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केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने भूविज्ञान के क्षेत्र में सहयोग के लिए भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच समझौता ज्ञापन को मंजूरी दी

त्रिलोकी नाथ प्रसाद-इस समझौता ज्ञापन से पूर्वी हिमालय क्षेत्र और लद्दाख के वितलीयशैलों से जुड़े भूगर्भीयज्ञान को बढ़ावा मिलेगा प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल नेभूविज्ञान के क्षेत्र में सहयोग के लिए भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई), खान मंत्रालय, भारतीय गणराज्य की सरकार और फ्लोरिडा इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी (एफआईयू) के पृथ्वी एवं पर्यावरण विभाग, कला, विज्ञान एवं शिक्षा कॉलेज, संयुक्त राज्य अमेरिका की ओर से उसके न्यासी बोर्डके बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने को अपनी मंजूरी दे दी है।

इस समझौता ज्ञापन के दोनों प्रतिभागियों के बीच सहयोग केनिम्नलिखित चिन्हित क्षेत्र होंगे:

अ.भारत-एशिया के कोलिजनल मार्जिन में पोस्ट कोलिजन मैग्मैटिज्म के भूगर्भिक एवं विवर्तनिक पर्यावरण और पूर्वी हिमालय क्षेत्र के भूगर्भिक इतिहास और विवर्तनिकीसे जुड़े भूगर्भीय ज्ञान का विकास और उससे संबंधित शोध।

ब. पोस्ट कोलिजनल मैग्मैटिक क्षेत्र (लद्दाख के वितलीय शैलों) के विकास से संबंधित क्षेत्रीय भूवैज्ञानिक, भू-रासायनिक, शैल विज्ञानसंबंधी और बहु-समस्थानिक अध्ययनों के क्षेत्र में सहकारी परियोजनाओं को विकसित करना।

द. प्रौद्योगिकी एवं भूवैज्ञानिक आंकड़ोंसे संबंधित सूचनाओं का आदान-प्रदान।

स. दोनों पक्षों द्वारा तय किए जाने वाले पारस्परिक हित के अन्य क्षेत्र।

 

लाभ:

यह समझौता ज्ञापन भूविज्ञान के क्षेत्र में सहयोग से संबंधित भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) और फ्लोरिडा इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी (एफआईयू) के बीच एक संस्थागत तंत्र प्रदान करेगा।

उद्देश्य:

इस समझौता ज्ञापन का उद्देश्य विशेष रूप से भारत-एशिया के कोलिजन मार्जिन में पोस्ट-कोलिजनल मैग्मैटिज्म के निर्माण तथाउसके विस्थापन से जुड़े भूगर्भिक और विवर्तनिक वातावरण को समझना और आम तौर पर महाद्वीपीय टकराव वाले क्षेत्रों में पोस्ट-कोलिज़नल मैग्मा की उत्पत्ति का एक खाका (मॉडल) तैयार करनाऔर पूर्वी हिमालय क्षेत्र के भूगर्भिक इतिहास और विवर्तनिकी का निर्माण करना है।

इसमें प्रौद्योगिकी एवं भूवैज्ञानिक आंकड़ों से संबंधित सूचनाओंका आदान-प्रदान;भारत-एशिया के कोलिजनल मार्जिन में पोस्ट-कोलिजनल मैग्मैटिज्म से जुड़े भूगर्भिक और विवर्तनिक वातावरण से संबंधितभूवैज्ञानिक ज्ञान का विकास एवंशोध; पूर्वी हिमालय क्षेत्र के भूगर्भिक इतिहास और विवर्तनिकी का निर्माण;और पोस्ट कोलिजनल मैग्मैटिक क्षेत्र (लद्दाख के वितलीय शैलों) के विकास से संबंधित क्षेत्रीय भूवैज्ञानिक, भू-रासायनिक, शैल विज्ञानसंबंधी और बहु-समस्थानिक अध्ययनों के क्षेत्र में सहकारी परियोजनाओंका विकास करने जैसी गतिविधियां शामिल होंगी।

 

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