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यह सत्य है कि सासु मां की जगह अपनी मां कभी नहीं ले सकती – बहू

ये सत्य है कि सासु मां की जगह मां नहीं ले सकती। (कुछ को छोड़कर) विश्वास ना हो तो आजमा कर देख लो। मां बेटी को विदा करते समय भी कटौती कर देती है, पर सासु मां अपना भी सब कुछ  सौंप देती है। बहु के आने से पहले कमरा with attached letbath तैयार करवा देती है। विचार करना कभी माएं करवाती है ? जो कपड़े शादी से पहले ना पहनें हो , वो आज की बहुएं सासु मां के आंगन में पहनती हैं।जिन सुंदर जगहों के बारे में केवल सुना हो, ससुराल में आते ही सासु मां ही योजना बना देती है। रसोई में घर में क्या है क्या नहीं है उसकी list बना ससुरजी के हाथों में थमा देती है । पर क्या कभी किसी मां ने बेटी के लिए पिता को list थमाई है ? जब घर आंगन में पोते पोती आए तो सासु मां ने लाड ही नहीं लड़ाए बल्कि भविष्य की भी सोच डालीं। और मां ने सिर्फ जामना और भातमायरे की ही सोची। और आजकल तो वो भी……. और जब सासु मां का शरीर जवाब दें गया। तो घर ही सौंप दिया। और खुद एक कमरे में सिमट गई। लिखने को तो बहुत है। बाकी फिर कभी। बस एक निवेदन है बहुओं से एक दिन सासुओं का भी मना लिया करो dp में अपने संग सासुओं को भी लगा लिया करो।

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