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राज्यस्तरीय रबी कर्मशाला-सह-प्रशिक्षण कार्यक्रम का किया गया आयोजन,,,

त्रिलोकी नाथ प्रसाद –माननीय मंत्री, कृषि विभाग, बिहार श्री कुमार सर्वजीत द्वारा आज रबी महाभियान, 2022 के अंतर्गत राज्यस्तरीय रबी कर्मशाला-सह-प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन बापू सभागार, सम्राट अशोक कन्वेंशन केन्द्र, गाँधी मैदान, पटना में किया गया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता कृषि विभाग के सचिव डाॅ॰ एन॰ सरवण कुमार द्वारा की गई।

माननीय मंत्री ने कहा कि टीम एग्रीकल्चर की भावना से कार्य करें। पंचायत से लेकर राज्य स्तर तक के सभी कृषि पदाधिकारी बापू सभागार में रबी-2022 की सफलता के लिए एक साथ विचार विमर्श के लिए एकत्रित हुए हैं। इससे पहले वर्ष 2011 में श्री विधि से धान की खेती के लिए महाभियान की शुरूआत श्री कृष्ण मेमोरियल हाॅल से की गयी थी और इसमें सभी स्तर के पदाधिकारी एक साथ उपस्थित थे। इस तरह से आज का दिन राज्य में कृषि के विकास के लिए एक बार पुनः संकल्प लेने का अविस्मरणीय अवसर है। सचिव, कृषि विभाग के द्वारा ”टीम एग्रीकल्चर“ की भावना से कार्य करने का आपको निदेश दिया गया है। कृषि विभाग में शष्य, उद्यान, पौधा संरक्षण, रसायन इत्यादि कोटि के विशेषज्ञ पदाधिकारी कार्य कर रहे हैं। सभी कोटि के पदाधिकारियों एवं कर्मियों को एकसाथ मिलकर टीम भावना से किसानों की समस्याओं को सुनने और समाधान करने की आवश्यकता है। आज का यह आयोजन इस ”टीम एग्रीकल्चर“ की भावना को मजबूत करेगा और यह मजबूती किसानों के लिए बहुत आवश्यक है।

उन्होंने कहा कि किसानों के साथ हमेशा खड़ा दिखें, उनकी समस्याओं का समाधान करें और छोटे तथा सीमान्त किसानों के घर तक जाकर उनकी समस्याओं का निदान करें। रबी-2022 को शुरू करने के साथ ही, इस बात का भी ध्यान रखना होगा कि राज्य के किसानों को खरीफ मौसम में काफी कठिनाई हुई है। जुलाई महीना में सामान्य से 60 प्रतिशत कम और अगस्त महीना में सामान्य से 37 प्रतिशत कम वर्षा हुई है। इसका सीधा असर धान की खेती पर पड़ा है। 35 लाख हेक्टेयर में धान की खेती के लक्ष्य के विरूद्ध मात्र 30.72 लाख हेक्टेयर में धान की खेती कर पाये हैं, जिन किसानों के द्वारा धान की रोपनी कर ली भी गयी तो उन्हें फसल को बचाने के लिए कई बार डीजल से सिंचाई की जरूरत पड़ रही है। किसानों की सहायता के लिए राज्य सरकार द्वारा डीजल पर अनुदान दिया जा रहा है। हम माननीय मुख्यमंत्री जी के प्रति आभारी हैं कि उन्होंने किसानों के हित को ध्यान में रखते हुये राज्य की आकस्मिकता निधि से राशि की स्वीकृति दी है। कृषि विभाग का दायित्व है कि सभी किसानों तक डीजल अनुदान का लाभ पहुँचाया जाये। पंचायत स्तर पर कई किसानों के आवेदन प्रक्रियागत त्रुटियों के कारण अस्वीकृत किया गया है। यह सही नहीं है। आप अपने काम-काज के तरीके में बदलाव लायें। कृषि विभाग के प्रत्येक पदाधिकारी किसानों के साथ खड़ा दिखें। किसानों में यह एहसास हो कि कृषि विभाग के पदाधिकारी के पास आने पर समस्या का समाधान होता है। यह विश्वास जीतने की बात है। आप सभी लोग इसके लिए काम करें। जिन किसानों का डीजल अनुदान का आवेदन आपने प्रक्रियागत कारणों से अस्वीकृत किया है, उनके घर तक आप जायें, उन्हें त्रुटियों की जानकारी देकर इसका परिमार्जन उनके घर पर करें। इससे किसानों में विश्वास बढ़ेगा।

