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देश के मशहूर चिकित्सक केके अग्रवाल का कोरोना संक्रमण से निधन हो गया।।…

त्रिलोकी नाथ प्रसाद-  लोगों को जो बात परेशान कर रही है, वह यह कि उनको वैक्सीनी की दोनों खुराक लगायी गयी थी. इस विषय पर मेदांता हॉस्पिटल के चिकित्सक अरविंद कुमार ने कहा कि कई कारण हो सकते हैं. जिनसे पूरी तरह टीकाकरण के बाद भी संक्रमण हो जाए. उन्होंने एक समाचार चैनल से बातचीत में कहा कि इस पर शोध की जरूरत है. हालांकि इसी के साथ उन्होंने तीन कारण बताये, जिनके कारण वैक्सीनेशन के बाद भी मृत्यु हो सकती हैं.

क्या दोनों डोज लगने के बावजूद कोई गारंटी नहीं

डॉ कुमार ने कहा कि वैक्सीन लगा चुके जो निधन हुए, उनकी पिछले साल से तुलना करें तो एक बात तो साफ है कि इस बार मृतकों की संख्या कम है. हमने फेज 3 ट्रायल्स, में डेथ दर 0% मानी थी. मगर हकीकत अलग नजर आ रहे हैं. इसके कई कारण हो सकते हैं.

मेदांता अस्पताल, गुरुग्राम के डा अरविंद कुमार ने कहा कि इन मरीजों में दोनों डोज लगने के बाद भी ऐंटीबॉडीज का निर्माण नहीं हुआ. अगर ऐंटीबॉडीज बनीं तो पर्याप्तय मात्रा में नहीं बनीं या जिस क्लास की न्यूट्रलाइजिंग ऐंटीबॉडीज की जरूरत होती है, वो नहीं बनीं. तीसरी सूरत ये है कि जो ऐंटीबॉडीज थीं, वे वायरस के इस स्ट्रैन पर कारगर नहीं हैं.

मेदांता के इस चिकित्सक ने जनता से अपील करते हुए कहा कि इसका अर्थ यह नहीं कि वैक्सीन बेकार है. इससे 100% प्रोटेक्शेन नहीं है, लेकिन फिर भी मृत्यु, गंभीर बीमारी से बचाने में यह काफी सफल है. आज की तिथि में यह हमारा सबसे मजबूत हथियार है.

ट्रायल में नहीं गयी थी किसी की जान
इसके अतिरिक्त डॉक्टर कुमार ने बताया कि पिछले वर्ष कोरोना वैक्सीन के फेज तीन में ट्रायल हुए थे. उस दौरान ये देखा गया कि वैक्सीन लगाने के बाद भी 25-30 प्रतिशत लोग संक्रमित हो गए थे. हालांकि उस दौरान इस ट्रायल में सभी वॉलंटियर्स में इन्फेक्शन माइल्ड वैरायटी का था. किसी को भी अस्पताल में भर्ती होने या फिर वेंटिलेटर की नौबत नहीं आयी. इस समूह में किसी की जान नहीं गयी थी.

बताया कि करीब एक-डेढ़ महीने पहले तक, जब भारत में कोरोना की दूसरी लहर नहीं पहुंची थी, तब तक भी यही कहा जा रहा था कि वैक्सीन के दोनों डोज लगवाने के बाद वेंटिलेटर पर जाने, आईसीयू या फिर जान जाने की नौबत नहीं आती है. लेकिन यह धारणा अब बदल गई है. पिछले कुछ दिनों से सामने आ रहा है कि कई डॉक्टर, पत्रकार या फिर फ्रंट लाइन वर्कर्स जो वैक्सिनेटेड थे, उनकी हालत पेचिदा हुई या फिर उनकी जान चली गयी.

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