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किशनगंज : क्लब फुट से ग्रसित बच्चों को सफल ऑपरेशन के लिए भेजा गया जेएलएनएमसीएच

क्लब फुट रोग से ग्रषित चारों बच्चो के अभिभावक ने बताया कि जन्म के बाद से ही बच्चे का पैर मुड़ा हुआ था, और समय के साथ बढ़ता ही जा रहा था। शुरुआत में इसे नजरअंदाज कर दिया। परंतु आरबीएसके की टीम के द्वारा बच्चे को चिह्नित किया गया तथा राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आईबीएसके) के डिस्ट्रिक्ट एर्ली इन्वेंशन सेंटर (डीईआईसी) भेजा गया

किशनगंज, 29 मई (के.स.)। धर्मेन्द्र सिंह, क्लब फुट (जिसे टैलिप्स भी कहा जाता है) वह स्थिति है, जहां एक बच्चा एक पैर या पैरों के साथ पैदा होता है। जो अंदर और नीचे की ओर मुड़ते हैं। शीघ्र उपचार से इसे ठीक करना चाहिए। क्लब फुट में, 1 पैर या दोनों पैर नीचे और अंदर की ओर होते हैं, और पैर का तलवा पीछे की ओर होता है। इसी तरह के जिले के ठाकुरगंज प्रखंड के अजमत रेजा, नूर इस्लाम, अंकुश एवं कोचाधामन प्रखंड के खात्तिजा ऐसी ही बीमारी से ग्रसित हैं। इन सभी का जन्म से ही पैर मुड़ा हुआ था। जो समय के साथ बढ़ता ही जा रहा था। इसे चिकित्सकीय भाषा में क्लब फुट कहते हैं। सही समय पर इसका ऑपरेशन नहीं करवाने की स्थिति में यह जिंदगी भर अपाहिज बना सकता है। मामले की जानकारी मिलने पर सिविल सर्जन डॉ. राजेश कुमार ने जिले में कार्यरत राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) के डिस्ट्रिक्ट एर्ली इन्वेंशन सेंटर (डीईआईसी) द्वारा इसे जेएलएनएमसीएच भागलपुर में भेजा। जहां इनका सफल ऑपरेशन होगा ।

जन्म के बाद से ही शुरू हो गया था पैर का मुड़ना :

आरबीएसके डीआईसी प्रबंधक सह जिला समन्वयक पंकज कुमार शर्मा ने बताया कि क्लब फुट रोग से ग्रषित चारों बच्चो के अभिभावक ने बताया कि जन्म के बाद से ही बच्चे का पैर मुड़ा हुआ था, और समय के साथ बढ़ता ही जा रहा था। शुरुआत में इसे नजरअंदाज कर दिया। परंतु आरबीएसके की टीम के द्वारा बच्चे को चिह्नित किया गया तथा राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आईबीएसके) के डिस्ट्रिक्ट एर्ली इन्वेंशन सेंटर (डीईआईसी) भेजा गया। यहां चिकित्सक द्वारा जांच के बाद बच्चे को क्लब फुट से ग्रसित पाया गया और इसके इलाज के लिए जेएलएनएमसीएच भागलपुर गया। जहां ऑपरेशन कर के इसे ठीक किया जायेगा। जिससे उबरने के लिए ऑपरेशन ही एकमात्र विकल्प होता है। सिविल सर्जन के आदेश से बच्चे को तुरंत एम्बुलेंस के माध्यम से जेएलएनएमसीएच भागलपुर भेजा गया। वहां आरबीएसके समन्वयक की देखरेख में सर्जन से बच्चे का सफल ऑपरेशन करवाया जायेगा । ऑपरेशन के बाद सभी प्रकार की जांच सही आने के बाद फिर एम्बुलेंस द्वारा बच्ची व उनके परिजन को घर तक पहुंचाया जायेगा ।

नहीं होगा परिवार को कोई भी खर्च :

जिला कार्यक्रम प्रबंधक डॉ मुनाजिम ने बताया कि पूरी जांच और ऑपरेशन की प्रक्रिया आरबीएसके टीम द्वारा ही की जाएगी। इस पूरी प्रक्रिया में परिजनों को किसी तरह का कोई भी खर्च नहीं करना पड़ेगा। ऑपरेशन के बाद भी बच्चे का फीडबैक के लिए टीम के द्वारा उनके घर जाकर नियमित जानकारी ली जाती है। आरबीएसके टीम बच्चों के बेहतर स्वास्थ्य के लिए नियमित रूप से कार्यरत है।

आरबीएसके के तहत 30 रोगों का इलाज किया जाता है

आरबीएसके डीआईसी प्रबंधक सह जिला समन्वयक पंकज कुमार शर्मा ने बताया कि सभी बच्चो का राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत सफल इलाज किया जायेगा। इसके लिए जिले के राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम की पूरी टीम धन्यवाद की पात्र है। जिन्होंने बच्ची के ह्रदय एवं अन्य इलाज के लिए स्क्रीनिंग का कार्य किया है। 18 साल तक के बच्चों को किसी प्रकार की गंभीर समस्या होने पर आईजीआईएमएस, एम्स, पीएमसीएच इलाज के लिए भेजा जाता है। टीम में शामिल एएनएम, बच्चों का वजन, उनकी लंबाई व सिर एवं पैर आदि की माप आदि करती हैं। फॉर्मासिस्ट ,रजिस्टर में स्क्रीनिंग किये गये बच्चों का ब्योरा तैयार करते हैं। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत 0 से 18 साल तक के सभी बच्चों को चार मुख्य समस्याओं पर केंद्रित किया जाता है। इनमें डिफेक्ट एट बर्थ, डिफिशिएंसी डिसीज, डेवलपमेंट डीले तथा डिसएबिलिटी आदि शामिल हैं। इससे जुड़ी सभी तरह की बीमारी या विकलांगता को चिह्नित कर इलाज किया जाता है। आरबीएसके के तहत 30 तरह की बीमारियों का इलाज किया जाता है।

आरबीएसके टीम से संपर्क कर लोग निःशुल्क समुचित स्वास्थ्य सुविधा का उठा सकते हैं लाभ :

सिविल सर्जन डॉ राजेश कुमार ने बताया कि इस तरह किसी भी रोग से ग्रषित बच्चो के अभिभावक अपने बच्चों को नजदीकी स्वास्थ्य संस्थान में आरबीएसके टीम से संपर्क कर निःशुल्क समुचित स्वास्थ्य सुविधा का लाभ दिला सकते हैं। जानकारी उपलब्ध कराने के पश्चात आवश्यक चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। इस समस्या से पीड़ित बच्चों के स्थाई निजात के लिए समय पर इलाज शुरू कराना जरूरी है। अन्यथा, परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। जिन बच्चों के होठ कटे हैं उसका 03 सप्ताह से 03 माह के अंदर, जिसके तालु में छेद (सुराग) है उसका 06 से 18 माह में एवं जिसका पैर टेढ़े-मेढ़े है उसका 02 सप्ताह से 02 माह के अंदर शत-प्रतिशत सफल इलाज संभव है। इसलिए, जो उक्त बीमारी से पीड़ित बच्चे हैं, उसके अभिभावक अपने बच्चों का आरबीएसके टीम के सहयोग से समय पर मुफ्त इलाज शुरू करा सकते।

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