उन्होंने आगे बताया कि फसल क्षति का सर्वेक्षण समय से हो। बाढ़ एवं सूखे के कारण किसानों को खड़ी फसल की भी क्षति हुई है। इसका समय से सर्वेक्षण किया जाये, ताकि राज्य सरकार के स्तर पर किसानों की सहायता के लिए आवश्यक निर्णय तुरंत हो सके। फसल अवशेष जलाने की घटना शून्य हो, यह संकल्प लें। राज्य के कुछ जिलों में धान की कटनी के समय एक विकट समस्या विकराल रूप ले रहा है। धान के पुआल को खेत में जलाने की समस्या लगातार बढ़ रहा है। पुआल के जलाने से एक तरफ वातावरण प्रदूषित हो रहा है, तो दूसरी तरफ मिट्टी की उर्वरा-शक्ति खत्म हो रही है। यह चिन्ता की बात है। कृषि समन्वयक एवं किसान सलाहकार यह सुनिश्चित करें कि उनके पंचायत में फसल अवशेष नहीं जलाया जायेगा। फसल अवशेष प्रबंधन के लिए बनाये गये विशेष कस्टम हायरिंग सेंटर्स को हर हाल में चालू कराया जाये। जो पंचायत पहले से फसल अवशेष जलाने के लिए चिह्नित हैं, वहाँ के पदाधिकारी अपने क्षेत्र में लगातार कैम्प करें तथा जलाने की समस्या का समाधान खोजें। फसल अवशेष के वैकल्पिक उपयोग जैसे कि पशुचारा, मशरूम उत्पादन इत्यादि की जानकारी किसानों को दें। जहाँ भी कम्बाईन हार्वेस्टर चल रहा है, वहाँ पर स्ट्राॅ मैनेजमेंट सिस्टम (एस.एम.एस.) को अनिवार्य रूप से कम्बाईन हार्वेस्टर के साथ लगाया जाये। कम्बाईन हार्वेस्टर संचालकों की प्रवृत्ति होती है कि संकल्प पत्र देने के बाद भी वे एस.एम.एस. का प्रयोग नहीं करते हैं, क्योंकि इससे कटनी की गति थोड़ी कम हो जाती है। इसे दृढ़ता से लागू किया जाये।

श्री कुमार ने कहा कि जलवायु अनुकूल कृषि तकनीक को अपनाने के लिए किसानों को प्रेरित करें। जलवायु परिवर्तन के कारण किसानों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इसके लिए जरूरी है, मौसम के अनुकूल कृषि तकनीक को किसानों के बीच तेजी से फैलाया जाये। कृषि वैज्ञानिकों के देख-रेख में सभी जिला के 05 गाँव में जलवायु अनुकूल कृषि तकनीक का किसानों के खेत में प्रत्यक्षण किया जा रहा है। फसल अवशेष के बीच हैप्पी सीडर, जीरो टिलेज मशीन से रबी फसल की बुआई, ऊँचे मेड़ पर फसल की बुआई, दलहन, तेलहन, मक्का को अपनाकर फसल विविधीकरण की तकनीक को किसानों को दिखाया जा रहा है। समय से बुआई का असर फसल के उपज पर पड़ता है। जलवायु अनुकूल कृषि कार्यक्रम के अनुभव यह बताता है कि 01 से 15 नवम्बर के बीच गेहूँ की बुआई होने पर गेहूँ का उपज 47 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होता है, जबकि 11 से 18 दिसम्बर के बीच गेहूँ की बुआई से यह उपज घटकर 34 क्विंटल प्रति हेक्टेयर रह जाता है। कृषि विभाग के पदाधिकारियों का दायित्व है कि वे जलवायु अनुकूल कृषि गाँव में वैज्ञानिकों की देख-रेख में किये जा रहे कार्यों को स्वयं देखें तथा इस तकनीक को सभी किसान तक ले जायें।

