किशनगंज : सिमलबारी उच्च विद्यालय मामले को लेकर राजद नेता एमके. रिज़वी ने SDM से की मुलाकात।
किशनगंज/धर्मेन्द्र सिंह, S.D.M शहनवाज अहमद नियाजी से खगड़ा स्तिथ उनके कार्यालय कक्ष में सिमलबारी उच्च विद्यालय मामले को लेकर राजद नेता एम.के. रिज़वी उर्फ नंन्हा मुस्ताक ने मुलाकात किया। एम.के. रिज़वी उर्फ नंन्हा मुस्ताक ने SDM शाहनवाज अहमद नियाजी को बताया कि भू-माफिया के द्वारा गवर्नर के नाम से जो भूमि है उसको खरीद बिक्री करने के फिराक में लगे हुए है। SDM श्री नियाजी ने आश्वासन दिया इस पर जल्द कार्रवाई होगी। श्री रिजवी ने बताया कि उच्च विद्यालय सीमलबारी जो किशनगंज प्रखंड मुख्यालय के निकट किशनगंज बहादुरगंज मुख्य मार्ग पर स्थित है जिसकी स्थापना मेरे पिता स्वर्गीय मुन्ना मुस्ताक ने ग्रामीणों की मदद से सन 1982 में किया था लेकिन पिछली सरकारों के शिक्षा के प्रति उदासीन रवैया के कारण आज तक स्कूल का सरकारी करण नहीं हो पाया।वही वर्ष 2010 में जब मैं अपनी नौकरी छोड़ कर आया और मेरे पिता के अधिक बीमार होने के कारण कोचाधामन विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा। कुछ समय बाद जब पता चला कि विद्यालय की कुछ भूमि बिक गई है और शेष भूमि पर प्लॉटिंग करके बेचने की तैयारी हो रही है तो ग्रामीणों ने तत्कालीन अनुमंडल पदाधिकारी किशनगंज श्री खुर्शीद आलम से मिलकर रजिस्ट्री पर रोक लगवाकर भूमि को बचाने का काम किया। वर्ष 2012 में पुनः एक नई कमेटी बनाकर विद्यालय को फिर से खड़ा करने की कोशिश किया जिसमें तत्कालीन जिला शिक्षा पदाधिकारी ने शिक्षा के क्षेत्र में बदहाल किशनगंज के इस विद्यालय को भरपूर मदद किया स्वयं आकर गणतंत्र दिवस के अवसर पर ग्रामीणों को आश्वासन दिया कि विद्यालय को बिहार बोर्ड से संबद्धता दिला देंगे उनके इस आश्वासन के बाद लगभग 90 से अधिक छात्र-छात्राओं ने नामांकन कराया हम लोगों ने बिहार विद्यालय परीक्षा समिति में सभी कागजातों के साथ निरीक्षण शुल्क भी जमा किया। 2014 में 5 सदस्य जांच दल ने जांच कर रिपोर्ट बिहार बोर्ड को भेज दिया। लेकिन जब अप्रैल 2013 में जमाबंदी हेतु आवेदन दिया गया तब 2 माह बाद किशनगंज के भू-माफियाओं ने अंचल पदाधिकारी किशनगंज को मैनेज करके विद्यालय की भूमि पर जिला पदाधिकारी को पार्टी बनाकर न्यायालय में टाइटल सूट दायर कर दिया और तब से लेकर आज तक न्यायालय के चक्कर काट रहा हूं। श्री रिजवी ने बताया कि वर्ष 2016 एवं 2018 में न्यायालय ने भी घोर अन्याय करते हुए यह माना की वहां पर विद्यालय नहीं है और विद्यालय के विरुद्ध फैसला किया तब से लेकर आज तक जिला पदाधिकारी से पटना उच्च न्यायालय में अपील करने के लिए लिखित आवेदन दिए लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। यहां के सभी पार्टी के नेताओं से लगातार विद्यालय प्रबंधन समिति के सदस्यों ने मिलकर मामले की जानकारी दी लेकिन यहां के नेता भी जिला पदाधिकारी से अपने रिश्ते खराब करना नहीं चाहते। 2017 मैं तत्कालीन सांसद मौलाना असरारुल हक कासमी द्वारा 10 लाख की राशि से दो कमरे का निर्माण कार्य आवंटित हुआ लेकिन भू माफियाओं एवं अंचल पदाधिकारी के मिलीभगत के कारण आज तक निर्माण कार्य पूरा नहीं किया जा सका क्योंकि अंचल पदाधिकारी का कहना है कि वह चकबंदी को नहीं मानते जबकि मौजा सिमलबाड़ी एक् समपुष्ठ मौजा है और “राज्यपाल बिहार उच्च विद्यालय सिमलबाड़ी” के नाम से 5 एकड़ का चक खतियान बना हुआ है जिसकी अंचल अमीन द्वारा मापी का आवेदन 10 फरवरी 2021 को मैंने दिया लेकिन अंचल पदाधिकारी ने मापी कराने से साफ इनकार कर दिया यही नहीं निर्माणाधीन कार्य को आकर रोकने का भी काम किया। नीतीश सरकार में अफसरशाही है इससे बड़ी मिसाल शायद कोई और हो।