किशनगंज : नाइट ब्लड सर्वे के लिये जिले के 7 प्रखंडों में 03 शहरी क्षेत्र सहित 24 स्थान चिह्नित
सर्वे के दौरान रात साढ़े आठ से 12 बजे तक लिया जायेगा लोगों का ब्लड सैंपल

किशनगंज, 26 नवंबर (के.स.)। धर्मेन्द्र सिंह, हाथीपांव के साथ जीवन बोझिल महसूस होता है। यह आवश्यक है कि मरीज फ़ाइलेरिया का प्रबंधन कैसे हो इसके बारे में जानें और इसे अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनायें। फाइलेरिया उन्मूलन मुहिम को लेकर जिले में स्वास्थ्य विभाग सजग है। जिले को फाइलेरिया मुक्त बनाने की दिशा में स्वास्थ्य विभाग लगातार प्रयास कर रहा है। एक तरफ जहां जिले के प्रखंडों में 1846 मरीज के लिए फाइलेरिया क्लीनिक एमएमडीपी की शुरुआत की जा रही है। वहीं अब जिला के प्री ट्रांसमिशन फेज में होने के सत्यापन को लेकर आगामी 04 दिसंबर से पुन: एक बार जिले में नाइट ब्लड सर्वे अभियान संचालित किया जायेगा। जिसकी सफलता के लिए स्वास्थ्य विभाग के द्वारा जागरूकता अभियान चलाकर रक्त जांच करवाने के लिए लोगों को प्रेरित किया जा रहा है। साथ ही आस पास के लोगों को आगामी नाइट ब्लड सर्वे में भाग लेने के लिए अपील की जा रही है। सिविल सर्जन डा. कौशल किशोर ने बताया कि नाइट ब्लड सर्वे के दौरान 20 साल से अधिक आयु वर्ग के लोगों का रक्त, सैंपल जांच के लिये लिया जायेगा। प्रत्येक सेशन साइट से 300 सैंपल जांच के लिये लिये जाने हैं। संग्रह किये गये रक्त रैंडम जांच के लिये पटना भेजा जायेगा। सर्वे कार्य की सफलता में सभी पीएचसी प्रभारी, बीएचएम व बीसीएम को अपनी भागीदारी सुनिश्चित कराना अनिवार्य है। इसके साथ ही स्थानीय पुलिस प्रशासन, जनप्रतिनिधियों से उचित सहयोग व आशा कार्यकर्ताओं की मदद से सफलतापूर्वक सर्वे का कार्य संपन्न कराने का निर्देश उन्होंने संबंधित अधिकारी व कर्मियों को दिया। शत प्रतिशत सफ़लता के लिए चयनित स्थलों के आसपास बैनर, पोस्टर एवं माइकिंग के द्वारा जागरूकता अभियान चलाया जाएगा। प्रत्येक प्रखंड में एक रैंडम और दो सेंटिनल साइट पर नाइट ब्लड सर्वे किया जाएगा। इस दौरान लोगों के ब्लड सैंपल लिए जाएंगे। जिसे जांच के लिए लैब भेजा जाएगा। चूंकि खून में फाइलेरिया के परजीवी रात में ही सक्रिय होते हैं इसलिए नाइट ब्लड सर्वे से सही रिपोर्ट का पता चल पाता। जिसको शत प्रतिशत पूरा करने के लिए नाइट ब्लड सर्वे के लिए चार सदस्यीय टीम बनाई जाएगी। नाइट ब्लड सर्वे की गतिविधियों का आयोजन करने का मुख्य उद्देश्य प्रखंड स्तर पर फाइलेरिया व माइक्रो फाइलेरिया की दर को जानना है। नाइट ब्लड सर्वे से यह पता चलेगा कि जिले भर में कितने लोगों में फाइलेरिया का पैरासाइट मौजूद है। फाइलेरिया का पारासाइट रात में ही सक्रिय होता है। इसलिए नाइट ब्लड सर्वे में रात 8 बजे से 12 बजे रात के बीच ही ब्लड सैंपल लिया जाएगा। डा. मंजर आलम ने बताया कि इस कार्यक्रम के तहत फाइलेरिया के प्रसार को रोकना है। नाइट ब्लड सर्वे के दौरान सामान्य और स्वस्थ दिखने वाले व्यक्ति भी जांच करा सकते हैं। उन्होंने बताया कि फाइलेरिया या हाथीपांव के लक्षण सामान्य रूप से शुरू में दिखाई नहीं देते हैं। लेकिन इसके परजीवी शरीर में प्रवेश करने के बाद इसका लक्षण लगभग पांच से दस सालों बाद दिखाई दे सकता है। इसलिए सामान्य और स्वस्थ दिखने वाले व्यक्ति भी इसकी जांच कराएं। फाइलेरिया एक घातक बीमारी है। यह साइलेंट रहकर शरीर को खराब करती है। फाइलेरिया एक परजीवी रोग है, जो एक कृमि जनित मच्छर से फैलने वाला रोग है। यह मादा क्यूलेक्स मच्छर के काटने से फैलता है। आमतौर पर फाइलेरिया के लक्षण स्पष्ट रूप से दिखाई नहीं देते लेकिन बुखार, बदन में खुजली व सूजन की समस्या दिखाई देती है। इसके अलावा पैरों और हाथों में सूजन, हाथीपांव और हाइड्रोसील की सूजन, फाइलेरिया के लक्षण हैं। फाइलेरिया हो जाने के बाद धीरे-धीरे यह गंभीर रूप लेने लगता है। इसका कोई ठोस इलाज नहीं है। लेकिन इसकी नियमित और उचित देखभाल कर जटिलताओं से बचा जा सकता है। जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डा. मंजर आलम ने कहा कि जिले में एनबीएस का ये चरण अगर पूर्व की तरह सफल साबित हुआ तो हम फाइलेरिया मुक्त जिला होने के लक्ष्य के बेहद करीब होंगे। टास्क एसेसमेंट फेज में संभावित मरीजों को चिह्नित करने के लिये किट से जांच होगी। रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर ही उक्त इलाके में एनबीएस होगा। उन्होंने बताया कि एनबीएस अभियान के क्रम में इस बार जिले के सभी प्रखंडों के चिह्नित तीन साइट निर्धारित किये जायेंगे। प्रत्येक साइट पर फाइलेरिया संबंधी जांच के लिये 300 लोगों का रक्त नमूना संग्रह किया जायेगा। इस तरह हर एक प्रखंड से कुल 900 लोगों की जांच अभियान के क्रम में होनी है। इसी तरह अभियान के क्रम में जिले के सभी सात प्रखंडों से कुल 6300 सौ लोगों के रक्त नमूनों की जांच का लक्ष्य है। एनबीएस अभियान के प्रत्येक साइट पर स्वास्थ्य अधिकारी व कर्मियों की चार सदस्यीय टीम प्रतिनियुक्त की जायेगी। इसमें लैब टेक्नीशियन, संबंधित क्षेत्र की आशा संबंधित पीएचसी के बीसीएम या बीएचएम, वीवीडी कार्यालय के कर्मी व सहयोगी संस्था के प्रतिनिधि अभियान की सफलता में अपना सक्रिय सहयोग करेंगे।