किशनगंज : सर्वाइकल कैंसर से बचाव है बहुत जरूरी
30-45 की उम्र की महिलाओं को सर्वाइकल कैंसर का खतरा अधिक, कैंसर लाइलाज नहीं, समय से पहचान व इलाज है जरूरी: सिविल सर्जन

किशनगंज, 20 मार्च (के.स.)। धर्मेन्द्र सिंह, सर्वाइकल कैंसर से बचाव बहुत जरूरी है जो गर्भाशय ग्रीवा से शुरू होकर लिवर, ब्लैडर, योनि, फेफड़ों और किडनी तक फैल जाता है। सिविल सर्जन डॉ राजेश कुमार ने बताया कि आंकड़ों की बात मानें तो ब्रेस्ट कैंसर के बाद 25 प्रतिशत महिलाओं में मौत का दूसरा कारण सर्वाइकल कैंसर है। उन्होंने बताया सर्वाइकल कैंसर गर्भाशय ग्रीवा से शुरू होकर शरीर के दूसरे अंगों तक फैलता है। गर्भाशय ग्रीवा एक सरफेस से कवर होती है, जिसके सेल्स में कैंसर विकसित होता है। यह बीमारी ज्यादातर पैपीलोमा वायरस के कारण होती है। 30-45 की उम्र में महिलाओं को सर्वाइकल कैंसर का सबसे अधिक खतरा होता है। इसके अलावा अल्कोहल या सिगरेट पीना, एचपीवी संक्रमण के कारण, कम उम्र में मां बनना, बार-बार प्रेग्नेंट होना और असुरक्षित यौन सम्बन्ध बनाने के कारण महिलाएं इस बीमारी की चपेट में जल्दी आ जाती हैं। वहीं अब सर्वाइकल बायोप्सी कराने के लिए सिलीगुड़ी या अन्य बड़े शहरों का चक्कर नहीं लगाना होगा। क्योंकि सदर अस्पताल में बुधवार को चौथा सर्वाइकल बायोप्सी की गई है। अब तक सदर अस्पताल के एनसीडी क्लिनिक में 08 ओरल और 06 सर्वाइकल कैंसर मरीज की बायोप्सी जांच गैर संचारी रोग पदाधिकारी डा. उर्मिला कुमारी की देख रेख में की गयी। डा. उर्मिला कुमारी ने बताया की महिलाओं को पीरियड्स अनियमित, असामान्य रक्तस्राव, बार-बार यूरिन आना, पेट के निचले हिस्से व पेढू में दर्द या सूजन, बुखार, थकावट, भूख न लगना, वैजाइना से लाइट पिंक जेलनुमा डिस्चार्ज होना, इसके मुख्य लक्षण हैं। सर्वाइकल कैंसर से बचने के लिए चिकित्सक की सलाह पर महिलाओं को 2-3 वर्ष में एक बार पैप स्मीयर टेस्ट भी करवाना चाहिए। इससे समय रहते बीमारी का पता लग जाता है।
गैर संचारी रोग पदाधिकारी डॉ उर्मिला कुमारी ने बताया की निम्न सावधानियों से सर्वाइकल कैंसर से बचाव संभव
- असुरक्षित शारीरिक संबंध बनाने से बचें और एक से ज्यादा पार्टनर के साथ सम्बन्ध न बनाएं।
- धूम्रपान, शराब जैसी नशीली वस्तुओं से जितना हो सके दूरी बनाए रखे। इसमें निकोटीन होता है, जो गर्भाशय ग्रीवा में जमा होकर कैंसर सेल्स को बढ़ावा देता है।
- महिलाओं अपनी डाइट, सब्जियां, डेयरी प्रोडक्ट्स, फाइबर फूड्स, साबुत, अनाज, दही, सूखे मेवे बीन्स, आदि अधिक लें। साथ ही जंक फू्ड्स और बाहरी खाद्य पदार्थ से दूरी बनाये रखें।
- प्रतिदिन 30 मिनट व्यायाम व योग करें। इसके अलावा फिजिकल एक्टिविटी भी ज्यादा से ज्यादा करें और भोजन के बाद भी 10 मिनट जरूर टहलें। सबसे जरूरी बात अपना मोटापा कंट्रोल में रखें क्योंकि यह सिर्फ कैंसर ही नहीं बल्कि कई बीमारियों की जड़ है।
डा. उर्मिला कुमारी ने बताया बायोप्सी के माध्यम से आसानी और कम समय में कैंसर की पहचान हो जाती है। इसके लिए मरीज के प्रभावित इलाकों से टिशू नमूने के रूप में लिए जाते हैं। जिसके बाद मशीन से उसकी जांच होती है। हालांकि, बायोप्सी कई प्रकार की होती है। कई स्थानों पर ऑप्टिकल बायोप्सी की भी सुविधा है। उन्होंने बताया कि कैंसर की प्रारंभिक पहचान मरीज स्वयं कर सकते हैं। इसके लिए लक्षणों की पहचान जरूरी है। स्वयं जांच करने के लिए मरीज को अपने मुंह को साफ पानी से धोते हुए कुल्ला करना होगा। उसके बाद आइने के सामने अच्छी रोशनी में सफेद या लाल छाले,नहीं भरने वाले पुराने जख्म या घाव के साथ पूरा मुंह न खोल पाने जैसी बातों की जांच करनी है। यह परीक्षण महीने में एक बार अनिवार्य है। इससे कैंसर के लक्षणों की पहचान होगी। अगर मुंह के कैंसर के प्रारंभिक लक्षण दिखे, तो तुरंत उन्हें डॉक्टर की सलाह लेने को कहें। डा. राजेश कुमार ने बताया कि कैंसर अब लाइलाज बीमारी नहीं है। बस, इसका सही समय पर पता करना तथा शुरुआती लक्षण पर ध्यान देने की जरूरत है। ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं में इन दिनों स्तन कैंसर एवं पुरुषों में मुंह का कैंसर ज्यादा सामने आ रहा है। उन्होंने बताया कि तंबाकू सेवन मुख के कैंसर का प्रमुख कारण है। इसके लिए जिले के सभी स्वास्थ्य केन्द्रों की आशा कार्यकर्ता सीएचओ और एएनएम के माध्यम से लोगों को जागरूक किया जा रहा है।