लगातार कुरेदता रहता है। दर्जनों दवा मौजूद है सिर्फ लक्षण के अनुसार ‌चुनाव करने की आवश्यकता है

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