आस्था,भक्ति व विश्वास के बीच सेदंहा में पूरे उत्साह से मना नागपंचमी पूजा।….
सर्पदंश से पीडित लोगों को मिलता ह्रै सेदंहा में जीवनदान।...

गुड्डू कुमार सिंह /आरा,।’ विषहर्ता ‘ जीवनदाता नागछवि ,गुणवान ,शत नमन खेलावन बाबा कलियुग के भगवान बिषधर सापों के दंश से मरणसन्न ऐसे क्ई लोगों को जिनके समरण मात्र से जीवनदान मिला हो उनके लिए खेलावन बाबा सचमुच भगवान तुल्य है ,वर्त्तमान समय मे उनकी कीर्ती पूरे शाहाबाद अंचल में फैल चुकी है।सर्पदंश से पीडित लोग आते ही खेलावन बाबा के कृपा से विषमुक्त होकर पूर्व की तरह स्वस्थय हो जाते है।ऐसे में भोजपुर जीले के तरारी प्रखण्ड अन्तर्गत सेदंहा गाँव में स्थापित खेलावन बाबा ( संपहां बाबा का मंदिर लोगों के लिए आस्था ,भक्ति एंव विश्वास का केन्द्र बन गया है।जहाँ नित्य किसी न किसी सर्पदंश से पिडित व्यक्ति को नया जीवन प्राप्त होता ह्रै।पीरो अनुमंडल मुख्यालय से महज पाँच किलोमीटर व तरारी प्रखण्ड मुख्यालय से महज तीन किलोमीटर की दूरी पर नहर के किनारे प्राकृति सुरम्य वातावरण में सेदंहा गॉव से सटे स्थित है,यह अनुपम . अदभुत केन्द्र जहाँ खेलावन बाबा के बंश से जुड़ा हर एक सदस्य बिषधर सर्पों का भी विष क्षणमात्र में बाबा के स्मरण से उतार देता है।बाबा के संबंध मे सेदंहा गाँव के ही खेलावन बाबा के पुजारी बरमेश्वर तिवारी के मान्यता के अनुसार सात वर्ष की आयु में खेलावन सिहं अपने बडे भाई ललित नारायण सिंह के साथ मकई के खेत में काम करने के लिए गए थे ,इसी दौरान उन्हे एक विषधर सांप ने डंस लिया ।जब उन्होने यह बात अपने बडे भाई ललित नारायण सिहं को बतानी चाहि तो बडे भाई ने काम सें पिछा छुड़ाने की बात समझकर ध्यान नही दिया।इधर कुछ देर बाद सांप के विष ने अपना रंग दिखाना शुरू किया ,और देखते ही देखते बालक खेलावन सिंह के प्राण प्रखेरू उङ गए।इस घटना से कई दिनो तक परिवार व गाँव में कोहराम मचा रहा ,लेकिन स्थिति सामान्य हुई तो एक दिनं दिवगंत खेलावन सिंह ने अपने बडे भाई ललित नारायण कें स्वपन में आकर कहा की मेरा स्मरण करके कोई भी परिवार का सदस्य साप काटे ब्यक्ति का स्पर्श करेगा तो निश्चय ही व व्यक्ति स्फूर्तवान हो उठेगा ,इस अविश्वसनीय किन्तु पूर्णत सत्य वाक्ये के बांद साप काटे व्यक्ति का झांड फूक करने की परम्परा चल पडी।लोगो के अनुसार सैदपुर ( असनी ) का एक सैनिक सर्पदंश के कारण सदर अस्पताल आरा से मृत घोषित कर दिया गया था।लेकिन जब उसे सेदंहा लाकर झाड फूंक किया गया तो वह सैनिक महज 06 घंटे के अन्दर जीवित हो उठा।इसके बाद से यहाँ सर्पदंश से पिडित लोगों का आने का तांता लग गया ।सर्पदंश सें लुंज पुंज हुए लोग टांगकर लाये जाते है लेकिन झाङफूक के बाद अपने पैरो पर चलकर हसते लौटते है।
संप्रति यह स्थान पूरे शहाबाद क्षेत्र में ख्याति हासिल कर चुका है ।यहाँ अक्सर सर्पदंश पिडित आते रहते है।वर्तमान समय में सेदंहा गाँव से उतर ग्रामीणों के सहयोग से खेलावन बाबा का भव्य पंचमुखी मंदिर निर्मित कराया गया है।जहाँ खेलावन बाबा के एक सदस्य भुनेश्वर सिंह सर्पदंश लोगों का झाड फुक के लिए सदैव तत्पर रहते है।वैसे तो प्रत्येक दिन भक्तों का आना जाना रहता ह्रै।लेकिन सावन महिने के नागपंचमी के दिन विशेष तौर पर पुजा का आयोजन किया जाता है।इस दिन सपंहा बाबा को दूध लावा चढाने की सैकड़ों वर्षों सें परम्परा चली आ रही ह्रै।इस दिन दूर दूर से सपंहा बाबा के ख्याति को याद कर दूध लावा चढाने आते है साथ ही अपने और अपने परिजन के जीवन रक्षा की याचना करते ह्रै।आज यहाँ काफी विशाल मेला भी लगता है जहाँ दूर दराज से चलकर आए श्रद्धालू संपहा बाबा को दूध लावा चढ़ाते है।आज के दिन मंदिर कमीटी व गाँव के लोगो द्वारा मेले में गॉव की ओर से काफी सुबिधा उपलब्ध कराई जाती है।मेले के दौरान ,संरक्षक भुनेश्वर सिंह ,व्यवस्थापक पैक्स अध्यक्ष शैलेन्द्र सिंह ,प्रभारी मुखिया राघवेन्द्र सिंह उर्फ पिन्टू सिंह ,रितेश सिंह ,वार्ड सदस्य घनश्याम पाण्डेय,विक्की सिंह ,मिथलेश सिंह ,रामबाबू सिंह ,राजेन्द्र सिंह ,रामनाथ सिंह ,विनय जी ,भूषण जी ,मुखिया प्रत्याशी दिपक कमार ,गुडडू जी ,उमेश प्रसाद अरविन्द पासवान ,असगर जी ,अरूण सिंह ,उमेश चौधरी,निखिल ,मुन्ना समेत गाँव के सैकडों गणमान्य व बुर्जग व युवा पुरे दिन डटे रहे।