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किशनगंज : जिले के सभी स्वास्थ्य संस्थानों में विशेष शिविर का किया गया आयोजन

गर्भवती महिलाओं को प्रसव पूर्व 04 जांच करानी है जरूरी, सुरक्षित मातृत्व व मातृ-शिशु मृत्यु दर में कमी लाना अभियान का उद्देश्य

किशनगंज, 09 मई (के.स.)। धर्मेन्द्र सिंह, प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत जिले में गुरुवार को सभी स्वास्थ्य संस्थानों में विशेष शिविर आयोजित किया गया। इसमें गर्भवती महिलाओं की जरूरी चिकित्सकीय जांच के साथ जरूरी दवा व परामर्श नि:शुल्क उपलब्ध कराया गया। अभियान के तहत हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर, हेल्थ सब सेंटर सहित अन्य संस्थानों में विशेष इंतजाम किये गये थे। एएनएम व आंगनबाड़ी सेविका के माध्यम से संबंधित पोषक क्षेत्र में अभियान से पूर्व ही गर्भवती महिलाओं को चिह्नित किया गया था। ताकि शत प्रतिशत गर्भवती महिलाओं की जांच संभव हो सके। साथ ही जिलाधिकारी तुषार सिंगला के दिशा-निर्देश के आलोक में डीआईओ डा. देवेन्द्र कुमार एवं डीपीएम डा. मुनाजिम, डीडीए सुमन सिन्हा, डीसीएम प्रशांत कुमार ने संयुक्त रूप से कोचाधामन, बहादुरगंज एवं टेढ़ागाछ, दिघलबैंक में एनसीडीओ डा. उर्मिला कुमारी एवं डीपीसी विश्वजीत कुमार पोठिया एवं ठाकुरगंज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में अभियान का निरीक्षण किया गया है। सिविल सर्जन डा. राजेश कुमार ने बताया कि सुरक्षित मातृत्व व जच्चा बच्चा की सुरक्षा के लिए प्रसव पूर्व चार जांच जरूरी है। जांच गर्भवती महिला व उनके गर्भस्थ शिशु के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए जरूरी है। इससे गर्भावस्था के दौरान होने वाली जोखिमों का आसानी से पता लगा कर इसे प्रबंधित किया जा सकता है। विभिन्न संक्रामक व जेनेटिक रोग से बच्चों की सुरक्षा के लिहाज से भी ये जरूरी है। इससे हाई रिस्क प्रेग्नेंसी को चिह्नित कर सुरक्षित व संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देना अभियान का मुख्य उद्देश्य है। डीआईओ डा. देवेन्द्र कुमार ने बताया कि गर्भावस्था के दौरान मुख्य रूप से खून, रक्तचाप, एचआईवी संबंधी जांच जरूरी है। गर्भस्थ बच्चे की सही स्थिति, एनीमिया, एचआईवी सहित अन्य रोगों से बचाव ही नहीं, प्रसव संबंधी जटिल मामलों को चिह्नित करने के लिहाज से ये महत्वपूर्ण है। इसलिये सभी गर्भवती माताओं को गर्भधारण के तुरंत बाद, प्रथम तिमाही के दौरन प्रथम जांच की सलाह दी जाती है। इसके बाद गर्भावस्था के चौथे या छठे महीने में दूसरी, छठे या आठवें महीने में तीसरी व नौवें महीने में चौथी जांच करानी चाहिये। एनसीडीओ डा. उर्मिला कुमारी ने बताया कि प्रसव अवधि के दौरान किसी भी प्रकार की परेशानी होने पर तुरंत जांच करानी चाहिए। दरअसल, समय पर जांच कराने से किसी भी प्रकार की परेशानी का शुरुआती दौर में ही पता चल जाता है और पता लगने पर ही उसे आसानी से दूर किया जा सकता है। इससे प्रसव के दौरान गर्भवती महिलाओं को किसी प्रकार की अनावश्यक शारीरिक परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता है। साथ ही सुरक्षित और सामान्य प्रसव को बढ़ावा देने के लिए गर्भवती महिलाओं को प्रसव पूर्व चार जांच कराना जरूरी है। सभी गर्भवती