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शरीर, आत्मा, मन एवं इंद्रियों को जोड़ने की कला है योग – वैद्य (प्रो.) दिनेश्वर प्रसाद

योग हमारे हिन्दुस्तान को एक बार पुनः विश्व गुरु बनाने की ताकत रखता है – एस के मालवीय

त्रिलोकी  नाथ प्र्सस्द –सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार के पटना स्थित प्रेस इनफार्मेशन ब्यूरो (पीआईबी) तथा रीजनल आउटरीच ब्यूरो (आरओबी) द्वारा आज “योग: मानव जीवन का विज्ञान” विषय पर वेबिनार का आयोजन किया गया।

वेबिनार की अध्यक्षता करते हुए पत्र सूचना कार्यालय के अपर महानिदेशक एसके मालवीय ने कहा कि योग हमारे हिन्दुस्तान को एक बार पुनः विश्व गुरु बनाने की ताकत रखता है । हमें अपने इस ताकत को और अधिक मजबूत करने के लिए सॉफ्ट पावर डिप्लोमेसी अपनाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि योग को एक शिक्षा के रूप में स्थापित करने की आवश्यकता है। इसके लिए योग को सभी विश्वविद्यालयों में पाठ्यक्रम के रूप में पढ़ाया जाना चाहिए। इससे भारत के विश्व गुरु बनने की राह आसान हो जाएगी।

वेबिनार में विषय प्रवेश करते हुए पत्र सूचना कार्यालय के निदेशक दिनेश कुमार ने कहा कि जिस तरह हम अपने परिवार से भावनात्मक रूप से जुड़े होते हैं, ठीक वैसे ही सृष्टि के तमाम जीवों के साथ जुड़ना ही योग कहलाता है। योग एक जीवन पद्धति है, जो हमें जीवन जीने की कला सिखाता है। उन्होंने कहा कि अमूमन लोग योग एवं रोग को जोड़कर देखते हैं, जबकि योग इससे कहीं आगे की बात है और इसे हमें समझने की आवश्यकता है।

वेबिनार में अतिथि वक्ता के रूप में शामिल राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज एवं अस्पताल, पटना के प्राचार्य वैद्य (प्रो.) दिनेश्वर प्रसाद ने कहा कि शरीर, आत्मा, मन एवं इंद्रियों को जोड़ने की कला योग कहलाता है। उन्होंने कहा कि जब से सृष्टि है, तब से योग है। बच्चे के जन्म के साथ ही योग शुरू हो जाता है। सृष्टि के तमाम जीव योग से जुड़े हुए हैं। उन्होंने कहा कि स्वस्थ जीवन के तीन मूल अधार हैं- आहार, विहार और औषध। इनमें विहार सबसे महत्वपूर्ण है। विहार हमारी जीवन शैली, दिनचर्या और हमारी शारीरिक व मानसिक गतिविधियों से जुड़ा होता है। उन्होंने कहा कि वेदों में भी योग का जिक्र किया गया है। वेद आयुर्वेद से भी पहले का है। उन्होंने कहा कि वेद प्रकृति से जुड़ा हुआ है। पशु-पक्षी, वृक्ष आदि के नाम पर योगासनों के नाम रखे गए हैं, जो दर्शाता है कि योग सर्वत्र है। प्रकृति के सभी जीवों को आपस में जोड़ने का काम है योग। उन्होंने महिलाओं और बच्चों को योग से जोड़ने का आग्रह किया है।

