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किशनगंज : चार दिनों तक सदर अस्पताल के विभिन्न विभागों की गहनतापूर्वक की गयी जांच।

राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानक कार्यक्रम :

इन मानकों पर तय होते हैं पुरस्कार :

  • अस्पताल की आधारभूत संरचना।
  • साफ-सफाई एवं स्वच्छता।
  • जैविक कचरा निस्तारण।
  • संक्रमण रोकथाम।
  • अस्पताल की अन्य सहायक प्रणाली।
  • स्वच्छता एवं साफ़-सफाई को बढ़ावा देना।

किशनगंज/धर्मेन्द्र सिंह, देश के विभिन्न राज्यों में सामुदायिक स्तर पर सार्वजनिक अस्पतालों की विश्वसनीयता को लेकर पहले से बेहतर सुख सुविधाएं उपलब्ध कराने के उद्देश्य से भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानक (NQAS) कार्यक्रम की शुरुआत की गई हैं। अस्पताल के आंतरिक एवं बाह्य मूल्यांकन के लिए टीम द्वारा विभिन्न पहलुओं जैसे-संक्रमण नियंत्रण अभ्यास, रोगी देखभाल, रोगी प्रतिक्रिया, नैदानिक सेवाएं, गुणवत्ता प्रबंधन और कई अन्य बिंदुओं पर अस्पताल के 13 विभागों का मूल्यांकन किया जाना है। ताकि बेहतरीन तरीक़े से स्वास्थ्य विभाग में प्रदर्शन किया जा सके।जिसको लेकर पटना से आई एक सदस्यीय टीम, डॉ नलिनी कांत त्रिपाठी स्वास्थ्य विशेषज्ञ के द्वारा अस्पताल का 04 दिनों तक निरीक्षण किया गया। अंतिम दिन सदर अस्पताल में सभी विभागों के नोडल पदाधिकारी एवं उपाधीक्षक के साथ बैठक किया गया जिसमे टूल्स के उपयोग पर चर्चा की गयी। इस अवसर पर 13 विभागों नोडल पदाधिकारी के अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ अनवर आलम, अस्पताल प्रबंधक जुल्ले अशरफ, केयर के डॉ सनोज कुमार यादव सहित कई अन्य स्वास्थ्य कर्मी उपस्थित थे। स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ नलिनी कांत त्रिपाठी स्वास्थ्य विशेषज्ञ ने सदर अस्पताल के निरीक्षण के बाद बताया की स्थानीय अस्पताल में ब्लड बैंक, ओपीडी, प्रसव कक्ष, दवा भंडारण, इमरजेंसी सेवा, जेनरल ऑपरेशन थिएटर, रेडियोलॉजी, अंतर विभाग (आईपीडी), सामान्य प्रशासन एवं एक्जेलरी सहित कई अन्य विभागों की बारीकी से गहनतापूर्वक जांच की गई। एनक्यूएएस के तहत सुविधाएं उपलब्ध होने के बाद उसका विधिवत रूप से निरीक्षण किया गया। टीम के द्वारा किये गए मूल्यांकन पर खरा उतरने वाले अस्पतालों को ही भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा गुणवत्ता प्रमाण पत्र जारी किया जाता है। हर तरह की आंतरिक एवं राज्य स्तरीय मूल्यांकन, सेवा प्रदाय ऑडिट तथा मरीज़ों को आश्वस्त करने के बाद सर्वे की प्रक्रिया की जानी है। इसके लिए सभी चिह्नित विभागों के लिए नोडल अधिकारी एवं प्रभारी नर्स का चयन किया गया है। वहीं चिह्नित विभागों के गैप असेसमेंट के आधार पर निकाले गए गैप को एक्शन प्लान के अनुसार 31 मार्च तक भरा जाना है। सिविल सर्जन डॉ कौशल किशोर ने बताया कि स्वास्थ्य विशेषज्ञ की देखरेख में अस्पताल का भ्रमण कर सभी 13 विभागों का निरीक्षण किया गया। सभी विभाग को ही मानकों पर खड़ा उतरने के लिए सुधार एवं सुसज्जित तरीक़े से सुव्यवस्थित करने के लिए स्थानीय उपाधीक्षक एवं अस्पताल प्रबंधक को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए गए हैं। समय से सुधार एवं सुख सुविधाएं उपलब्ध कराने को लेकर हर तरह के सहयोग देने का आश्वासन दिया गया है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत अस्पतालों में उत्कृष्ट स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने एवं मरीजों को बेहतर उपचार के बाद सलाह देने के लिए स्वास्थ्य कर्मियों के नियमित रूप से प्रशिक्षण देने का कार्य शुरू कर दिया गया है। उपाधीक्षक डॉ अनवर आलम ने बताया की ओपीडी, आईपीडी, जांच केंद्र, प्रसव कक्ष, आपातकालीन सेवा, रेडियोलाॅजी विभाग, फार्मेसी व दवा स्टोर, जनरल एडमिन, ऑपरेशन थियेटर एवं एनबीएसयू जैसे मानकों के आधार पर मूल्यांकन किया जाना है। जिसके लिए तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। यूनिसेफ़ के द्वारा अस्पताल के सभी स्टाफ नर्स एवं चिकित्सकों को सप्ताह में दो दिन प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसके साथ ही डॉक्यूमेंटेशन को प्रजेंट करने के लिए चयनित व्यक्ति को प्रशिक्षित किया जाना है। प्रसूति कक्ष और मैटरनिटी ऑपरेशन थियेटर में गुणवत्ता सुधार का मूल्यांकन राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानक (एनक्यूएएस) के माध्यम से किया जाना है। उसके बाद ही एनक्यूएएस पर 70% अंक प्राप्त करने वाली प्रत्येक सुविधा को लक्ष्य प्रमाणित सुविधा के रूप में प्रमाणित किया जाएगा। इसके अलावा एनक्यूएएस स्कोर के अनुसार लक्ष्य प्रमाणित सुविधाओं की ब्रांडिंग की जाएगी। 70 से 80 तक स्कोर पाने वाले अस्पताल को सिल्वर की श्रेणी में रखा जाता जबकि 81 से 90 तक स्कोर पाने वाले अस्पताल को गोल्ड की श्रेणी में रखा जाता है। वहीं 91 से 100 तक स्कोर पाने वाले अस्पताल को प्लेटिनम की श्रेणी में रखा जाता। इन सभी को श्रेणियों को प्रशस्ति पत्र व प्रोत्साहन के रूप में नकद राशि दी जाती है।

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