राजनीति

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की भाजपा हटाओ-देश बचाओ रैली

पटना डेस्क:-केन्द्र की भाजपा-नीत नरेन्द्र मोदी सरकार भारत की संवैधानिक लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था के लिए नासूर बनती जा रही है। संक्षेप में कहें तो संपूर्ण संवैधानिक व्यवस्था मोदी सरकार की नीतियों, सिद्धांतों और कारनामों से आज खतरे में है। महात्मा गांधी ने आजाद भारत के लिए कहा था-‘‘एक भारत जिसमें सबसे गरीब भी यह महसूस करे कि यह उनका देश है, और इसको बनाने में इनकी प्रभावकारी आवाज रही है, एक ऐसा भारत जिसमें सभी समुदाय पूर्ण सद्भाव के साथ रहें।

आज गांधी के सपनों के भारत को उलटा जा रहा है। भाजपा के लोग और उसके गोद में बैठे कुछ टीवी चैनल नरेन्द्र मोदी को इस तरह प्रचारित कर रहे हैं, मानो मोदी ही भारत है और भारत को उन्होंने ही बनाया है। अभी द्रुत गति से चलने वाली एक ट्रेन का नाम है-‘नमो भारत’ (यानी नरेन्द्र मोदी भारत)। भाजपा व्यक्ति केन्द्रित सरकार चला रही है, जिसके आगे लोकतंत्र, सेक्युलरिज्म, संघीय ढांचा, धार्मिक सदभाव, आर्थिक-सामाजिक समानता, सामाजिक न्याय, धार्मिक सहिष्णुता, गरीबी उन्मूलन, रोजगार जैसे विषय मूल्यहीन हैं, महत्वहीन हैं। हिंसा, नफरत, आर्थिक-सामाजिक-धार्मिक भेदभाव, अशान्ति, महंगाई, बेरोजगारी से समाज परेशान है। खुद भाजपा शासित राज्य मणिपुर में हिंसा, तनाव, भय, आंतक और अशान्ति का वातावरण बना हुआ है। वहाँ की राज्य सरकार ने संपूर्ण मणिपुर क्षेत्र को अशांत घोषित किया। स्पष्ट है कि केन्द्र और राज्य की भाजपा सरकार समाज में शान्ति स्थापित करने में नाकाम है। सत्ता की राजनीति के लिए धर्म का दुरूपयोग किया जा रहा है। भाजपा और उसकी सरकार अपने झूठे वायदों के सहारे किसानों, युवकों, मजदूरों और अन्य कमजोर वर्गो को ठगने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ती है। संसद में महिला आरक्षण विधेयक पारित हो गया। संपूर्ण विपक्ष ने समर्थन किया। अब मोदी सरकार कह रही है कि वह 2029 में लागू हो सकेगा। महिलाओं के साथ यह धोखा नहीं तो क्या है?ै जाति आधारित जनगणना से भाजपा ने मना कर दिया। बिहार सरकार ने जाति आधारित गणना अपने खर्च से करायी। भाजपा इसका विरोध कर रही है, जबकि समूचे देश में इसकी मांग हो रही है। इस कार्यक्रम से आर्थिक-सामाजिक लोकतंत्र को मजबूत करने में सहायता मिलेगी। मोदी जी कहते है कि गरीब ही उनकी जाति है। उनकी प्राथमिकता है- गरीब। साढ़े नौ वर्ष के उनके शासन के कायों से उनके दावे का खुलासा होता है। गरीब अगर मोदी जी की जाति है तो अमीर किसकी जाति है। यह नहीं बोलते। लेकिन आँकड़े बोलते हैं कि देश के बड़े अमीर ही नरेन्द्र मोदी की जाति है। भारत के सबसे बड़े पूंजीपति मुकेश अंबानी की शुद्ध संपति 2016-2020 में 350 प्रतिशत बढ़ी। इसी अवधि में गौतम अदानी की यह संपत्ति 750 प्रतिशत बढ़ी। ये दोनों नरेन्द्र मोदी सरकार के प्रिय हैैं। बेरोजगारी की बात करें तो भारत में बेरोजगारी की दर 2011-2012 में 2.3 प्रतिशत थी। जबकि मोदी शासन में 2017-2018 में 6.6 प्रतिशत और 2018-2019 में 6.5 प्रतिशत थी। मोदी जी नौजवानों को दो करोड़ सालाना रोजगार देने का वादा कर के सत्ता में आये। लेकिन रोजगार की जगह बेरोजगारी बांट रहे हैं। वे यह युवकों के साथ धोखा है।
सबसे चौकाने वाली बात यह है कि केन्द्र सरकार की नीतियों और जनविरोधी कार्यो के खिलाफ आवाज दबायी जा रही है। केन्द्रीय जाँच एजेंसियों को इस काम में लगाया जा रहा है। सरकार कहती है-एक राष्ट्र एक चुनाव। यह अत्यन्त कठिन, अव्यावहारिक और संघीय ढांचे को नुकसान पहुंचाने वाला नारा है।
केन्द्र की भाजपा-नीत सरकार अब देश की आम जनता के लिए असहनीय हो गई है। अगर यह फिर सत्ता में आयी तो भारतीय संविधान पर खतरा बढ़ जायेगा। लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता, सामाजिक न्याय, शान्ति और सद्भाव तथा देश का संघीय ढ़ांचा, सब कुछ नष्ट हो जायेगा। दूसरी तरफ लोकसभा चुनाव से पहले ही भाजपा लड़खड़ा रही है। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की यह रैली संकल्प लेती है कि लड़खड़ाती भाजपा को एक जबर्दस्त धक्का मारा जाय ताकि वह पराजित हो जाय।

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की यह पटना रैली तमाम प्रगतिशील, देशभक्त्त, लोकतांत्रिक, धर्मनिरपेक्ष शत्तियों का आह्वान करती है की वे एकजुट होकर 2024 के लोकसभा चुनावों में भाजपा-आरएसएस सरकार को केन्द्रीय सत्ता से हटाकर विपक्षी गठबंधन- ‘इन्डिया’ -के नेतृत्व में एक जनपक्षी प्रगतिशील सरकार के गठन का मार्ग प्रशस्त करें।

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