माननीय मंत्री ने कहा कि फसल विविधिकरण को बढ़ावा दें। राज्य के अधिकतर क्षेत्र में धान गेहूँ आधारित फसल पद्धति को किसान अपनाते हैं। जलवायु परिवर्तन के कारण फसल पद्धति में बदलाव आवश्यक हो गया है। इसके लिए क्षेत्र विशेष के अनुसार जहाँ भी जरूरी है, वहाँ धान एवं गेहूँ के विकल्प फसल जैसे कि दलहन, तेलहन, मक्का, पोषक अनाज, सब्जी, फल की खेती को प्रोत्साहित करें। दक्षिण बिहार के जिलों में सिंचाई के पानी की कमी है। कम पानी में उगाये जाने वाले फसलों को बढ़ावा देने की जरूरत को देखते हुये फसल विविधीकरण को उच्च प्राथमिकता पर लागू किया जाये। उन्होंने कहा कि रबी फसलों का बीज समय पर किसानों के घर तक पहुँचाये। रबी अभियान की सफलता के लिए जरूरी है कि किसानों को समय पर बीज मिले और जो बीज दिया जा रहा है, वह उच्च गुणवत्ता का है। यह दोनों ही दायित्व कृषि विभाग के पदाधिकारियों की है। इस रबी मौसम में गेहूँ, चना, मसूर, मटर, राई सरसों, तीसी, जौ तथा संकर मक्का का कुल 03 लाख 07 हजार क्विंटल बीज किसानों को उपलब्ध कराया जायेगा। इसके लिए विभाग द्वारा योजना स्वीकृत की जा चुकी है। बिहार राज्य बीज निगम के द्वारा बीज आपूर्ति की सभी व्यवस्था पूरी की गयी है। किसानों से आॅनलाइन आवेदन लेना तथा आवेदन को स्वीकृत करना एवं किसानों के घर तक बीज की आपूर्ति सुनिश्चित करना प्रत्येक कृषि पदाधिकारी का महती दायित्व है। जिला कृषि पदाधिकारी इसके लिए उत्तरदायी होंगे। जो भी समन्वय आवश्यक है, उसे तत्काल पूरा किया जाय। यह ध्यान भी रखा जाय कि छोटे तथा सीमान्त किसान तक योजना का लाभ पहुँचे। इस वर्ग के किसानों के द्वारा आॅनलाइन व्यवस्था की कई सीमायें हैं। कृषि समन्वयक उन चुनौतियों को पूरा करने में किसान की मदद करें। उनके दरवाजे जाकर आॅनलाइन आवेदन करायें तथा आवेदनों की स्वीकृति तथा बीज की आपूर्ति सुनिश्चित हो।
उन्होंने कहा कि खाद सही समय पर मिले तथा सही दाम पर मिले यह शत-प्रतिशत सुनिश्चित हो। रबी अभियान की सफलता के लिए समय से तथा सही दाम पर उर्वरक उपलब्ध कराना विभाग का दायित्व है। राज्य में खाद की आपूर्ति से लेकर डीलर के दूकान में उर्वरक की उपलब्धता के प्रत्येक बिन्दु पर नियमित समीक्षा हो। जिला तथा प्रखंड स्तर पर उर्वरक निगरानी समिति की बैठक सुनिश्चित करायें। आज से कृषि समन्वयकों को एक अतिरिक्त दायित्व दिया जा रहा है। विभाग ने यह निर्णय लिया है कि कृषि समन्वयक अपने कार्य क्षेत्र के लिए उर्वरक निरीक्षक होंगे। आज से कृषि समन्वयक उर्वरक निरीक्षक के रूप में कार्य करेंगे। उर्वरक निरीक्षक के रूप में आपको उर्वरक नियंत्रण आदेश के तहत प्रदत्त सभी शक्तियाँ दी जा रही हैं। इन शक्तियों का उपयोग किसानों के हित के लिए किया जाये। खाद की आपूर्ति सुनिश्चित हो, खाद सही दाम पर