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*11 अक्टूबर को ‘अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस’*।।…..

त्रिलोकीनाथ प्रसाद :- पटना, 10 अक्टूबर :: पूरा विश्व प्रत्येक वर्ष 11 अक्टूबर को ‘अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस’ (इंटरनेशनल डे ऑफ गर्ल चाइल्ड) मनाता है। इसकी शुरुआत यूनाइटेड नेशन्स ने 2012 में की थी। अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य लड़कियों को समानता का अधिकार देना और उनके विकास के लिए अवसरों को पैदा करना होता है। लड़कियों की शिक्षा, उनके कानूनी अधिकार, पोषण, चिकित्सा देखभाल के प्रति उन्हें जागरूक बनाना होता है।

अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस का मुख्य उद्देश्य बालिकाओं के अधिकारों का संरक्षण करना तथा उनके समक्ष आने वाली चुनौतियों एवं कठिनाईयों की पहचान कर समाज में जागरूकता लाकर लड़कियों को वे समान अधिकार दिलाना होता है।

अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस पर संयुक्त राष्ट्र महासभा (United Nations General Assembly) ने 19 दिसंबर 2011 को प्रस्ताव संख्या 66/170 को पारित किया था। प्रत्येक साल इस मंजूरी के साथ 11 अक्टूबर को ‘अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस’ के रूप में मनाने की घोषणा की थी। पहले अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस का थीम ‘बाल विवाह की समाप्ति’ रखा गया था।

भारत सरकार ने बालिकाओं को संरक्षण और सशक्त करने हेतु ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ योजना की शुरुआत साल 2015 में किया था। सरकार ने बालिकाओं को सशक्त बनाने हेतु कई प्रकार की योजनाओं को भी लागू किया है। 24 जनवरी को प्रत्येक साल भारत में ‘राष्ट्रीय बालिका दिवस’ मनाया जाता है।

आजकल बालिकाएं हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं चाहे वो राजनीती हो या खेल, साइंस, इत्यादि, कुछ भी हो। ऐसे में समाज को बालिकाओं के अधिकारों के प्रति जागरूक करना और उनकी शिक्षा के प्रति ध्यान देना अनिवार्य है। भ्रूण हत्या भी भारत में एक ऐसी समस्या है जिसके कारण लड़कियों के अनुपात में काफी कमी आयी है। ‘राष्ट्रीय बालिका दिवस’ के अवसर पर देश में लड़कियों को समर्थन देना, नए अवसर प्रदान करना, समाज में लड़कियों के साथ होने वाली असमानता जैसे भेदभाव, शोषण के बारे में लोगों में जागरूकता बढ़ाने, शिक्षा, पोषण, कानूनी अधिकार, चिकित्सा देखभाल, संरक्षण, बाल विवाह, स्वतंत्रता, इत्यादि के संदर्भ में जागरूक किया जाता है। राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाने के पीछे भारत सरकार का यह कदम युवा लड़कियों और बच्चों के रूप में लड़कियों के महत्व को बढ़ावा देना है।

‘राष्ट्रीय बालिका दिवस’ महिला और बाल विकास मंत्रालय द्वारा पहली बार 2008 में शुरू किया गया था। इसके पीछे लड़कियों द्वारा सामना की जाने वाली विषमताओं को उजागर करना और जिसमें बालिकाओं के अधिकारों, शिक्षा के महत्व, स्वास्थ्य और पोषण सहित जागरूकता को बढ़ावा देना था। आजकल लैंगिक भेदभाव भी एक बड़ी समस्या है जिसका सामना लड़कियों या महिलाओं को जीवन भर करना पड़ता है मुख्य उद्देश्य था।

भारत में राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाने का निनांकित मुख्य उद्देश्य है :-

*लोगों में चेतना बढ़ाना और समाज में बालिकाओं को नए अवसर प्रदान कराना।

* बालिकाओं के सामने आने वाली सभी असमानताओं को दूर करना।

* यह सुनिश्चित करना कि बालिकाओं को देश में उनके सभी मानवाधिकारों, सम्मान और मूल्य मिल सके।

* लैंगिक भेदभाव के बारे में काम करना और लोगों को शिक्षित करना।

* भारत में घटते बाल लिंगानुपात के खिलाफ काम करना और एक लड़की के रूप में लड़की के बारे में लोगों की सोच को बदलना।

* बालिकाओं के महत्व और भूमिका के बारे में जागरूकता बढ़ाना।

* लड़की को अवसर प्रदान करना और उनकी बेहतरी के लिए अधिकार दिलाना।

* लोगों को लड़की के स्वास्थ्य और पोषण के बारे में शिक्षित करना।

* समान अधिकार प्रदान करना और उन्हें देश के किसी भी हिस्से में स्थानांतरित करने की अनुमति दिलाना।

भारत सरकार ने महिला सशक्तिकरण के लिए कई योजनाएं चलाई है जिसमें निनांकित योजनाएं प्रमुख्य है :-

* गर्भावस्था के दौरान क्लीनिक में सेक्स का निर्धारण अवरुद्ध किया जाना।

* बालिकाओं का बाल विवाह प्रतिबंधित किया जाना।

* सरकार द्वारा बालिकाओं के लिए “Save the Girl Child” योजना शुरू किया जाना।

* 14 वर्ष की आयु तक लड़के और लड़कियों दोनों के लिए मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा।

* समाज में कुपोषण, उच्च अशिक्षा, गरीबी और शिशु मृत्यु दर से लड़ने के लिए, सभी गर्भवती महिलाओं के लिए प्रसवपूर्व देखभाल किया जाना।

* महिलाओं को रोजगार और महिलाओं को दर्जा दिलाने के लिए एंटी-सती, एंटी-एमटीपी जैसे कई कानून बनाया जाना।

* लड़कियों को उनके बेहतर भविष्य के लिए समान अधिकार और अवसर देने के लिए कई नियम बनाया जाना।

* भारत में पिछड़े राज्यों की शिक्षा की स्थिति को देखने के लिए पंचवर्षीय योजनाएँ बनाया जाना।

* लड़कियों के लिए ‘ऑपरेशन ब्लैकबोर्ड’ बनाया जाना।

* बच्चों की देखभाल के लिए कई बलवाड़ी क्रेच खोले जाना।

* ग्रामीण लड़कियों की आजीविका को बेहतर बनाने के लिए SHG और Self Help Groups शुरू किया जाना।

* पिछड़े वर्गों की लड़कियों के लिए ओपन लर्निंग सिस्टम स्थापित किया जाना।

 

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