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किशनगंज : महिला संवाद कार्यक्रम में महिलाओं ने उठाई सार्वजनिक परिवहन व कृषि क्षेत्र में सुधार की मांग

सरकारी बस, सिंचाई सुविधा, स्वरोजगार – महिलाओं ने जताईं जमीनी आकांक्षाएं”

किशनगंज,28 मई(के.स.)। धर्मेन्द्र सिंह, जिले के विभिन्न प्रखंडों में चल रहे महिला संवाद कार्यक्रम में महिलाओं ने सार्वजनिक परिवहन, कृषि विकास एवं स्वरोजगार से जुड़ी अपनी वास्तविक ज़मीनी आकांक्षाएं खुलकर रखीं। दिघलबैंक, ठाकुरगंज और सदर प्रखंड की महिलाओं ने बताया कि क्षेत्रीय विकास, आजीविका एवं सुविधा के लिए परिवहन और कृषि जैसे मूलभूत क्षेत्रों में सरकार से ठोस कदमों की अपेक्षा है।

तुलसिया पंचायत में उठी सार्वजनिक परिवहन की मांग

दिघलबैंक प्रखंड के तुलसिया पंचायत में आयोजित महिला संवाद में महिलाओं ने क्षेत्र में सरकारी बस सेवा और रेल सेवा की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने बताया कि आज भी कई महिलाएं बेहतर शिक्षा, इलाज और बाज़ार की सुविधाओं से सिर्फ इसलिए वंचित हैं क्योंकि उन्हें आने-जाने में कठिनाई होती है।

महिलाओं ने कहा, “अगर परिवहन की सुविधा हो तो न सिर्फ यातायात आसान होगा बल्कि हमारे बच्चों की शिक्षा और हमारा स्वरोजगार भी आगे बढ़ेगा।”

डुमरिया पंचायत में कृषि क्षेत्र में सहयोग की अपेक्षा

ठाकुरगंज प्रखंड के डुमरिया पंचायत की महिलाओं ने सिंचाई व्यवस्था को लेकर चिंता जताई। अफरोज बेगम ने सरकार से नहर निर्माण और सामूहिक बोरिंग की व्यवस्था की मांग की, ताकि खेतों में समय पर सिंचाई हो सके। उन्होंने किशनगंज में चाय पत्ता, अनानास और ड्रेगन फ्रूट जैसी फसलों की संभावनाओं पर ध्यान दिलाते हुए इनके लिए सरकारी सहयोग की मांग की।

महिलाओं ने बताया कि किशनगंज में अधिकतर सीमांत और छोटे जोत वाले किसान हैं, जिनके लिए कृषि ही प्रमुख आजीविका का साधन है। वे चाहती हैं कि खेती को आय का भरोसेमंद जरिया बनाने के लिए सरकार योजनाबद्ध कदम उठाए।

कृषि लागत, खाद-बीज, और रोजगार के मुद्दे भी उभरे

महिला संवाद के दौरान खाद-बीज की महंगाई, समय पर उपलब्धता, कृषि लागत में वृद्धि, और स्थानीय रोजगार के अभाव जैसे मुद्दों पर भी महिलाओं ने अपनी बात रखी। उन्होंने सरकार से बेहतर कार्यनीति एवं योजना बनाने की माँग की ताकि इन चुनौतियों से निपटा जा सके।

स्वरोजगार की मिसाल बनीं रेखा देवी

किशनगंज सदर प्रखंड के चकला पंचायत की रेखा देवी ने महिला संवाद कार्यक्रम में स्वरोजगार की प्रेरणादायक कहानी साझा की। उन्होंने बताया कि वे शारदा जीविका स्वयं सहायता समूह से जुड़ीं और ऋण लेकर चाय-नाश्ते की दुकान शुरू की। बाद में दूसरी बार ऋण लेकर कपड़े की दुकान भी खोली। अब दोनों दुकानों से उन्हें हर महीने 20 से 25 हजार रुपये की आमदनी हो जाती है।
उन्होंने कहा, “पहले मैं सिर्फ गृहस्थी तक सीमित थी, अब आर्थिक रूप से स्वावलंबी बनकर बच्चों की पढ़ाई भी करवा पा रही हूं”

महिला संवाद से उभर रही हैं नई दिशाएं

महिला संवाद कार्यक्रम न केवल महिलाओं की समस्याओं को उजागर कर रहा है, बल्कि उनकी आकांक्षाओं को सरकारी नीति तक पहुंचाने का सशक्त माध्यम बन रहा है। स्वरोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि और यातायात जैसे क्षेत्रों में उनकी भागीदारी और आवाज़, क्षेत्रीय विकास के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।

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