मिले, यह व्यक्तिगत रूप से प्रत्येक कृषि समन्वयक की जबावदेही होगी। सीमान्त किसान तक योजना का लाभ पहुँचायें। बिहार में 91 प्रतिशत से अधिक सीमान्त किसान हैं, जिनका जोत का रकबा 01 हेक्टेयर से भी कम है। रबी अभियान में यह विशेष ध्यान रखा जाय कि अधिक-से-अधिक योजनाओं का लाभ सीमान्त किसानों तक पहुँचे। इसे कतई बर्दाश्त नहीं किया जायेगा कि योजना का लाभ सिर्फ बड़े किसानों तक सीमित रह जाये। उन्होंने कहा कि कृषि यंत्रीकरण को तत्काल लागू करें। कृषि विभाग के द्वारा कृषि यंत्रों को बढ़ावा देने के लिए 94 करोड़ रू॰ का आवंटन किया गया है। अक्टूबर-नवम्बर महीना में धान की कटनी के साथ-साथ गेहूँ की बुआई के लिए कृषि यंत्रों की जरूरत होगी। रबी महाभियान में सर्वोच्च प्राथमिकता देकर योजना प्रावधान के अनुसार किसानों से आवेदन लिया जाये तथा उन्हें समय से खरीद की स्वीकृति दी जाये। ऐसे सभी परमिट किसानों तक व्यक्तिगत रूप से पहुँचाया जाये, ताकि वे समय से कृषि यंत्र खरीद कर इसका लाभ ले सकें। नवम्बर महीना में सभी जिलों में यंत्रीकरण मेला का भी आयोजन हो। अन्य विकल्पों के साथ भी किसान मेला में कृषि यंत्र क्रय करने का विकल्प किसानों को दिया जाये। विगत वर्षों में किसानों को उपलब्ध कराये गये कृषि यंत्र की मरम्मति एवं रख-रखाव का कार्य एक अभियान चलाकर 07 नवम्बर तक सुनिश्चित करें ताकि धान की कटनी, थ्रेसिंग के अतिरिक्त गेहूँ एवं अन्य रबी फसल की बुआई के लिए इसका उपयोग हो सके। इसके लिए जो कृषि यंत्र मैकेनिक प्रशिक्षित हुए हैं, उसकी जानकारी किसानों को दी जाये। विभाग के पदाधिकारी कृषि यंत्र मैकेनिक एवं किसानों के बीच सेतु का काम करें।

उन्होंने कहा कि बिहान ऐप का अधिक-से-अधिक उपयोग करें। कृषि के विकास एवं किसानों तक कृषि संबंधी योजनाओं को पहुँचाने में डिजिटल तकनीक का प्रयोग विभाग के द्वारा किया जा रहा है यह खुशी की बात है। पंचायत स्तर तक के पदाधिकारी बिहान ऐप पर एक साथ जुड़े हुए हैं। इस वर्ष खरीफ मौसम से आपने स्वयं अपने पंचायत का विभिन्न फसलों का खेती का लक्ष्य एवं उपलब्धि अंकित किया है। पंचायतवार विभिन्न फसलों के आच्छादन के आंकड़ें उपलब्ध हैं। आपके द्वारा अंकित सूचना के आधार पर राज्य सरकार के द्वारा निर्णय लेने की शुरूआत हो चुकी है। इससे आपकी जबावदेही काफी बढ़ जाती है। यदि आप सही आंकड़ें सूचित करेंगे तो आप अपने पंचायत के किसानों की मदद कर रहे हैं। लेकिन यदि आप सही आंकड़ें सूचित नहीं कर रहे हैं, तो कहीं न कहीं आप अपने पंचायत के किसानों के हित की अनदेखी कर रहे हैं। आपकी गतिविधि आपके कार्यों की समीक्षा डिजिटल तकनीक के द्वारा बिहान ऐप के माध्यम से प्रतिदिन के आधार पर संभव हो गया है। विभाग का स्पष्ट निर्देश है कि यदि आप सही सूचना देने में किसी प्रकार से कोताही करेंगे तो आप दण्डित होंगे। कृषि विभाग में बिहान ऐप के माध्यम से सूचना आधारित निर्णय लेने के नये युग में आप अपना योगदान सुनिश्चित करें। इस रबी मौसम के लिए आपने स्वयं रबी फसलों का 