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पोलियो की खुराक का नहीं होता है कोई साइड इफेक्ट, अनिवार्य रूप से बच्चों को पिलाएं : डीआईओ।।..

– जिले में 3 मार्च तक चलाया जायेगा पल्स पोलियो अभियान, उसके बाद चलेगा मॉपअप राउंड

– पोलियो बच्चें के किसी भी अंग को जिन्दगी भर के लिये कमजोर कर देती है

गुड्डू कुमार सिंह | जिले में पांच वर्ष तक के बच्चों को पोलियो से बचाने के लिए पांच दिवसीय पल्स पोलियो अभियान चलाया जा रहा है। जिसको लेकर अभी प्रखंडों में आशा कर्मियों को जिम्मेदारी दी गई है। ताकि, समय पर सभी बच्चों को पोलियो की संभावना से सुरक्षित किया जा सके। वहीं, बदलते मौसम के कारण कई बच्चों की तबियत बिगड़ रही है। जिसको लेकर बच्चों के माता-पिता व अभिभावक पोलियो की खुराक दिलाने से कतरा रहे हैं। उन्हें डर है कि सर्दी-बुखार में पोलियो की खुराक पिलाने से उनके बच्चे को कोई नुकसान तो नहीं होगा। लेकिन, उन्हें समझना होगा की पोलियो ना पिलाना उनके बच्चे को स्थायी रूप से अपंग बना सकता है। बल्कि विकसित स्टेज पर मौत का कारण भी बन सकता है। पोलियो की दवा पिलाने से आपके बच्चे का जीवन बच सकता है। पोलियो की खुराक केवल दवा समझकर नहीं बल्कि दो बूंद जिंदगी की समझकर पिलाएं।

पोलियो की खुराक को लेकर चिंता न करें अभिभावक :

जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. राज किशोर सिंह ने बताया, अगर बच्चे को बुखार है तो पोलियो की खुराक देने से मना किया जाता है। बुखार से पीड़ित बच्चों के माता-पिता उसके ठीक होने के बाद पोलियो की खुराक दिला सकते है। उसके अलावा सर्दी खांसी या दस्त है तो भी उसे अवश्य यह दवाई पिलाएं। उन्होंने बताया, पोलियो की खुराक को लेकर अभिभावकों में असमंजस की स्थिति होती है। लेकिन, उन्हें पोलियो की खुराक को लेकर कोई चिंता नहीं होनी चाहिए। बच्चे के जन्म पर, छठे, दसवें व चौदहवें सप्ताह में पोलियो टीकाकरण करवाना चाहिए और 16 से 24 महीने की आयु में बूस्टर डोज दिया जाना अनिवार्य है। इसके अलावा जब भी आपके आसपास पोलियो कैंप लगे अपने पांच साल से छोटे बच्चों को यह दवाई अवश्य पिलानी चाहिए। 

पोलियो से बचाव ही इसका एक मात्र उपाय :

पोलियो एक संक्रामक रोग है जो पोलियो विषाणु से मुख्यतः छोटे बच्चों में होता है। यह बीमारी बच्चें के किसी भी अंग को जिन्दगी भर के लिये कमजोर कर देती है। पोलियो लाईलाज है क्योंकि इसका लकवापन ठीक नहीं हो सकता है बचाव ही इस बीमारी का एक मात्र उपाय है। मल पदार्थ में पोलिया का वायरस जाता है। ज्यादातर वायरस युक्त भोजन के सेवन करने से यह रोग होता है। यह वायरस श्वास तंत्र से भी शरीर में प्रवेश कर रोग फैलाता है। पोलियो स्पाइनल कॉर्ड व मैडुला की बीमारी है। स्पाइनल कॉर्ड मनुष्य का वह हिस्सा है जो रीड की हड्डी में होता है। पोलियो मांशपेसी व हड्डी की बीमारी नहीं है। बच्चों में पोलियो विषाणु के विरूद्ध किसी प्रकार की प्रतिरोधक क्षमता नहीं होती है इसी कारण यह बच्चों में होता है।

इससे किसी भी प्रकार का कोई खतरा नहीं है :

डॉ. राज किशोर सिंह ने बताया, जिले में 3 मार्च तक पल्स पोलियो अभियान चलाया जायेगा। जिसके बाद मॉपअप राउंड भी चलाया जायेगा। जिसमें छुट्टे हुए बच्चों को दवा की खुराक दी जाएगी। उन्होंने बताया, यह खुराक एक घण्टे के नवजात शिशु को भी पिलानी जरूरी है निश्चित होकर अपने नवजात शिशु को पोलियो की खुराक दिलाएं इससे किसी भी प्रकार का कोई खतरा नहीं है। अभियान के दौरान पिलाई गई खुराके अतिरिक्त खुराकें है। नियमित टीकाकरण के साथ इनको भी बच्चों को देना अत्यन्त आवश्यक है। यदि बच्चे ने नियमित टीकाकरण के दौरान 1 या 2 दिन पहले भी दवा पी हो तो भी उसे अभियान के दौरान पोलियो ड्रॉप पिलानी चाहिए।

 

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