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किशनगंज : योगिनी एकादशी व्रत कथा का पाठ करने से सभी तरह के पापों से मिलती है मुक्ति: गुरु साकेत

धार्मिक मान्यता है कि योगिनी एकादशी व्रत कथा का पाठ करने से जातक को सभी तरह के पापों से मुक्ति मिलती है। साथ ही श्री हरि की कृपा प्राप्त होती है और शुभ फल की प्राप्ति होती है

किशनगंज, 27 जून (के.स.)। धर्मेन्द्र सिंह, एकादशी तिथि सभी शुभ तिथियों में से एक है। यह तिथि भगवान श्री हरि विष्णु को समर्पित है। हर माह में 2 बार एकादशी व्रत किया जाता है। आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को योगिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस दिन भगवान श्री हरि विष्णु की पूजा कर व्रत कथा पाठ जरूर करना चाहिए। गुरुवार को महाकाल मंदिर के पुरोहित गुरु साकेत ने बताया कि पंचांग के अनुसार, आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 01 जुलाई को सुबह 10 बजकर 24 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, इसका समापन 02 जुलाई को सुबह 08 बजकर 39 मिनट पर होगा। ऐसे में 02 जुलाई को योगिनी एकादशी व्रत किया जाएगा, गुरु साकेत ने बताया कि स्वर्ग लोक में कुबेर नाम का राजा रहता था। वह शिव भक्त था। रोजाना महादेव की पूजा किया करता था। उसका हेम नाम का माली था, जो हर दिन पूजा के लिए फूल लाता था। माली की पत्नी का नाम विशालाक्षी था। वह बेहद सुंदर थी। एक बार जब सुबह माली मानसरोवर से फूल तोड़कर लाया, लेकिन कामासक्त होने की वजह से वह अपनी स्त्री से हास्य-विनोद करने लगा। राजा को उपासना करने में देरी हो गई, जिसकी वजह से वह क्रोधित हुआ। ऐसे में राजा ने माली को श्राप दे दिया। उन्होंने कहा कि तुम ने ईश्वर की भक्ति से ज्यादा कामासक्ति को प्राथमिकता दी है, तुम्हारा स्वर्ग से पतन होगा और तुम धरती पर स्त्री वियोग और कुष्ठ रोग का सामना करोगे। इसके बाद वह धरती पर आ गिरा, जिसकी वजह से उसे कुष्ठ रोग हो गया और उसकी स्त्री भी चली गई। वह कई वर्षों तक धरती पर कष्टों का सामना करता रहा। एक बार माली को मार्कण्डेय ऋषि के दर्शन हुए। उसने अपने जीवन की सभी परेशानियों को बताया। ऋषि माली को बातों को सुनकर आश्चर्य हुआ। ऐसे में मार्कण्डेय ऋषि ने उसे योगिनी एकादशी के व्रत के महत्व के बारे में बताया। मार्कण्डेय ने कहा कि इस व्रत को करने से तुम्हारे जीवन के सभी पाप खत्म होंगे और तुम पुनः भगवत कृपा से स्वर्ग लोक को प्राप्त करोगे। माली ने ठीक ऐसा ही किया। भगवान श्री हरि विष्णु ने उसके समस्त पापों को क्षमा करके उसे पुनः स्वर्ग लोक में स्थान प्रदान किया।

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