चौपारण ने 25 एवं 26 अक्टूबर 2022 को दो दिवसीय गायत्री दीप यज्ञ एवं हवन यज्ञ संपन्न हुआ।
त्रिलोकी नाथ प्रसाद -जगदीशपुर, चौपारण ने 25 एवं 26 अक्टूबर 2022 को दो दिवसीय गायत्री दीप यज्ञ एवं हवन यज्ञ संपन्न हुआ। इस मौके पर युग ऋषि परम पूज्य गुरुदेव पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य जी के दिव्य संदेश को भजन एवं सत्संग के द्वारा लोगों को श्रवण कराए। नकुल देव जी ने कहा कि हम सभी भारतीय संस्कृति यानि देव संस्कृति को मानने वाले हैं।यज्ञ को देव संस्कृति के पिता एवं गायत्री को माता कहा गया है। गायत्री अर्थात सद्बुद्धि , यज्ञ अर्थात सत्कर्म। ऋषि याज्ञवल्क्य के अनुसार यज्ञ एवं गायत्री एक ऐसे राजहंस है इसका एक पंख व्यक्ति को भौतिक सुख प्रदान करता है एवं दूसरा पंख आध्यात्मिक सुख प्रदान करता है। यज्ञ शब्द का भावार्थ है पवित्रता, प्रखरता, एवं उदारता। यज्ञ को इस संसार का सर्वश्रेष्ठ कर्म माना गया है। यज्ञमय जीवन अर्थात त्याग परोपकार एवं आदर्श में जीवन जी कर ही हम स्वयं सुख शांति प्राप्त कर सकते हैं एवं विश्व में शांति कायम की जा सकती है। इसलिए हर घर घर में यज्ञ एवं गायत्री को पहुंचाने का कार्य अखिल विश्व गायत्री परिवार के द्वारा निरंतर जारी है। इस कार्य में हर व्यक्ति को अपना समय साधन एवं पुरुषार्थ अवश्य लगाना चाहिए। क्योंकि यह युग निर्माण का कार्य चल रहा है। और यह योजना किसी व्यक्ति की नहीं भगवान महाकाल की योजना है। पूरे विश्व में परिवर्तन का नजारा दिख रहा है, और परिवर्तन सुनिश्चित भी है। महाकाल का उद्घोष है परिवर्तन का चक्र चल रहा है सभी बदल जाएंगे, जो ना बदल पाएंगे अपने आप को कुचल जाएंगे।
इसलिए समय रहते सबको इस अभियान से जुड़ जाना चाहिए। समय रहते जगो साथी न किंचित देर हो जाए, सजाते तुम रहो दीपक, कि तब तक भोर हो जाए। भाई बहनों समय को जिसने पहचाना है उसका जीवन अवश्य धन्य हुआ है। समय को हनुमान ने पहचाना, गिद्ध गिलहरी, ग्वाल बालों ने पहचाना भगवान के कार्य में साझेदारी के जीवन धन्य हो गया। जिसने पहचाना है युग को क्षणभर नहीं गंवाते है, समय चुक जाने वाले तो अंत समय पछताते हैं। इसलिए हम सबों को भी इस महा अभियान से जुड़कर अपने जीवन को धन्य बनाना चाहिए।