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किशनगंज : शिशु एवं छोटे बच्चे को सुपोषित आहार की आवश्यकता को ले स्वास्थ्यकर्मियो का चार दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम की हुई शुरुआत।

नवजात शिशुओं की रक्षा के लिए पूरक आहार एवं स्तनपान जरूरी।

  • मृत्यु दर में कमी लाने एवं कुपोषण से बचाने में स्तनपान की भूमिका महत्वपूर्ण।

किशनगंज/धर्मेन्द्र सिंह, जिले में नौनिहालों एवं माताओं के उत्तम स्वास्थ्य के लिए लगातार पहल की जा रही है। संस्थागत प्रसव के साथ ही नियमित टीकाकरण, नियमित स्तनपान जैसे महत्वपूर्ण कार्यक्रम के माध्यम से मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य की बुनियाद को मजबूत किया जा रहा है। इसी क्रम में स्तनपान को बढ़ावा देने के लिए शिशु एवं छोटे बच्चे को सर्वोतम आहार लिए गुरुवार को एएनएम एवं स्वास्थ्यकर्मियो का चार दिवशीय प्रशिक्षण कार्यक्रम की शुरुआत की गयी है। जिले के सदर अस्पताल में शिशु एवं छोटे बच्चों के आहार पर राष्ट्रीय दिशा निर्देशों पर सभी प्रखंड के एएनएम को 09 से अगले 12 फ़रवरी तक प्रशिक्षण दिया जा रहा है। उक्त प्रशिक्षण कार्यक्रम के बारे में सिविल सर्जन डॉ कौशल किशोर ने बताया कि शिशु को जन्म के पहले छह महीनों में विशेष रूप से स्तनपान कराया जाना चाहिये ताकि इष्टतम विकास एवं स्वास्थ्य की प्राप्ति हो सके। इसके बाद उनकी विकसित होती पोषण संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये शिशुओं को पर्याप्त एवं सुरक्षित पूरक खाद्य पदार्थ दिये जाने चाहिये। जबकि स्तनपान दो साल या उससे अधिक समय तक कराया जाना चाहिये। जिला योजना समन्वयक विश्वजीत कुमार ने प्रतिभागियों को बताया कि निमोनिया से बचाव के लिए सबसे बेहतर स्वास्थ्य सेवा की उपलब्धता स्थापित कर बच्चों को बीमारी से बचाया जा सकता है। नवजात शिशुओं की रक्षा की जा सकती है। छ: माह तक लगातार स्तनपान कराना बेहतर है। क्योंकि उचित पूरक आहार के साथ स्तनपान जारी रखने से निमोनिया होने एवं उसकी गंभीरता से रक्षा होती है। वहीं विटामिन ए की उचित खुराक बच्चे की इम्युन सिस्टम की रोग से लड़ने की क्षमता को बढ़ाती है। साथ ही अन्य किसी भी कारण से होने वाली मृत्यु से रक्षा भी करती है। स्वच्छ वातावरण एवं यूनिवर्सल टीकाकरण सुनिश्चित कर बच्चों को निमोनिया होने से रोका जा सकता है। खसरा, एमएमआर, पेंटावेलेंट वैक्सीन, न्यूमोकोकल वैक्सीन जैसे टीकों के उपयोग से संक्रमण द्वारा होने वाले प्रकरणों को कम करने के साथ ही मृत्यु को भी रोका जा सकता है। पांच वर्ष से कम आयु वर्ग के नवजात शिशुओं में 14 से 15% मृत्यु सिर्फ़ निमोनिया के कारण हो जाती है। इसीलिए निमोनिया प्रबंधन पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। इसके लिए प्रोटेक्ट, प्रीवेंट एवं ट्रीटमेन्ट मोड पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है। वही प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रशिक्षक डॉ जियायुर रहमान ने बताया कि 6 माह के बाद बच्चों में शारीरिक एवं मानसिक विकास तेजी से शुरू हो जाता है। इसलिए 6 माह के बाद सिर्फ स्तनपान से जरूरी पोषक तत्त्व बच्चे को नहीं मिल पाता है। इसलिए छ्ह माह के उपरान्त अर्ध ठोस आहiर जैसे खिचड़ी, गाढ़ा दलिया, पका हुआ केला एवं मूंग का दाल दिन में तीन से चार बार जरूर देना चाहिए। दो साल तक अनुपूरक आहार के साथ माँ का दूध भी पिलाते रहना चाहिए ताकि शिशु का पूर्ण शारीरिक एवं मानसिक विकास हो पाए। उन्होंने बताया कि उम्र के हिसाब से ऊँचाई में वांछित बढ़ोतरी नहीं होने से शिशु बौनेपन का शिकार हो जाता है। इसे रोकने के लिए शिशु को स्तनपान के साथ अनुपूरक आहार जरूर देना चाहिए। वही डीडीए सुमन सिन्हा ने प्रशिक्षण में बताया की विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार 6 माह से 8 माह के बीच प्रतिदिन 615 किलो कैलोरी, 9 माह से 11 माह के बीच 686 किलो कैलोरी एवं 12 माह से 23 माह के बीच 894 किलो कैलोरी की जरूरत शिशुओं को होती है। जिसमें स्तनपान के जरिए 6 माह से 8 माह के बीच 413 किलो कैलोरी, 9 माह से 11 माह के बीच 379 किलो कैलोरी एवं 12 माह से 23 माह के बीच 346 किलो कैलोरी की आपूर्ति हो पाती है। इस लिहाज़ से स्तनपान के अलावा शिशुओं को 6 माह से 8 माह के बीच 200 किलो कैलोरी, 9 माह से 11 माह के बीच 300 किलो कैलोरी एवं 12 माह से 23 माह के बीच 550 किलो कैलोरी की अतिरिक्त ऊर्जा की जरूरत होती है।

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