40.88 लाख हेक्टेयर में खेती का लक्ष्य रखा है। इसमें गेहूँ की खेती 25.06 लाख हेक्टेयर में, मक्का 6.76 लाख हेक्टेयर में, मसूर 2.36 लाख हेक्टेयर में तथा इसी तरह अन्य फसलों का भी लक्ष्य आपने स्वयं निर्धारित किया है। जो लक्ष्य आपने स्वयं अपने लिए निर्धारित किया है, उसे शत-प्रतिशत पूरा करें और इसके लिए जरूरी होगा कि आप अनवरत किसानों के साथ मिलकर लक्ष्य की प्राप्ति के लिए कार्य करें।

माननीय मंत्री ने कहा कि जलछाजन योजनाओं के कार्यान्वयन में गुणवत्ता सुनिश्चित करें। जलछाजन योजनाओं में विगत वर्षों में भुगतान के लिए लंबित राशि का जाँच कर अविलम्ब निर्णय लें। जलछाजन कार्यों के कार्यान्वयन में जलछाजन क्षेत्र के स्थानीय लोगों को कार्यान्वयन की जिम्मेदारी दें। जिला जलछाजन क्षेत्र से बाहर की एजेंसी को जलछाजन कार्यांे के कार्यान्वयन का दायित्व नहीं दिया जाये। सात निश्चय के तहत बनाये जाने वाले 1480 चेक डैम का निर्माण कार्य वर्ष 2024-25 तक सुनिश्चित करें। पौधा संरक्षण कार्यों में किसानों को मदद करें। आलू में झुलसा, मक्का में फाॅलआर्मी वर्म, मसूर में विल्ट, चना में फाॅडबोरर इत्यादि कीट-व्याधि के कारण किसानों को काफी नुकसान होता है। इसके लिए जरूरी है कि किसानों को उचित सलाह समय पर मिले। पौधा संरक्षण से संबंधित सभी सूचनाओं को किसानों तक पहुँचाया जाये। पौधा संरक्षण से संबंधित परामर्श, समय-समय पर समाचार पत्र, रेडियो जिंगल इत्यादि के माध्यम से किसानों को उपलब्ध कराया जाये। स्वायल हेल्थ कार्ड किसानों के घर तक पहुँचाये तथा इसमें लिखे सुझावों को विस्तार से किसानों को समझाये, ताकि स्वायल हेल्थ कार्ड के अनुसार किसान उर्वरक आदि का प्रयोग कर सकें। बागवानी से संबंधित फसलों के बीज, पौध सामग्री को उचित समय पर किसानों को उपलब्ध कराया जाये। बागवानी से संबंधित पोस्ट हार्वेस्ट मैनेजमेंट के तहत कार्यान्वित किये जाने वाले मदों का शत-प्रतिशत लक्ष्य पूरा करें। हर खेत को सिंचाई का पानी के संकल्प के अधीन ड्रीप तथा स्प्रींकलर सिंचाई की सुविधा अधिक-से-अधिक किसानों तक पहुँचाया जाये।
उन्होंने कहा कि कृषि विकास की योजनाओं की जानकारी सभी किसानों तक पहुँचाने के उद्देश्य से प्रमुख स्थानों यथा ग्रामीण इलाकों के पेट्रोल पम्प इत्यादि पर बड़े-बड़े होडिग्स लगाये जाये। समय-समय पर समाचार पत्रों में विज्ञापन दिया जाये, रेडियो जिंगल तैयार किया जाये, किसान प्रशिक्षण आयोजित किये जाये। विभिन्न प्रचार-प्रसार कार्यों में ऐसी भाषा का प्रयोग हो, जो सामान्य से सामान्य किसान समझ सके। अच्छा काम करने वाले पुरस्कृत किये जाये तथा अपेक्षित कार्य नहीं करने वाले को दंडित किया जाये। सभी स्तर के कृषि पदाधिकारी को यह स्पष्ट निर्देश है कि यदि वे सरकार की प्राथमिकता के अनुसार सुचिता के साथ अपने दायित्वों का निर्वाह करेंगे तो उन्हें विभाग सम्मानित करेगा। परन्तु, जो कर्मी सरकार की प्राथमिकता को लागू करने में कोताही करेंगे उन्हें विभाग दंडित करेगा। इसके लिए