किशनगंज : प्राइवेट क्लिनिक पर इलाजत यक्ष्मा मरीज का निक्षय पोर्टल पर निबंधन करना अनिवार्य।

टीबी का हर चौथा मरीज भारतीय, टीबी के मरीज़ों से आदर भाव के साथ करें व्यवहार।किशनगंज/धर्मेन्द्र सिंह, टीबी की बीमारी से भारत में प्रति वर्ष लाखों लोगों की मौत हो जाती है। मौत के कारणों के आधार पर देखा जाए तो सबसे ज्यादा लोगों की मौत का कारण बनने के मामले में टीबी 9वें नंबर पर आता है। मामले की गंभीरता देखते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय टीबी की बीमारी के उन्मूलन का प्रयास कर रही है। सरकार द्वारा इसके लिए वर्ष 2025 तक का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। सरकार हर मरीज का समुचित इलाज सुनिश्चित करने के साथ मरीजों को उचित पोषण उपलब्ध करवा रही है क्योंकि पोषण के अभाव में इस बीमारी के उन्मूलन का प्रयास बहुत कारगर नहीं होगा। इसी कारण सरकार सभी टीबी के मरीजों को इलाज के दौरान 500 रुपये प्रति माह की मदद दे रही है। वही विभाग के निर्देश के अनुसार, अब प्राइवेट क्लिनिक पर इलाजरत यक्ष्मा मरीजों का निक्षय पोर्टल पर निबंधन करना अनिवार्य कर दिया गया है। निक्षय पोर्टल पर एंट्री को लेकर डॉक्टर को भी प्रत्येक मरीज के आउटकम पर 500 रुपये मिलने का प्रावधान है। सीडीओ डॉ देवेन्द्र कुमार ने बताया कि टीबी पर प्रभावी नियंत्रण और उन्मूलन के लिए सरकार ने एक नई योजना शुरू की है। इसका उद्देश्य क्षय रोग से मुक्ति पाना है। नई योजना के तहत, सारथी के तौर पर निक्षय पोर्टल बनाया गया है। इसके माध्यम से प्रशासनिक स्तर पर ऑनलाइन निगरानी की जा रही है। पोर्टल के माध्यम से टीबी मरीजों और उनके इलाज से संबंधित सूचनाएं और इलाज से स्वास्थ्य में सुधार की जानकारियां दर्ज हो रही हैं। प्रतिदिन पोर्टल अपडेट किया जा रहा है। संचारी रोग पदाधिकारी डॉ. देवेन्द्र कुमार ने बताया कि भारत में टीबी के मरीजों की संख्या पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा है। टीबी का हर चौथा मरीज भारतीय है। इस मामले में सबसे दुखद पहलू यह है कि सभी लोगों को इलाज नहीं मिल पाता है। बड़ी संख्या में केस अनरजिस्टर्ड ही रह जाते हैं। प्रयास है कि जल्दी ही सभी रोगियों को रजिस्टर करने में और उनका इलाज करने में हमलोग सक्षम हो जायेंगे। प्राइवेट अस्पतालों से भी प्रतिवर्ष हजारों मरीज सामने आ रहे हैं। जिस को चिह्नित कर उचित परामर्श तथा दवा उपलब्ध करायी जा रही है। जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ देवेन्द्र कुमार ने बताया कि कल तक किसी को टीबी यानी क्षय रोग हो जाने की स्थिति में उसको घृणा की दृष्टि से देखा जाता था। लेकिन आज की स्थिति ठीक विपरीत है। सरकार, स्वास्थ्य विभाग एवं मीडिया के सार्थक प्रयासों से लोगों की मानसिकता में बदलाव आया है। ज़िले में टीबी के मरीज़ों की संख्या में भी लगातार कमी आ रही है। टीबी मरीजों की मृत्यु दर में भी कमी आ रही है। राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) द्वारा ग्रामीण चिकित्सकों के साथ समन्वय स्थापित कर इस अभियान को मजबूत किया जा रहा है। जिला से लेकर प्रखण्ड स्तर तक रोग मुक्त मरीज़ों के माध्यम से सामुदायिक स्तर पर बैठक कर संक्रमित रोगियों को समय से दवा खाने की सलाह दी जाती है। स्वास्थ्य विभाग के जिला कार्यक्रम प्रबंधक डॉ मुनाजिम ने कहा कि जिले को यक्ष्मा मुक्त करने में सभी एसटीएस सहित अन्य स्वास्थ्य कर्मियों की भूमिका काफ़ी सराहनीय है। टीबी मरीज़ों की खोज करना एवं उसकी जांच कराने की जिम्मेदारी एसटीएस की होती है। जब तक जांच नहीं होगी तब तक मरीज़ों को उचित समय पर दवा का वितरण नहीं किया जा सकता है। ज़िले को टीबी मुक्त बनाने के लिए शत प्रतिशत लक्ष्य को पूरा करना अनिवार्य हैं।