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जिलाधिकारी, पटना की अध्यक्षता में आज एडिप योजना के अंतर्गत मूक बधिर बच्चों में कोक्लियर इम्पलांट किये जाने के संबंध में जिला स्वास्थ्य समिति की बैठक हुई।

त्रिलोकी नाथ प्रसाद / उन्होंने कहा कि इस योजना का मुख्य उद्देश्य जरूरतमंद मूक बधिर बच्चों को आधुनिक, टिकाऊ, परिष्कृत तथा वैज्ञानिक आधार पर निर्मित मानक सहायक यंत्रों एवं उपकरणों को खरीदने में सहायता प्रदान करना है ताकि वे दिव्यांगता के प्रभावों को कम करके अपने शारीरिक, सामाजिक एवं मनोवैज्ञानिक पुनर्वास में वृद्धि कर सकें। साथ ही अपनी आर्थिक क्षमता को भी बढ़ा सकें। उन्होंने कहा कि योजना के तहत दिव्यांगजन को सहायक यंत्र एवं उपकरण उनकी दिव्यांगता को सीमित करने एवं स्वतंत्र कार्य प्रणाली में सुधार के लिए दी जाती है।

जिलाधिकारी ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के अनुसार हमारे देश में प्रति 1000 बच्चे में 5 से 6 बच्चे बधिर जन्म लेते हैं। जागरूकता की कमी के कारण कुछ ही बच्चों का समुचित स्क्रीनिंग हो पाता है। उन्होंने नवजात बच्चों की स्क्रीनिंग के लिए जागरूकता बढ़ाने का निदेश दिया।

जिलाधिकारी ने कहा कि पटना जिला में यह योजना प्रारम्भ की जा रही है। दो प्रखंडों- दानापुर एवं फुलवारीशरीफ- में इस कार्यक्रम को पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर प्रारंभ किया जा रहा है। इन प्रखंडों के स्वास्थ्य, आईसीडीएस एवं शिक्षा की टीम का उन्मुखीकरण किया जाएगा। आँगनबाड़ी केन्द्रों के पोषक क्षेत्रों में बच्चों की स्वास्थ्य विभाग द्वारा स्क्रीनिंग की जाएगी। ऑडियोलोजिस्ट को रोस्टर के अनुसार दोनों पायलट प्रखंडों में तैनात किया जाएगा। राष्ट्रीय बाल सुरक्षा कार्यक्रम की टीम को स्क्रीनिंग शिविरों में सहायता प्रदान करने का निदेश दिया गया है। स्वास्थ्य संस्थानों में नवजात बच्चों की स्क्रीनिंग सुनिश्चित करने के लिए पीडियाट्रिशियन को लगाया जाएगा। सिविल सर्जन, पटना को योजनाबद्ध ढंग से इसके लिए कार्य करने का निदेश दिया गया है। साथ ही उन्हें विभिन्न विभागों के साथ समन्वय स्थापित करने का निदेश दिया गया है।

जिलाधिकारी ने कहा कि दानापुर एवं फुलवारीशरीफ प्रखंडों में इन कार्यक्रमों की सफलता का अध्ययन कर एक महीना के पश्चात इस योजना को पूरे जिला में लागू किया जाएगा ताकि मूक बधिर बच्चों को समुचित सहायता उपलब्ध हो सके। उन्होंने इस योजना के सफल क्रियान्वयन के लिए पदाधिकारियों को अंतर्विभागीय समन्वय सुनिश्चित करने का निदेश दिया। सिविल सर्जन, जिला पंचायत राज पदाधिकारी, जिला शिक्षा पदाधिकारी, जिला प्रोग्राम पदाधिकारी (आईसीडीएस), जिला जन-सम्पर्क पदाधिकारी, जिला खनन पदाधिकारी सहित सभी अस्पतालों के अधीक्षकों को ऐसे बच्चों को सरकारी योजनाओं का लाभ प्रदान करने के लिए सजग एवं तत्पर रहने का निदेश दिया गया।

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