आवश्यक है कि जिला स्तर से लेकर प्रखण्ड स्तर तक किसानों की शिकायत को एक स्थायी रजिस्टर में अंकित किया जाये तथा इन शिकायतों का क्या समाधान किया गया है, इसकी नियमित रूप से समीक्षा की जाये। विभाग के सभी कर्मियों को समय पर वेतन भुगतान सुनिश्चित किया जाये। संविदा कर्मियों तथा किसान सलाहकार को समय पर मानदेय का भुगतान सुनिश्चित किया जाये। सेवानिवृत्त कर्मियों का एक माह के अंदर सभी पावनाओं का भुगतान सुनिश्चित करें। विभिन्न स्तर पर रिक्त पदों पर प्राथमिकता के आधार पर नियुक्ति सुनिश्चित किया जाये। इसके लिए अभियान चलाकर आरक्षण रोस्टर का निर्बाधन के साथ-साथ नियुक्ति के लिए रिक्यूजिशन सक्षम प्राधिकार को भेज दिया जाये। किसान सलाहकार के रिक्त पद पर चयन का निर्णय लिया गया है। जिस पंचायत में भी किसान सलाहकार का पद रिक्त है, वहाँ चयन की प्रक्रिया पूरी की जाये। किसान सलाहकार के माध्यम से प्रत्येक दिन छः घंटे परामर्शी सेवा किसानों को उपलब्ध कराया जाये। शिक्षित किन्तु बेरोजगार युवाओं के लिए आकर्षक रोजगार के विकल्प का सृजन किया जाये। इसके लिए युवाओं को कृषि आधारित उद्योग की स्थापना के लिए प्रेरित किया जाये। युवाओं के बीच राज्य की औद्योगिक नीति, बिहार कृषि उद्योग प्रोत्साहन नीति के प्रावधानों की जानकारी पहुँचायी जाये। कृषि क्षेत्र में उद्यमिता के विकास के साथ-साथ किसान उत्पादक संगठन को तकनीकी एवं अन्य सहायता उपलब्ध कराया जाये। इसके फलस्वरूप कृषि क्षेत्र में व्यापक रोजगार के अवसर सृजित होंगे। इसके लिए सभी मिलकर काम करें।
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माननीय कृषि मंत्री ने कहा कि मैंने आपके लिए 20 सूत्रों पर कार्य करने का मार्गदर्शन दिया है। मुझे विश्वास है कि इन सूत्रों को आप आत्मसात करेंगे। पूरा कृषि विभाग मिलकर किसानों के साथ हर परिस्थिति में खड़ा रहेगा, यह संकल्प आज मैं आपसे चाहता हूँ। बिहार के किसान खुशहाल हों, किसानों की आमदनी बढ़े, ग्रामीण युवाओं में कृषि के प्रति आकर्षण हो, कृषि सम्मान का पेशा बने, इसके लिए पूरा कृषि परिवार एक साथ काम करेगा। बिहार के यशस्वी माननीय मुख्यमंत्री का कृषि रोड मैप के माध्यम से प्रत्येक भारतीय के थाल में बिहार का एक व्यंजन पहुँचाने का संकल्प को पूरा करने के लिए पूरा कृषि विभाग एक साथ 20 सूत्रों पर काम करने के लिए प्रतिबद्धता व्यक्त करता है।
इस कार्यक्रम में कृषि विभाग के विशेष सचिव श्री रवीन्द्रनाथ राय तथा श्री बिजय कुमार, कृषि निदेशक डाॅ॰ आदित्य प्रकाश, निदेशक उद्यान श्री नन्द किशोर, संयुक्त सचिव श्री शैलेन्द्र कुमार, अपर निदेशक (शष्य) श्री धनंजयपति त्रिपाठी, निदेशक, भूमि संरक्षण श्री बैंकटेश नारायण सिंह, निदेशक, बसोका श्री सुनील कुमार पंकज, निदेशक, बामेती, श्री आभांशु सी॰ जैन, बिहार के दोनों कृषि विश्वविद्यालयों के कृषि वैज्ञानिकगण सहित मुख्यालय/क्षेत्रीय पदाधिकारी एवं कृषि समन्वयकगण उपस्थित थे।

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