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*दिव्यांगजन खिलाड़ी आज भी हाशिए पर*

कुंज बिहारी प्रसाद जमुई:-सबका साथ सबका विकास सुनने में जितना कर्ण प्रिय लगता है इसका क्रियान्वयन उतना ही जटिल और कठिन है। दिव्यांगजन खिलाड़ियों के साथ यह पूरी तरह चरितार्थ होता है। राष्ट्रीय कानून हो या राज्य की नीति, दोनों में समावेश और बराबरी की बात कही गई है तथा स्पष्ट रूप से यह लिखा गया है कि अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर पदक जीतने वाले दिव्यांगजन खिलाड़ियों को राज्य में नौकरी में प्राथमिकता दी जाएगी। लेकिन यह आज भी सिर्फ फ़ाइल और नीति में ही है। झारखंड डिसेबल्ड क्रिकेट एसोसिएशन ने इस मुद्दे को उठाते हुए कहा कि झारखंड के अनेक दिव्यांग क्रिकेट खिलाड़ी एशिया कप सहित अनेक अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय प्रतियोगिता जीत चुके हैं। उन्होंने इस मुद्दे पर अनेक पत्र लिखकर विभाग और मंत्रियों को भी सूचित किया है और उनसे आग्रह किया है कि उनके अधिकारों को सुनिश्चित किया जाए और जो प्रावधान है उसके तहत सीधी नियुक्ति में शामिल किया जाए लेकिन अभी तक कोई नहीं हुई है।

कोविड-19 के कारण दिव्यांगजन खिलाड़ियों की स्थिति अत्यंत विकट हो चुकी है ऐसी परिस्थिति में एसोसिएशन के अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों ने राज्य के निशक्तता आयुक्त से मिलकर इस दिशा में त्वरित कार्रवाई की मांग की। उन्होंने राज्य के नीति के अनुरूप सरकार द्वारा उठाए गए अब तक के प्रयासों की भी जानकारी मांगी है। प्रतिनिधिमंडल में एशिया कप विजेता टीम के मुकेश कंचन, विपुल सेनगुप्ता और निशांत कुमार उपाध्याय शामिल थे। राज्य निशक्तता आयुक्त ने कहा कि जिस प्रकार राज्य में सम्मान खिलाड़ियों को नौकरी दी जा रही है उसी प्रकार से इन दिव्यांग खिलाड़ियों को भी सीधी नियुक्ति प्रक्रिया में शामिल करने के लिए राज्य सरकार से निवेदन करेंगे। साथ ही साथ उन्होंने बतलाया कि कई बार इस विषय में खेल निर्देशक को पत्राचार की गई है जल्द कार्रवाई करते हुए इन खिलाड़ियों को सामान्य खिलाड़ियों जैसा सुविधा दी जाएगी

 

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