*सचिव कृषि विभाग ने राज्यस्तरीय बैठक में अधिकारियों को दिये आवश्यक निदेश*
*सभी जिलों में उर्वरक की उपलब्धता सुनिश्चित करने हेतु निगरानी रखने का दिया गया निदेश*

त्रिलोकी नाथ प्रसाद:-*धान के फसल अवशेष किसान न जलाएँ इसके लिए सतत पर्यवेक्षण किया जाये* सचिव, कृषि विभाग, बिहार श्री संजय कुमार अग्रवाल की अध्यक्षता में आज मीठापुर, पटना अवस्थित कृषि भवन से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सभी प्रमंडलीय संयुक्त निदेशक (शष्य), सभी जिला कृषि पदाधिकारी, अनुमंडल कृषि पदाधिकारी, सहायक निदेशक (कृषि अभियंत्रण) एवं मुख्यालय स्तर के नोडल पदाधिकारी के साथ समीक्षात्मक बैठक की गई। इस बैठक मे पी॰एम॰ किसान योजना, कृषि यांत्रिकरण, बीज वितरण, उर्वरक की उपलब्धता, फसल जाँच कटनी उत्पादकता, फसल अवशेष को खेतों में न जलाने फसल अवशेष प्रबंधन एवं मिट्टी जाँच की विस्तृत समीक्षा की गई।
समीक्षा के क्रम में सचिव कृषि ने कहा कि किसान सम्मान योजना में भारत सरकार के दिशा निर्देश के अनुरूप लंबित किसानों के ई-के॰वाई॰सी॰ कराने, ग्राम स्तर पर नोडल अधिकारी (वी॰एन॰ओ॰) को नामित करने, किसानों से प्राप्त आवेदन के निष्पादन एवं योजनान्तर्गत लाभुक किसानों का भौतिक सत्यापन कराने हेतु निदेश जिला कृषि पदाधिकारी को दिया। उन्होंने कहा कि प्किसान सम्मान निधि योजना अंतर्गत वैसे पात्र भू-धारी कृषकों जिन्हें अब तक इस योजना का लाभ नहीं मिल पाया है, वैसे सभी कृषकों को इस योजना से लाभान्वित किये जाने हेतु विशेष अभियान का संचालन किया जाये।
कृषि यांत्रिकरण योजना में यंत्रों के आपूर्तिकर्त्ता को निर्गत परमिट के अनुसार किसानों को यंत्रों की उपलब्धता शीघ्र कराने, प्राप्त आवेदन के आलोक में परमिट निर्गत करने, यंत्रों के क्रय उपरांत उसके सत्यापन आदि कार्य ससमय सभी स्तरों पर पूर्ण करने हेतु निदेश दिया।
उन्होंने कहा कि बीज को किसानों के बीच बीज वितरण कार्य जिलों में पूर्ण कराए। सभी जिला कृषि पदाधिकारी एवं प्रमंडलीय संयुक्त निदेशक (शष्य) को अपने पर्यवेक्षण में एक सप्ताह के अंदर प्राप्त बीज का शत्-प्रतिशत वितरण पूर्ण करने का निदेश दिया।
उन्होंने कहा कि जिलों में डी॰ए॰पी॰, एन॰पी॰के॰ एवं यूरिया की उपलब्धता की सघन निगरानी की जाये एवं किसानों को उचित मूल्य पर उर्वरक प्राप्त हो इसका पर्यवेक्षण किया जाये। जिला उर्वरक निगरानी समिति की बैठक निश्चित रूप से आयोजित कर लिया जाये। जिला पदाधिकारी को उर्वरक की उपलब्धता की जानकारी उपलब्ध करायी जाये। साथ ही, सीमावर्ती जिलों में उर्वरक की कालाबजारी न हो इसकी निगरानी रखी जाये।
उन्होंने फसल जाँच कटनी उत्पादन प्रतिवेदन में गोपालगंज एवं मधुबनी के कुछ पंचायतों के प्रतिवेदित उत्पादकता की समीक्षा में यह पाया गया कि एक गाँव में 05 फसल कटनी की जानी है, परन्तु कुछ स्थानों से मात्र एक फसल कटनी के आधार पर औसत उत्पादकता प्रतिवेदित किया गया है, इसकी स्थलीय समीक्षा हेतु संबंधित प्रमंडलीय संयुक्त निदेशक (शष्य) एवं अनुमंडल कृषि पदाधिकारी को सघन जाँच हेतु निदेशित किया गया।
श्री अग्रवाल ने कहा कि कई जिलों खासकर रोहतास, कैमूर, भोजपुर, बक्सर, पटना, नालंदा एवं प॰चम्पारण में धान के फसल अवशेष किसान न जलाएँ इसके लिए सतत पर्यवेक्षण किया जाये एवं जिन किसानों द्वारा फसल अवशेष जलाने की सूचना संज्ञान में आती है तो जाँचोपरान्त उनको विभागीय योजनाओं के लाभ से वंचित किया जाये एवं इसका प्रचार-प्रसार होर्डिंग लगाकर सुनिश्चित किया जाये।
मिट्टी जाँच की प्रगति की समीक्षा करते हुए सचिव कृषि ने कहा कि मिट्टी नमूनों की जाँच यथाशीघ्र करते हुए किसानों को सरल भाषा में मृदा स्वास्थ्य कार्ड की उपयोगिता के बारे में बताया जाये ताकि किसान अनुसंशित मात्रा में उर्वरको का उपयोग कर सके। साथ ही, उन्होंने मिट्टी नमूनों की जाँच के आधार पर मृदा उर्वरता मैप तैयार किया जा सके।
इस बैठक में कृषि निदेशक डॉ॰ आलोक रंजन घोष, संयुक्त सचिव, कृषि विभाग श्री शैलेन्द्र कुमार, उप सचिव श्री मनोज कुमार, अपर निदेशक (शष्य) श्री धनंजय पति त्रिपाठी उपस्थित थे।