महिलाओं को आयरन एवं कैल्सियम की गोली का उचित मात्रा में सेवन करना जरूरी है। तभी गर्भावस्था के दौरान महिलाओं व उनके गर्भस्थ बच्चे का उचित शारीरिक व मानसिक विकास होता है। जब गर्भ तीन से छह महीने का हो तो महिलाएं सरकारी अस्पताल या स्वास्थ्य केंद्र या किसी संबद्ध प्राइवेट अस्पताल में नियमित जांच के लिए संपर्क कर सकती हैं। नियमित जांच से गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं की संभावना कम होगी। गर्भवती महिलाएं, खासकर आर्थिक तौर पर कमजोर तबकों की महिलाएं आम तौर पर कुपोषित होती हैं उन्हें गर्भधारण के दौरान महत्वपूर्ण पोषक तत्व भी नहीं मिलते। इसका नतीजा अक्सर यह होता है कि बच्चे किसी न किसी विकार के साथ पैदा होते है। साथ ही कुपोषण से पीड़ित होते हैं। यदि गर्भवती महिलाओं की समय-समय पर निगरानी की जाए तो नवजात शिशुओं में आने वाले कई विकारों को दूर किया जा सकता है। गरीबी और जागरुकता नहीं होने से, कमजोर तबकों की ज्यादातर महिलाएं समय पर चिकित्सकीय सलाह और देखरेख का लाभ नहीं उठाती। पीएमएसएमए से यह सुनिश्चित होगा कि सभी गर्भवती महिलाओं की हर महीने की 9 तारीख को मुफ्त चिकित्सकीय जांच होगी। वह देश के किसी भी सरकारी अस्पताल या प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में जाकर यह जांच करवा सकती हैं, नियमित फॉलो-अप लेने पर, यह कदम निश्चित तौर पर विकारों के साथ जन्म लेने वाले बच्चों की संख्या में कमी ला सकता है। निस्संदेह, चिकित्सकीय जांच के बाद उचित स्वास्थ्य निगरानी होनी चाहिए। इसके अलावा, आहार और पोषक पूरक तत्वों की जरूरत के मुताबिक उपलब्धता भी सुनिश्चित होती है। ज्यादातर महिलाएं तो दो वक्त की रोटी के लिए तरसती हैं, ऐसे में पर्याप्त पोषण और जरूरतों की पूर्ति उनके लिए मुश्किल ही प्रतीत होती है। एक बड़ी वजह यह भी है कि कई महिलाएं घर के कामकाज में इतनी व्यस्त रहती है कि अपने स्वास्थ्य की देखभाल ही नहीं करती। योजना से जिले में मातृत्व मृत्यु दर कम हो जाएगी। डीपीएम डा. मुनाजिम ने बताया की प्रधानमंत्री मातृत्व सुरक्षा योजना अभियान के तहत जिले में जननी सुरक्षा योजना, जिसमें गर्भवती महिलाएं सभी सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में मुफ्त प्रसव की सुविधा प्राप्त कर सकती है। सरकार प्रसव-पूर्व और प्रसव के बाद की देखरेख की सुविधाओं पर जितना खर्च कर रही है, उसमें कमी लाई जा सकती है। इसके लिए गर्भवती महिलाओं की नियमित जांच जिससे उन्हें समय पर उचित पोषण उपलब्ध होगा। ब्लडप्रेशर, हिमोग्लोबिन, यूरिन, शुगर, वजन जैसी जांचें शीघ्र तथा निशुल्क की जाती है साथ ही रिपोर्ट के आधार पर स्त्री रोग विशेषज्ञ अथवा चिकित्सक का परामर्श भी दी जाती है। विशेष जांच सेवाएं एचआईवी, सिफलिस, पीएचसी स्तर पर तथा हाइपोथयराइडिस जांच जिला स्तरीय चिकित्सा संस्थानों पर की जाती है। विशेषज्ञ की सलाह पर संस्थान पर उपलब्ध सोनोग्राफी सेवाएं भी सदर अस्पताल में उपलब्ध है। निर्धारित कक्ष में प्रसव पूर्व जांच के लिए प्रयुक्त उपकरण हार्ट मॉनिटर, परिक्षण टेबल, साइड पर्दा, खिड़की पर पर्दा, वॉशबेसिन, लिक्विड सोप, रनिंग वाटर की व्यवस्था उपलब्ध है। जिससे जिले में मातृत्व मृत्यु दर कम की जा सकेगी।

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