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किशनगंज : जिले के सदर अस्पताल सहित सभी प्रखंडों में शुरू हुआ सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़ा

सदर अस्पताल से जागरूकता रथ को किया गया रवाना

  • आगामी 15 जून तक आशा कार्यकर्ता घर-घर जाकर परिवार के सदस्यों को ओआरएस के इस्तेमाल की देंगी जानकारी
  • जिले के 04 लाख 7 हजार से अधिक घरों में ओआरएस पैकेट वितरण का है लक्ष्य

किशनगंज, 01 जून (के.स.)। धर्मेन्द्र सिंह, शिशु मृत्यु सबसे ज्यादा दस्त के कारण ही होती है। जिले में दस्त से होने वाले शिशु मृत्यु को शून्य स्तर तक लाने के उद्देश्य से 01 से 15 जून तक सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़ा मनाया जाएगा। साथ ही डायरिया से होने वाली मौत का मुख्य कारण निर्जलीकरण के साथ इलेक्ट्रोलाइट्स की कमी होना है। ओआरएस एवं जिंक के प्रयोग द्वारा डायरिया से होने वाली मौत को टाला जा सकता है। सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़ा के दौरान अन्तर्विभागीय समन्वय द्वारा दस्त के उपायों, दस्त होने पर ओआरएस एवं जिंक के प्रयोग, दस्त के दौरान उचित पोषण तथा समुचित इलाज के पहलुओं पर क्रियान्वयन किया जाना है। सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़ा की शुरुआत सदर अस्पताल में एसीएम्ओ सह प्रभारी सिविल सर्जन डा० सुरेश प्रसाद ने ओआरएस पैकेट एवं जिंक सिरप कोर्नर के उद्घाटन से की। साथ हीं बच्चों में इसका वितरण भी किया गया। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत दस्त से होने वाले शिशु मृत्यु दर को शून्य तक लाने के लिए सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़े का आयोजन किया जा रहा है। वहीं सदर अस्पताल से सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़ा को लेकर जागरूकता के लिए जागरूकता रथ भी रवाना किया गया। उक्त कार्यक्रम में जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डा० देवेन्द्र कुमार, उपाधीक्षक डा० उर्मिला कुमारी, डीपीएम डा० मुनाजिम, डीडीए सुमन सिन्हा, डीसीएम प्रशांत कुमार, यूनिसेफ के एसएमसी एजाज अफज, आईडीएसपी की रीना प्रवीन, सहित सभी स्वास्थ्य कर्मी उपस्थित हुए। जिले में अभियान के दौरान 04 लाख 7 हजार 48 घरों में आशा कार्य़कर्ताओं द्वारा 01 से 15 साल आयु वर्ग के कुल 3,29,857 बच्चों में ओआरएस का एक एक पैकेट वितरण का लक्ष्य रखा गया है। आशा कार्यकर्ता ओआरएस के पैकेट वितरण और इसके इस्तेमाल की जानकारी देंगी। इसके अलावा सभी प्रखंड में प्रखंड विकास पदाधिकारी एवं प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी के द्वारा कार्यक्रम की शुरुआत की गयी। जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी को इस अभियान के लिए नोडल पदाधिकारी बनाया गया है। डा० देवेन्द्र कुमार ने बताया कि दस्त नियंत्रण पखवाड़ा के दौरान जिले के सभी प्रखंडों के पांच वर्ष तक के कुल 3,29,857 बच्चों को लक्षित किया गया है। अभियान के तहत स्वास्थ्य उपकेंद्र, अतिसंवेदनशील क्षेत्र, शहरी झुग्गी-झोपड़ी, निर्माण कार्य में लगे मजदूरों के परिवार, ईंट-भट्ठे के निर्माण वाला क्षेत्र, अनाथालय और ऐसे चिह्नित क्षेत्र जहां दो तीन वर्ष पूर्व तक दस्त के मामले अधिक संख्या में पाये गये हों, छोटे गांव व टोले जहां साफ सफाई और पानी की आपूर्ति एवं स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी हो, ऐसी जगहों को प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में रखा गया है। जिला प्रतिरक्षण कार्यालय से अभियान की 15 दिनों तक लगातार निगरानी की जाएगी। एसीएम्ओ सह प्रभारी सिविल सर्जन डा० सुरेश प्रसाद ने बताया कि सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़ा का क्रियान्वयन सही तरीके से हो, इसे लेकर आशा कार्यकर्ताओं ने क्षेत्र के पांच वर्ष तक के बच्चे वाले घरों की सूची बना ली है। अभियान के दौरान पांच वर्ष से कम उम्र वाले बच्चों के घरों में प्रति बच्चा एक-एक ओआरएस पैकेट का वितरण करना है। आशा कार्यकर्ता परिवार के सदस्यों को ओआरएस के घोल बनाने और इसके उपयोग की विधि और इसके लाभ के बारे में भी बताएंगी। परिवार के सदस्यों को साफ-सफाई और हाथ धोने के तरीकों की जानकारी भी देंगी। परिवार के सदस्य को दस्त होने के दौरान बच्चे को जिंक का उपयोग करने की जानकारी दी जाएगी। जिंक का प्रयोग करने से दस्त की तीव्रता में कमी आ जाती है। दस्त ठीक नहीं होने पर गंभीर स्थिति में बच्चे को नजदीक के स्वास्थ्य केंद्र पर ले जाने की सलाह परिवार के सदस्यों को दी जाएगी। पखवाड़ा के दौरान दस्त के कारण हुई मृत्यु की रिपोर्ट प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी को देनी है। दस्त से ग्रसित अति गंभीर कुपोषित बच्चों को रेफर करना है और घर पर पीने के पानी को शुद्ध करने के लिए क्लोरीन गोली के उपयोग को भी बढ़ावा देना है।

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