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किशनगंज : मधुमेह से पीड़ित गर्भवती महिलाएं रहें सावधान और सतर्क, गर्भावस्था के दौरान उचित प्रबंधन जरूरी

उचित प्रबंध से सुरक्षित प्रसव संभव, चिकित्सा परामर्श का करें पालन, लापरवाही से गर्भवती के साथ-साथ गर्भस्थ शिशु को भी परेशानियां का करना पड़ सकता है सामना

किशनगंज, 20 मार्च (के.स.)। धर्मेन्द्र सिंह, बदलते जीवनशैली और परिवेश के साथ-साथ मधुमेह की समस्या भी आम हो गई है। वर्तमान दौर में इस परेशानी से किसी भी आयु वर्ग के लोग पीड़ित हो सकते हैं। इसका प्रमाण यह है कि दिनों-दिन लगातार ऐसे पीड़ित लोगों की संख्या में वृद्धि हो रही है। ऐसे में लोगों को इससे बचाव के लिए सतर्क और सावधान रहने की जरूरत है। खासकर मधुमेह से पीड़ित हो चुकी गर्भवती महिलाओं को तो और सतर्क व सावधान रहने की जरूरत है। दरअसल, गर्भावस्था के दौरान ऐसी पीड़ित महिलाओं को अपने स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहने से सुरक्षित और सामान्य प्रसव संभव है। इसको लेकर सरकार द्वारा भी हर जरूरी प्रयास किया जा रहा है। स्थानीय स्तर भी समुचित जांच और उचित प्रबंधन की व्यवस्था की गई है। इसलिए ऐसे पीड़ित गर्भवती को गर्भावस्था के दौरान समय-समय पर अपने नजदीकी स्वास्थ्य संस्थान में जांच जरूर करानी चाहिए। सिविल सर्जन डा. राजेश कुमार ने बताया, गर्भावस्था के दौरान मधुमेह से पीड़ित महिलाओं का समय पर जांच और आवश्यक उपचार जरूरी है। अन्यथा थोड़ी-सी लापरवाही बड़ी परेशानी का सबब बन सकती है। दरअसल, मधुमेह के प्रति लापरवाही करने से ना केवल गर्भवती को परेशानियां से सामना पड़ सकता बल्कि, गर्भस्थ शिशु का विकास भी प्रभावित हो सकता है। इसलिए गर्भवती महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान मधुमेह की जांच जरूर करानी चाहिए। ताकि समय पर परेशानी का पता चल सके और ससमय ही जरूरी इलाज सुनिश्चित हो सके। जिले के सभी स्वास्थ्य स्थानों में मधुमेह जांच की मुफ्त सुविधा उपलब्ध है। सिविल सर्जन डॉ राजेश कुमार ने बताया की यदि समय से उपचार नहीं हो पता है तब आगे चलकर प्रसूता एवं गर्भस्थ शिशु में विभिन्न जटिलताएं हो सकती एवं दोनों टाइप-2 मधुमेह से पीड़ित हो सकते हैं। इससे गर्भवती में इन्फेक्शन, प्रसव अवधि में बढ़ोतरी, जटिलतापूर्ण प्रसव, सिजेरियन प्रसव, प्रसव के बाद गर्भाशय का सिकुड़ नहीं पाना एवं प्रसव के बाद अत्यधिक रक्त स्राव जैसी तमाम जटिल समस्या उत्पन्न हो सकती है। जिससे प्रसूता की जान पर भी खतरा उत्पन्न हो सकता है। गर्भावस्था जनित मधुमेह से गर्भस्थ शिशु को भी समस्या हो सकती है। इससे गर्भस्थ शिशु की मृत्यु, मृत शिशु का जन्म, बर्थ डिफेक्ट, बर्थ इन्जरी एवं नवजात शिशु में ग्लूकोज की कमी के साथ पहले तीन महीने में अचानक गर्भपात की संभावना 30 से 60 प्रतिशत तक हो सकती है। सदर अस्पताल में कार्यरत महिला चिकित्सा पदाधिकारी डॉ शबनम यास्मीन ने बताया की इसके उपचार के लिए सरकार द्वारा तीन व्यवस्थाएं की गयी हैं। पहला भोजन एवं पोषण संबंधित, दूसरा दवाई द्वारा एवं तीसरा इन्सुलिन इंजेक्शन के द्वारा। गर्भावस्था में मधुमेह से पीड़ित महिला को पोषण संबंधी जानकारी दी जानी जरूरी है। जिससे वह समझ सके कि गर्भस्थ शिशु के विकास के लिए पोषण युक्त आहार क्या है। उपयुक्त वजन में बढ़ोत्तरी कितनी होनी चाहिए एवं खून में सामान्य ग्लूकोज स्तर को प्राप्त करने एवं बनाये रखने के लिए कितना और कौन सा भोजन लेना है। जिन मधुमेह पॉजिटिव महिलाओं का मधुमेह, पोषण संबंधित उपचार से नियंत्रित नहीं होता है, उन्हें दवा दी जाती है। साथ ही जब दवा सेवन के बाद भी मधुमेह अनियंत्रित होता है तब चिकित्सक द्वारा इंजेक्शन द्वारा इन्सुलिन की डोज दी जाती है।

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