किशनगंज : आंगनबाड़ी केंद्रों पर आरोग्य दिवस के दौरान किया गया टीकाकरण, शिशु मृत्यु दर से बचाव के लिए जरूरी है टीकाकरण।

5 साल तक के बच्चों को बीमारियों से सुरक्षित रखने के उद्देश्य से लगाया जाता है टीका।
आरोग्य दिवस के दौरान सभी आंगनबाड़ी केन्द्रों में दी जा रही है सामान्य जानकारियां:
- जन्म के छह माह तक सिर्फ मां का दूध पिलायें।
- छह माह के बाद बच्चों को पूरक आहार दें।
- गर्भवती होने पर आंगनबाड़ी केंद्र पर पंजीकरण करायें।
- बच्चों को खाना खिलाते समय हाथों की सफाई का ध्यान रखें।
- गर्भावस्था के दौरान पौष्टिक आहार का सेवन करें।
- गर्भवती महिलाओं को आयरन की गोली जरूरी लेनी चाहिए।
किशनगंज/धर्मेन्द्र सिंह, जिले में बुधवार के दिन सभी आंगनबाड़ी केंद्रों पर आरोग्य दिवस के दौरान बच्चों के टीकाकरण के साथ ई-संजीवनी ओपीडी सेवाऐं सफलतापूवर्क प्रदान की गयी। जिसमें बच्चों के स्वास्थ्य संबंधित जानकारियां उनके माताओं को दी गई। वहीं प्रशिक्षित एएनएम द्वारा बच्चों का टीकाकरण भी किया गया। इस अवसर पर सेविका, सहायिका द्वारा महिलाओं के स्वास्थ्य के विषय में भी कई महत्वपूर्ण जानकारियां दी गई। जिले के 242 केन्द्रों के माध्यम से दी जा रही टेलीमेडिसीन की सुविधा पर अबतक हजारों की संख्या में मरीजों द्वारा इसका लाभ उठाया जा चुका है। जिले के सभी केन्द्रों पर कूरियर के माध्यम से दवाऐं पहुँचायी जा रही हैं जिसे मरीजों को उनके आवश्यकता अनुरूप उपलब्ध करायी जा रही है। घर बैठे इलाज पा मरीजों के चेहरों पर खुशी देखी जा रही है। सरकार द्वारा घर बैठे लोगों का टेलीमेडिसीन के माध्यम से निपुण चिकित्सकों द्वारा परामर्श एवं दवा पा मरीजों को काफी राहत मिली। जिले के सभी प्रखंडों में टेलीमेडिसीन की टीम ने मरीजों का बेहतर तरीके से इलाज किया।
विशेषज्ञ चिकित्सकों द्वारा मरीज़ों को दी जा रही हैं जानकारी : डीआईओ
बहादुरगंज प्रखंड के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ निशार अहमद ने बताया कि प्रखंड सहित पूरे जिले में टेलीमेडिसीन की सुविधा सभी आरोग्य दिवस साइट्स पर एएनएम द्वारा लोगों को टेलीफोन या मोबाइल के माध्यम से दी जा रही है। इस क्रम में विशेषज्ञ चिकित्सकों से बातचीत के दौरान मरीजों के स्वास्थ्य से संबंधित जानकारी चिकित्सकों द्वारा ली जा रही हैं। इसके साथ ही उन्हें इलाज के लिए आवश्यक उपचार एवं दवा खाने के लिए परामर्श भी दिया जा रहा है। उसके बाद स्थानीय एएनएम द्वारा लाभार्थी मरीज को चिकित्सक द्वारा निर्धारित दवाइयां उपलब्ध कराई जा रही हैं। जबसे इस तरह के अभियान की शुरुआत की गई है उस समय से मरीजों को अन्य तरह की सुविधाएं मिलनी शुरू हो गयी है।
शिशु मृत्यु दर से बचाव के लिए जरूरी है टीकाकरण।
जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ देवेन्द्र कुमार ने बताया कि शिशुओं के सम्पूर्ण टीकाकरण के जरिए बच्चों को संक्रामक रोगों के विरुद्ध सुरक्षित किया जाता है। जो न केवल बच्चों को 12 जानलेवा बीमारियों से बचाता बल्कि नवजात व शिशुओं के शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता का भी विकास करता है। साथ ही, समय से बच्चों को प्रतिरक्षित करने से बच्चों में होने वाली सामान्य रोगों में भी कमी आती है। उन्होंने बताया, शिशु मृत्यु दर के प्रमुख कारणों में से अनेक ऐसी बीमारियां हैं, जिनको नियमित टीकाकरण के माध्यम से रोका जा सकता है। लेकिन इन सभी टीकों का सही समय पर दिया जाना भी महत्वपूर्ण है। ताकि, बच्चों को बीमारियों से बचाया जा सके। बच्चों में होने वाले पोलियो, टीबी, खसरा एवं रूबेला, निमोनिया, डायरिया, हैपेटाइटिस-बी, गलाघोंटू, काली खांसी, दिमागी बुखार एवं टेटनेस जैसे कई गंभीर रोगों से टीकाकरण बचाव करता एवं शिशु मृत्यु दर में काफ़ी कमी लाता है। जिले के सभी बच्चों को बीमारियों से बचाने के लिये सदर अस्पताल के साथ-साथ प्रखंड स्तर के सभी सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में टीका उपलब्ध है।
आरोग्य दिवस सप्ताह में दो दिन आंगनबाड़ी केंद्रों पर आयोजित किया जाता है :
जिले में सभी आंगनबाड़ी केन्द्रों पर सप्ताह में दो दिन बुधवार एवं शुक्रवार को आरोग्य दिवस यानि ग्रामीण स्वास्थ्य, स्वच्छता एवं पोषण दिवस मनाया जाता है। इस दौरान 5 साल तक के बच्चों को नियमित टीकाकरण सारणी के अनुसार टीका लगाया जाता है। आशा, आंगनबाड़ी एवं एएनएम के सहयोग से आरोग्य दिवस का सफ़ल संचालन किया जाता है। जिले के सभी आशा एवं एएनएम को टीकाकरण की महता पर नियमित उन्मुखीकरण भी किया जाता है। गृह आधारित नवजात देखभाल कार्यक्रम के तहत आशाएं नियमित गृह भ्रमण करती हैं। वह नवजातों की देखभाल के साथ उनके परिजनों को टीकाकरण के विषय में भी जागरूक करती हैं। कोचाधामन की सीडीपीओ नमिता घोष ने बताया आरोग्य दिवस के अवसर पर जानकारी डी गयी है कि गर्भवती माता, किशोरियों एवं बच्चों में एनीमिया की रोकथाम बहुत ज्यादा जरूरी है। गर्भवती महिलाओ को 180 दिनों तक आयरन की एक लाल गोली जरूर खानी चाहिए। वहीं 10 से 19 साल की किशोरियों को भी प्रति सप्ताह आयरन की एक नीली गोली का सेवन करना चाहिए। छह माह से पांच साल तक के बच्चों को सप्ताह में दो बार एक-एक मिलीलीटर आयरन सिरप देनी चाहिए।