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पत्रकारों पर हमला करने वालो की अब खैर नहीं, पत्रकार सुरक्षा कानून हुआ लागू…

देश भर में महाराष्ट्र सरकार द्वारा पत्रकारों के लिए किये गये कार्य की प्रसंसा हो रही हैं तो वहीं स्थानीय पत्रकारों ने भी महाराष्ट्र सरकार को इस एतिहासिक कदम के लिए धन्यवाद दिया हैं मामला पत्रकारों की सुरक्षा से जुडा हैं देश भर में पत्रकार सुरक्षा कानून को लेकर काफी संगठनो ने आवाज उठाई जिसके बाद महाराष्ट्र सरकार ने पहल करते हुए एक साहसी कदम उठाया हैं।राज्य महाराष्ट्र में पत्रकारों और मीडिया संस्थानों पर हमला करने वालों की अब खैर नहीं होगी।मीडिया कर्मी पर हमला गैर जमानती अपराध होगा। बजट सत्र के अंतिम दिन बिना किसी चर्चा के दोनों सदनों में इस विधेयक को मंजूर कर लिया गया।विधेयक में कानून का दुरुपयोग करने वालों के खिलाफ भी कार्यवाही का प्रावधान किया गया है।राज्य मंत्री डॉ.रणजीत पाटील ने दोनों सदनों में महाराष्ट्र पत्रकार और पत्रकारीय संस्थान (हिंसक कृत्य व संपत्ति नुकसान अथवा हानि प्रतिबंध) अधिनियम-2017 विधानसभा और विधान परिषद में रखा।विधेयक के मुताबिक,हमला करने वाले को तीन साल की सजा अथवा 50,000 रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है।हमले में हुए नुकसान या फिर पत्रकारों के इलाज का खर्च भी हमलावर से वूसल किया जाएगा।यही नहीं,कानून में इसका भी प्रावधान किया गया है कि अगर पत्रकार इसका दुरुपयोग करता है तो उस पर भी कार्रवाई होगी।अगर वह मान्यता प्राप्त पत्रकार है,तो उसकी अधिस्वीकृति भी समाप्त की जा सकेगी।दोनों सदनों में विधेयक रखते हुए राज्य मंत्री डॉ. पाटील ने कहा कि पत्रकारों पर बढ़ते हमले को रोकने में यह विधेयक महत्वपूर्ण होगा।राज्य में पत्रकारों और मीडिया संस्थानों पर हमले की बढ़ती घटनाओं के मद्देनजर इस तरह के कानून की मांग की जा रही थी।पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग 2005 से ही हो रही है।तत्कालीन गृहमंत्री आर आर पाटील ने पत्रकारों की सुरक्षा से जुड़ा कानून बनाने का वादा किया था।इसके बाद नारायण राणे के नेतृत्व में एक समिति बनाई गई थी,लेकिन सरकार कानून बनाने में सफल नहीं रही।इस तरह के कानून बनाने के लिए राज्य भर में कई बार प्रदर्शन किया गया।ड्यूटी पर रहते हुए पत्रकारों पर किसी तरह की हिंसा करने,पत्रकार अथवा मीडिया संस्थान की संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने पर यह कानून लागू होगा।इसके तहत दोषी को 3 साल की सजा 50 हजार रुपए का जुर्माना अथवा दोनों का प्रावधान किया गया है।पत्रकारों मीडिया संस्थानों के साथ स्थायी तौर पर और कांट्रैक्ट पर काम करने वाले पत्रकारों पर हमला करना गैरजमानती अपराध माना जाएगा।हमला करने वाले को पीड़ित के इलाज का खर्च और मुआवजा भी अदा करना होगा।मेडिकल खर्च व मुआवजा न देने की सूरत में इस रकम को भूमि राजस्व बकाया मान कर वसूल किया जाएगा।इस तरह के मामलों की जांच पुलिस उपाधीक्षक और उसके ऊपर स्तर का अधिकारी जांच करेगा।इस कानून का गलत उपयोग करने वालों पर भी कानूनी कार्रवाई का प्रावधान किया गया है।शिकायत झूठी साबित हुई तो शिकायतकर्ता के खिलाफ भी मामला दर्ज कर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।वहीं इस कानून के पास हो जाने पर देश भर पत्रकारों ने महाराष्ट्र सरकार की भूरी-भूरी प्रशंसा की हैं साथ ही इस कदम को मीडिया बंधुओ ने एतिहासिक कदम भी बताया हैं ।वहीं महाराष्ट्र से लेकर देश भर के पत्रकारों और मीडिया संगठनो ने इसके लिए महाराष्ट सरकार का आभार भी व्यक्त किया हैं ।

रिपोर्ट-न्यूज़ रिपोटर 

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