किशनगंज : नियमित टीकाकरण से होती है बच्चों की सुरक्षा।

कई जानलेवा बीमारियों से होता है बचाव, समय पर कराएं टीकाकरण, आंगनबाड़ी केंद्रों व स्वास्थ्य केंद्रों पर भी निःशुल्क उपलब्ध है टीका।
- बच्चे के जन्म लेते ही उन्हें–ओरल पोलियो, हेपेटाइटिस बी, बीसीजी।
- डेढ़ महीने बाद–ओरल पोलियो-1, पेंटावेलेंट-1, एफआईपीवी-1, पीसीवी-1, रोटा-1
- ढाई महीने बाद–ओरल पोलियो-2, पेंटावेलेंट-2, रोटा-2
- साढ़े तीन महीने बाद–ओरल पोलियो-3, पेंटावेलेंट-3, एफआईपीवी-2, रोटा-3, पीसीवी-2
- नौ से 12 माह में–मीजल्स-रुबेला 1, जेई 1, पीसीवी-बूस्टर, विटामिन ए
- 16 से 24 माह में-मीजल्स-रुबेला 2, जेई 2, बूस्टर डीपीटी, पोलियो बूस्टर, जेई 2
किशनगंज/धर्मेन्द्र सिंह, नवजात के स्वस्थ शरीर निर्माण के लिए उचित देखभाल बेहद जरूरी और सबसे महत्वपूर्ण है। इसे सुनिश्चित करने में सबसे बड़ा योगदान नवजात की माँ का ही होता है। किन्तु, इसमें थोड़ी सी लापरवाही बड़ी परेशानी का कारण बन जाती है और नवजात बार-बार बीमार होने लगता है। जिससे वह शारीरिक रूप से भी बेहद कमजोर होने लगता है। बार-बार बीमार होना कमजोर रोग-प्रतिरोधक क्षमता का बड़ा संकेत है। इसलिए, जन्म के बाद नवजात की रोग-प्रतिरोधक क्षमता समेत अन्य देखभाल को लेकर पूरी तरह सजग रहें। नियमित टीकाकरण जरूरी होता है, इससे बच्चों के शरीर की रक्षा होती है। नियमित टीकाकरण के तहत बक्सर जिले में अप्रैल 2022 से लेकर अब तक 94 प्रतिशत लक्ष्य की प्राप्ति हो सकी है। जिसमें और सुधार की आवश्यकता है। इसी क्रम में जिले के दिघलबेंक प्रखंड के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में एएनएम्, आशा को सर्वे रजिस्टर व ड्यू लिस्ट का सत्यापन एवं नियमित टीकाकरण अनुश्रवण व सुदृढ़ीकरण के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ टी एन रजक ने बताया की टीकाकरण से बच्चों के शरीर के अंदर रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है जिससे वे विभिन्न प्रकार की बीमारियों से सुरक्षित होते हैं। बच्चों के नियमित टीकाकरण से वे जल्दी किसी भी बीमारी की चपेट में नहीं आते हैं। समय पर टीकाकरण नहीं कराने वाले बच्चों के बीमार होने का खतरा अधिक होता है, ऐसे बच्चे बार-बार बीमार होकर कमजोर व कुपोषित हो जाते हैं जिसका असर उनके शरीर एवं मन पर पड़ता है। जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ देवेन्द्र कुमार ने बताया की छह जानलेवा बीमारियों से बचाव के टीके लगाना सभी बच्चों के लिए जरूरी होता है। खसरा, टिटनस, पोलियो, क्षय रोग, गलघोंटू, काली खांसी और हेपेटाइटिस बी जैसे रोगों से बचने के लिए समय पर टीकाकरण जरूरी है। कुछ टीके गर्भवती महिलाओं को भी लगाए जाते हैं, जिससे उन्हें व होने वाले शिशु को टिटनस व अन्य गंभीर बीमारियों से बचाया जा सके। बच्चों को जुकाम, बुखार होने पर उन्हें टीका न लगवायें। सिविल सर्जन डॉ कौशल किशोर ने बताया की कोरोना काल से जिले में नियमित टीकाकरण के साथ साथ कोविड टीकाकरण भी चलाया जा रहा है। लेकिन, फ्रंटलाइन वर्कर्स व अधिकारियों को यह समझना होगा कि नियमित टीकाकरण से अधिक जटिल है नियमित टीकाकरण। क्योंकि इसमें एक लाभुक को संपूर्ण टीकाकृत करने के लिए कई बार फॉलोअप करना पड़ता है। इसलिए इसे प्राथमिकता के आधार पर रख कर किया जाना चाहिए। उन्होंने बताया कि शत-प्रतिशत लाभार्थियों का नियमित टीकाकरण सुनिश्चित कराने को जिले भर में अभियान चलाया जाएगा। जिसके माध्यम से प्रत्येक लाभार्थियों को चिह्नित कर टीकाकृत किया जाएगा। इस कार्य में स्वास्थ्य विभाग से जुड़ी आशा कार्यकर्ता समेत आंगनबाड़ी सेविका सहित अन्य कर्मियों का सहयोग लिया जाएगा। नियमित टीकाकरण की स्थिति में सुधार के लिए प्रखंडस्तर पर कोल्ड चेन में वैक्सीन का रख रखाव बेहतर ढंग से करने के निर्देश दिये गए हैं। प्रखंडस्तर पर एएनएम, आशा, आशा फैसिलिटेटर की क्षमता वर्धन किया जा रहा है।