वेबिनार में अतिथि वक्ता के रूप में नालंदा खुला विश्वविद्यालय, पटना के कोऑर्डिनेटर (योगा) डॉ. प्रभाकर देवराज ने कहा कि शास्त्रों में कहीं भी इस बात का जिक्र नहीं किया गया है कि योग चिकित्सा का कोई विषय है। लेकिन बदलते दौर में योग का स्वरूप भी बदल गया है। अब इसे जादू-टोना या ऋषि-महर्षि की चीज नहीं समझा जाता है। अब मेडिकल साइंस में योग का प्रवेश हो गया है। हालांकि उन्होंने कहा कि देश में योग के क्षेत्र में शोध बहुत कम हुए हैं। हमें इस दिशा में उचित कदम उठाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि आमतौर लोग स्वस्थ जीवन के लिए फिजिकल, मेंटल, सोशल और स्पिरिचुअल क्रम को अपनाते हैं, जबकि योग का मार्ग क्रम स्पिरिचुअल, सोशल, मेंटल और फिजिकल है। उन्होंने कहा कि इंसान के पांच इंद्रियों से ही मन जुड़ा रहता है। इंद्रियां मन का आधार है। हम योग के माध्यम से अपने मन को नियंत्रित कर सकते हैं। योग दर्शन एवं सांख्य दर्शन में अंतर करते हुए उन्होंने कहा कि सांख्य दर्शन के 25 तत्वों को ही योग दर्शन में स्वीकार किया गया है। योग दर्शन में 26 वां तत्व ईश्वर को स्वीकार किया गया है। सांख्य दर्शन में ईश्वर का कोई जिक्र नहीं है। योग की बारीकियों पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि जब मनुष्य का चित्त इंद्रियों के माध्यम से किसी विषय के संपर्क में आता है, तब चित्त विषय के अनुरूप आकार ले लेता है। इसे ही वृत्ति कहा जाता है। उन्होंने कहा कि इंसानों द्वारा वृत्तियोंं को रोकने में असमर्थ रहने के कारण ही 25 तत्वों में गड़बड़ी होने लगती है और इंसान अस्वस्थ रहता है। हम योग के माध्यम से अपने चित्त को नियंत्रित कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि जिसने अपने मन को साध लिया वह पेड़-पौधे, पशु-पक्षियों से आसानी से जुड़ सकता है। उनकी बातों को समझ सकता है। उन्होंने कहा कि मंत्र का मन पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है। भक्तियोग मन को दृढ़ करता है।

वेबिनार में अतिथि वक्ता के रूप में शामिल आनंद योग लाइव तथा नव मानवतावादी गुरुकुल के संस्थापक अध्यक्ष योगाचार्य अंतरण आनंद योगी ने कहा कि योग वास्तव में शरीर, मन और आत्मा की जागृति की बात करता है। उन्होंने कहा कि मन पर नियंत्रण के लिए ही योग शिक्षा के अंदर यम और नियम की परिकल्पना की गई है। उन्होंने कहा कि मन को नियंत्रित करने में भक्तियोग की भूमिका भी बेहद महत्वपूर्ण है, जिसमें संगीत एक प्रमुख अवयव होता है। उन्होंने पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से मंत्र, चक्र आदि पर विस्तारपूर्वक चर्चा की। उन्होंने कहा कि मंत्र मन को प्राण देता है। मंत्र लेजर की तरह काम करता है। मंत्र इंद्रियों को नियंत्रित करता है। मंत्र में बहुत शक्ति है। उन्होंने कहा कि योग एक साधना है जो शरीर और मन को जोड़ने का काम करता है।

वेबिनार का संचालन करते हुए पीआईबी के सहायक निदेशक संजय कुमार ने कहा कि योग के क्षेत्र में विश्व पटल पर भारत की एक अलग ही छवि है। भारत न केवल विश्व गुरु बल्कि योग गुरु बनने की दिशा में भी आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि योग हमें स्वस्थ रहना सिखाता है और जब हम स्वस्थ रहेंगे तो ही देश स्वस्थ बन सकता है। इसलिए हमें योग को अपने जीवन में शामिल करना चाहिए।

वेबिनार का सह-संचालन पवन कुमार सिन्हा, क्षेत्रीय प्रचार अधिकारी, एफओबी, छपरा ने किया। धन्यवाद ज्ञापन पीआईबी, पटना के सहायक निदेशक संजय कुमार ने किया। वेबिनार में आरओबी, पटना के निदेशक विजय कुमार, दूरदर्शन, आकाशवाणी, आरओबी-एफओबी के अधिकारी एवं कर्मचारी सहित आम-जन शामिल हुए।

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