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भूमि संरक्षण की योजनाओं में सही आँकड़ों का संग्रहण तथा इसकी शुद्धता बहुत महत्त्वपूर्ण..- सुधाकर सिंह

त्रिलोकी नाथ प्रसाद –माननीय मंत्री, कृषि विभाग, बिहार श्री सुधाकर सिंह द्वारा आज बामेती, पटना के सभागार मेें आँकड़ा संग्रहण एवम् विश्लेषण विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला-सह- प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन किया गया। इस कार्यक्रम में कृषि विभाग के भूमि संरक्षण निदेशालय द्वारा कार्यान्वित योजनायों में सूचनाओं/आँकड़ा का संग्रहण एवं विश्लेषण पर परिचर्चा की गयी।
माननीय मंत्री ने कहा कि कृषि विभाग एक नीति-निर्धारण एवं संचालन करने वाला विभाग है। योजनाओं के लिए सही आँकड़ों का संग्रहण तथा इसकी शुद्धता बहुत महत्त्वपूर्ण है। उन्होंने बताया कि योजनाओं की सही मायने में सफलतापूर्वक कार्यान्वयन के लिए परियोजना क्षेत्र से संबंधित सामाजिक-आर्थिक पहलुओं के साथ-साथ वैज्ञानिक तरीके से प्राकृतिक संसाधनों से संबंधित सूचनाओं का संग्रहण एवं विश्लेषण भी आवश्यक है। मौलिक संग्रहित डाटा से छेड़छाड़ नहीं करना चाहिए। भूमि संरक्षण की सबसे बड़ी चुनौती बढ़ती आबादी और छोटी-छोटी जोत है। इसलिए पर्याप्त खाद्यान्न, सुरक्षित खाद्यान्न तथा उचित मूल्य पर खाद्यान्न की उपलब्धता पहली प्राथमिकता है। भूमि संरक्षण का मूल उद्देश्य भूमि में नमी बनाये रखने के लिए विभिन्न गतिविधियों का क्रियान्वयन करना है।

श्री बैंकटेश नारायण सिंह, निदेशक भूमि संरक्षण द्वारा कार्यान्वित योजनाओं की संक्षिप्त विवरणी देते हुए कर्मशाला सह प्रशिक्षण की आवश्यकता पर जानकारी दी गयी। उनके द्वारा बताया गया की वर्तमान में विभाग से सात निश्चय-2, राज्य योजना एवं प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना-जलछाजन विकास संचालित है।

श्री अभान्शु सी० जैन, निदेशक, बामेती ने कहा कि प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना-जलछाजन विकास के अंतर्गत कुल 34 परियोजनायों के लिए 1.663 लाख हे॰ रकवा का ट्रीटमेंट किया जाना है। इस कार्यक्रम में श्रीमती शशि प्रभा, बिहार मौसम सेवा केंद्र, डॉ संजय कुमार, योजना एवं सांख्यिकी विभाग, श्री अविरल पाण्डेय, ए०एन० सिन्हा इन्स्टीट्यूट ऑफ सोशल स्टडीज, श्री सेनापति, चन्द्रगुप्त इन्स्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट, ई0 आलोक कुमार सिंह, उप निदेशक, डॉ० चंचला प्रिया, सहायक निदेशक सहित राज्य के 18 जिलों के लगभग 200 क्षेत्रीय पदाधिकारी एवं कर्मीगण उपस्थित थे।

माननीय मंत्री, कृषि विभाग, बिहार श्री सुधाकर सिंह द्वारा आज बामेती, पटना के सभागार मेें आँकड़ा संग्रहण एवम् विश्लेषण विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला-सह- प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन किया गया। इस कार्यक्रम में कृषि विभाग के भूमि संरक्षण निदेशालय द्वारा कार्यान्वित योजनायों में सूचनाओं/आँकड़ा का संग्रहण एवं विश्लेषण पर परिचर्चा की गयी।

माननीय मंत्री ने कहा कि कृषि विभाग एक नीति-निर्धारण एवं संचालन करने वाला विभाग है। योजनाओं के लिए सही आँकड़ों का संग्रहण तथा इसकी शुद्धता बहुत महत्त्वपूर्ण है। उन्होंने बताया कि योजनाओं की सही मायने में सफलतापूर्वक कार्यान्वयन के लिए परियोजना क्षेत्र से संबंधित सामाजिक-आर्थिक पहलुओं के साथ-साथ वैज्ञानिक तरीके से प्राकृतिक संसाधनों से संबंधित सूचनाओं का संग्रहण एवं विश्लेषण भी आवश्यक है। मौलिक संग्रहित डाटा से छेड़छाड़ नहीं करना चाहिए। भूमि संरक्षण की सबसे बड़ी चुनौती बढ़ती आबादी और छोटी-छोटी जोत है। इसलिए पर्याप्त खाद्यान्न, सुरक्षित खाद्यान्न तथा उचित मूल्य पर खाद्यान्न की उपलब्धता पहली प्राथमिकता है। भूमि संरक्षण का मूल उद्देश्य भूमि में नमी बनाये रखने के लिए विभिन्न गतिविधियों का क्रियान्वयन करना है।

श्री बैंकटेश नारायण सिंह, निदेशक भूमि संरक्षण द्वारा कार्यान्वित योजनाओं की संक्षिप्त विवरणी देते हुए कर्मशाला सह प्रशिक्षण की आवश्यकता पर जानकारी दी गयी। उनके द्वारा बताया गया की वर्तमान में विभाग से सात निश्चय-2, राज्य योजना एवं प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना-जलछाजन विकास संचालित है।

श्री अभान्शु सी० जैन, निदेशक, बामेती ने कहा कि प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना-जलछाजन विकास के अंतर्गत कुल 34 परियोजनायों के लिए 1.663 लाख हे॰ रकवा का ट्रीटमेंट किया जाना है। इस कार्यक्रम में श्रीमती शशि प्रभा, बिहार मौसम सेवा केंद्र, डॉ संजय कुमार, योजना एवं सांख्यिकी विभाग, श्री अविरल पाण्डेय, ए०एन० सिन्हा इन्स्टीट्यूट ऑफ सोशल स्टडीज, श्री सेनापति, चन्द्रगुप्त इन्स्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट, ई0 आलोक कुमार सिंह, उप निदेशक, डॉ० चंचला प्रिया, सहायक निदेशक सहित राज्य के 18 जिलों के लगभग 200 क्षेत्रीय पदाधिकारी एवं कर्मीगण उपस्थित थे।

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