ब्रेकिंग न्यूज़राज्य

सुशील मोदी का बयान , टूटे सपने का दास्तान

त्रिलोकी नाथ प्रसाद ; राजद के प्रदेश प्रवक्ता चित्तरंजन गगन ने कहा है कि राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानन्द के बारे में भाजपा नेता सुशील मोदी द्वारा दिया गया बयान , उनके टूटे सपने का हीं दास्तान बयाँ करती है।

राजद प्रवक्ता ने कहा कि कभी बिहार भाजपा को अपने इशारे पर नचाने वाले और भाजपा से मुख्यमंत्री पद के स्वाभाविक दावेदार माने जाने वाले सुशील मोदी जी अब सरकार और पार्टी दोनों जगह अप्रासंगिक हो चुके हैं । उनके बयानों में भी यह छटपटाहट दिखती है। वे कभी मुख्यमंत्री बनने का सपना देखा करते थे । किंतु अब यैसा सोच भी नहीं सकते , क्योंकि उन्होंने राजद और लालू परिवार के खिलाफ साजिश और झूठी बयानबाजी के अलावा कोई भी यैसा काम नहीं किया है जिससे भाजपा और एनडीए को कोई लाभ मिले । बल्कि इनकी वजह से हीं भाजपा आज तक बिहार में कभी एक नम्बर की पार्टी नहीं बन सकी मिडिया में बने रहने के लिए अनर्गल और अमर्यादित बयान देना इनकी मजबूरी हो गई है। इसलिए नायक न सही खलनायकी में हीं वे जगह तलाश रहे हैं।
राजद प्रवक्ता ने कहा जिसका संस्कार और इतिहास हीं गद्दारी का रहा हो वह किसी के वफादारी को कैसे पचा सकता है। उन्होंने कहा कि राजद प्रदेश अध्यक्ष जगदानन्द सिंह के बारे मे कुछ कहने के पहले सुशील मोदी को यह याद कर लेना चाहिए कि सत्ता और पद के लिए जगदानन्द सिंह ने समाजवाद और सामाजिक न्याय के सिद्धांतों से कभी समझौता नहीं किया इसके लिए भले हीं उन्हें अपने लड़के के खिलाफ हीं क्यों न उतरना पड़ा हो। जबकि सुशील मोदी जी की वफादारी की परीक्षा तो उसी दिन हो गई जब भाजपा के प्रधानमंत्री पद के घोषित उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी के तुलना में नीतीश कुमार जी को पीएम मटेरियल बताया था। और आज जब जदयू वाले नीतीश जी को पीएम मटेरियल बता रही है तो सुशील मोदी जी चुप्पी साधे हुए हैं। क्यूंकि नीतीश जी से उन्हें अब कुछ मिलने की उम्मीद नहीं है।यैसे भी सुशील मोदी जी को जो संस्कार विरासत में मिला है उसका इतिहास हीं गद्दारी का रहा है। आजादी की लड़ाई में किन लोगों ने अंग्रेजी हुकूमत से माफी मांगा था वह सुशील मोदी जी जानते हैं। जेपी आन्दोलन के समय भी तत्कालीन कांग्रेस सरकार को जिन लोगों ने माफीनामा भेजा था उसमें सुशील मोदी जी का नाम भी शामिल था। हालांकि काफी दिनों तक उप मुख्यमंत्री पद पर बने रहने के कारण उन पर सत्ता की भूख इस कदर हावी हो चुका है कि इनकी निष्ठा और वफादारी न तो किसी दल के प्रति है और न किसी नेतृत्व के प्रति।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button