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*आईसीटी योजना अंतर्गत झारखंड राज्य में Extra Marks company के द्वारा 257+930 कुल 1,187 आईसीटी लैब झारखंड राज्य के सभी 24 जिलों के सरकारी विधालयो में पिछले साढ़े चार वर्षों से (257) विधालयो में एवं पिछले डेढ़ वर्षों से 930 सरकारी विधालयों में संचालित है।*

आर के पांडे/जिनमें आईसीटी उपकरणों के विधालयो में सप्लाई से ले कर उनके मेंटनेस में शुरुआती दौर से ही संबंधित कंपनी एक्स्ट्रा मार्क्स के द्वारा घोर अनियमितता बरती गई है।

*जिससे जिला शिक्षा कार्यालय से ले कर जेईपीसी रांची भी काफी अच्छी प्रकार से अवगत है, फिर भी इस कंपनी का आईसीटी लैब अधिष्टथापन प्रतिवेदन जिला से ले कर जेईपीसी रांची तक से Okay done कर पास कर दिया गया है। जो राज्य स्तर से निसंदेह जांच का विषय है।

कहीं-कहीं तो एक वर्ष से भी ऊपर हों चला है, जहा इनके द्वारा अधिष्टथापित आईसिटी लैब खराब पड़े हुऐ है, परंतु उन्हें देखने वाला कोई नहीं है, जबकि इसकी शिकायत सम्बन्धित विद्यालय के प्रभारी/प्राचार्य एवं वार्डन के द्वारा जिला शिक्षा कार्यालय को बराबर किया जाता रहा है।

*इसके बावजूद भी इनकी समस्याओ का समाधान समय पर नहीं होता। इसके विपरित इनको ही सम्बन्धित कम्पनी के राज्य प्रतिनिधि और जिला समग्र शिक्षा कार्यालय से फटकार लगाई जाती है, की आपको ही आईसीटी लैब की रख-रखाव करनी नहीं आती।*(*ज्यादातर ऐसा व्यवहार कस्तुरबा गांधी बालिका आवासीय विधालयो के वार्डन के साथ होता है।*)
*जो काफी शर्मनाक है।*
*जब विद्यालयो के प्रभारी/प्राचार्य एवं वार्डन के द्वारा तिमाही प्रगति प्रतिवेदन (QPR REPORT) में सम्बन्धित कम्पनी के द्वारा ख़राब या अभी तक उपलब्ध नहीं कराए गए आईसिटी उपकरणों के बारे में लिखा जाता है, तो उसे जिला के समग्र शिक्षा कार्यालय के एम.आई.एस. कोडिनेटर के द्वार सम्बन्धित कंपनी के जिला प्रतिनिधि के द्वारा उस प्रतिवेदन को वापस विधालय में भेज कर यह कहा जाता है,

की आप रिर्पोट में खराबा देगी तो कम्पनी आपके विद्यालय में सर्विस देना बंद कर देगी तो जिला कार्यालय को देते रहिएगा जवाब।* *परन्तु अफ़सोस जनक बात यह है, की पिछले एक वर्षों तिमाही प्रगति प्रतिवेदन इनके Okay done कर के दिए जाने के बाद भी कंपनी अपनी सेवा नियमित नहीं दे पाती फोन करने पर यहीं जवाब उधर से मिलता है, की अगले तिमाही प्रतिवेदन लेने के पहले आपके लैब की जो समस्या है, उसे ठीक कर दिया जाएगा परंतु ऐसा होता नहीं।यह अत्यंत ही गंभीर समस्या है, क्यू की इस योजना पर केंद्र एवं राज्य सरकार के द्वारा करोड़ों में राशि पानी की तरह खर्च किया जा है।

जिसकी जांच जिला स्तर से ले कर राज्य स्तर तक होनी चाहिए।

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