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किशनगंज : जिले में अर्राबाड़ी स्थित डा. कलाम कृषि महाविद्यालय में बिहार की चाय पर परिचर्चा कार्यक्रम किया गया आयोजित, कृषि मंत्री ने कार्यक्रम का दीप प्रज्वलित कर किया विधिवत उदघाटन।

किशनगंज/धर्मेन्द्र सिंह, सूबे में चाय की नगरी के नाम से जाने वाले इस जिले में अर्राबाड़ी स्थित डा. कलाम कृषि महाविद्यालय में बिहार की चाय पर परिचर्चा कार्यक्रम आयोजित की गई। इस कार्यक्रम का विधिवत उदघाटन कृषि मंत्री अमरेन्द्र प्रताप सिंह ने दीप प्रज्वलित कर किया। इस परिचर्चा की अध्यक्षता कृषि सचिव डा. एन सरवण ने किया। जबकि मेजबानी निदेशक उद्यान निदेशालय नंद किशोर और जिलाधिकारी डा. आदित्य प्रकाश ने की। कृषि मंत्री अमरेन्द्र प्रताप सिंह ने कार्यक्रम में बिहार की चाय का प्रतीक के रूप में लोगो जारी की। उन्होंने कहा कि लोगो जारी होने से बिहार में उत्पादित एवं प्रसंस्कृत चाय को एक विशेष पहचान मिलेगी। सूबे में किसानों के आय को दोगुना करने के लिए नगदी फसलों के उत्पादन बढ़ाने पर जोर दिया गया है। कृषि विभाग अंतर्गत उद्यान निदेशालय ने सूबे में उत्पादित चाय के प्रसंस्करण को बढ़ावा देने के लिए सराहनीय कदम उठाए हैं। बिहार कृषि निवेश प्रोत्साहन नीति अंतर्गत चाय सहित सात फसलों के लिए एक सक्षम वातावरण तैयार कर कृषि प्रसंस्करण व्यवसाय के क्षेत्र को प्रोत्साहन और बढ़ावा देने का काम कर रहा है। इस नीति के तहत चिह्नित सात फसलों में चाय, मखाना, शहद, फसल एवं सब्जी, मखाना बीज और ओषधीय एवं सुगंधित पोधे के प्रसंस्करण, भंडारण, मूल्यवर्धन के साथ निर्यात में बढोतरी के लिए सहयोग प्रदान करता है। सूबे में चाय के उत्पादन को बढ़ाने के लिए राज्य सरकार द्वारा बेहतर कदम उठाए गए हैं। वहीं डीएम डा. आदित्य प्रकाश ने कहा कि जिला की मिट्टी एवं जलवायु चाय की खेती के लिए उपयुक्त होने के कारण 1992 में यहां चाय की खेती शुरू हुई। सबसे पहले पोठिया प्रखंड के गोरूखाल पंचायत स्थित कालीदास किस्मत मौजा के पांच एकड़ जमीन पर चाय की खेती शुरू हुई। 1999 में भारतीय टी-बोर्ड ने जिला के किशनगंज प्रखंड, ठाकुरगंज प्रखंड, पोठिया प्रखंड, बहादुरगंज प्रखंड और दिघलबैंक प्रखंड को गैर पारंपरिक क्षेत्र घोषित किया। उस समय से जिले में बड़े पैमाने पर चाय का उत्पादन शुरू हो गया। सूबे में लगभग आठ हजार से अधिक किसान द्वारा 25 हजार एकड़ से अधिक जमीन में चाय का उत्पादन किया जाता है। पिछले 20 वर्षों में चाय का उत्पादन 75 लाख किलो पहुंच गया है। चाय उत्पादन में सूबे का देश में पांचवां स्थान है। चायपत्ती की प्रोसेसिग के लिए वर्तमान समय में 11 प्रोसेसिग यूनिट संचालित हैं। इनमें से एक यूनिट भारत सरकार की स्कीम स्वर्ण जयंती रोजगार योजना अंतर्गत स्थापित है। इस दौरान मुख्य रूप से संयुक्त निदेशक उद्यान सी जैन, जिला कृषि पदाधिकारी प्रवीण कुमार झा, सहायक निदेशक उद्यान रजनी सिंहा, सहायक निदेशक कृषि अभियंत्रण अजय कुमार, तकनीकी सहायक दल प्रमुख पूजा शर्मा, परियोजना निदेशक आत्मा कृष्ण कुमार प्रसाद, सहायक निदेशक रसायन दिलीप कुमार वर्णवाल, सहायक निदेशक अभियंत्रण सुरेन्द्र कुमार भारती, निरंजन कुमार और सत्येन्द्र कुमार सहित कई उद्यमी मौजूद रहे।

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