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मुख्यमंत्री बाल हृदय योजना बनी जीवनदायिनी, किशनगंज के 31 बच्चों को मिली नई जिंदगी

चार और मासूमों को भेजा गया पटना जांच के लिए, जरूरत पर होगा नि:शुल्क इलाज

किशनगंज,18 जून(के.स.)। धर्मेन्द्र सिंह, एक मां की सबसे बड़ी चाहत होती है—अपने बच्चे की मुस्कान। पर जब वही मुस्कान जन्म से ही हृदय रोग जैसी गंभीर बीमारी की गिरफ्त में हो, तब माता-पिता की पीड़ा शब्दों से परे होती है। ऐसी ही स्थिति में किशनगंज जिले के दर्जनों मासूमों के लिए मुख्यमंत्री बाल हृदय योजना एक उम्मीद की किरण बनकर सामने आई है।

सरकार द्वारा संचालित इस योजना के तहत जिले के 31 बच्चों का अब तक नि:शुल्क हृदय ऑपरेशन हो चुका है। इनमें से 25 बच्चों का ऑपरेशन श्री सत्य साईं हॉस्पिटल, अहमदाबाद में और 6 बच्चों का इंदिरा गांधी हृदय रोग संस्थान (IGIC), पटना में डिवाइस क्लोजर किया गया है।

चार नए बच्चों को जांच के लिए किया गया रवाना

बुधवार को जिले के चार और बच्चों को IGIC, पटना में आयोजित शिविर में जांच हेतु सदर अस्पताल, किशनगंज से रवाना किया गया। जांच के बाद आवश्यकता पड़ने पर इन बच्चों को इलाज के लिए अहमदाबाद भेजा जाएगा।

इन बच्चों में शामिल हैं:

  • नसरीन खातून (8 वर्ष), पिता – नसरन साह
  • पल्लवी कुमारी (16 माह), पिता – श्रवण कुमार
  • राजवीर सिंह (8 वर्ष), पिता – सचिन सिंह, प्रखंड – ठाकुरगंज
  • मोहित कुमार (3 वर्ष 4 माह), पिता – धीरज कुमार, प्रखंड – बहादुरगंज

सरकार उठा रही है पूरा खर्च

सिविल सर्जन डॉ. राज कुमार चौधरी ने बताया कि योजना का संचालन राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (RBSK) के माध्यम से किया जा रहा है। बच्चों की समय पर पहचान और रेफरल RBSK की टीम की सक्रियता से संभव हो पाया है।

जिलाधिकारी विशाल राज ने इस अवसर पर कहा, “यह योजना सरकार की संवेदनशीलता और सेवा भावना का प्रतीक है। मैं जिले के सभी अभिभावकों से अपील करता हूं कि अगर किसी भी बच्चे को जन्मजात हृदय रोग के लक्षण हों, तो तुरंत सदर अस्पताल या नजदीकी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से संपर्क करें। राज्य सरकार इलाज, यात्रा, रहने और खाने का पूरा खर्च वहन करती है।”

सक्रिय है आरबीएसके टीम

RBSK जिला समन्वयक पंकज कुमार शर्मा ने बताया कि 0 से 18 वर्ष तक के बच्चों की स्क्रीनिंग के दौरान जन्मजात दोष, पोषण की कमी, विकास में विलंब और दिव्यांगता से संबंधित बीमारियों की पहचान की जाती है। इसके लिए टीम स्कूलों, आंगनबाड़ियों, गांवों और स्वास्थ्य केंद्रों में जाकर बच्चों की जांच करती है।

डीपीएम डॉ. मुनाजिम ने बताया कि बच्चों के इलाज के साथ-साथ उनके अभिभावकों के आने-जाने, रहने और इलाज के बाद फॉलोअप तक की पूरी व्यवस्था राज्य स्वास्थ्य समिति द्वारा की जाती है।

आम जनता से अपील

यदि आपका बच्चा या आसपास कोई बच्चा सांस लेने में कठिनाई, बार-बार थक जाना या जन्मजात हृदय दोष से पीड़ित है, तो मुख्यमंत्री बाल हृदय योजना के तहत उसका नि:शुल्क इलाज संभव है। समय पर संपर्क कर हम मिलकर एक मासूम को नया जीवन दे सकते हैं।

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