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किशनगंज : जिले के बच्चों के लिए वरदान साबित हो रहा है बाल हृदय योजना, सुबल और निखत ने हृदय रोग को दी मात, हुआ सफल इलाज।

किशनगंज/धर्मेन्द्र सिंह, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की महत्वाकांक्षी योजनाओं में शामिल बाल हृदय योजना का लाभ राज्य के सभी बच्चों को मिल रहा है। सिविल सर्जन डॉ कौशल किशोर ने बताया की इस योजना के तहत राज्य के सभी वैसे बच्चे जिनका जन्म के समय से ही दिल में छेद होने की बीमारी मौजूद हो। ऐसे नवजात शिशुओं एवं बच्चों के लिए उक्त योजना जीवनदायिनी साबित हो रही है। खासकर यह योजना वैसे माता पिता के लिए वरदान साबित हो रहा है। जो आर्थिक रूप से तंगी के कारण हृदय में छेद के साथ जन्मे अपने बच्चों का समुचित इलाज करवाने में सक्षम नही हैं। इस योजना के कारण ही आज हृदय रोगी बच्चों की मृत्यु दर में काफी कमी आयी है। हृदय रोग से पीड़ित किशनगंज शहरी क्षेत्र के हलिम चौक वार्ड 19 के 13 वर्षीय सुबल कुमार शर्मा एवं माछमारा वार्ड न०-33 के के 14 वर्षीय निखत खातून भी बेहतर स्वास्थ्य सुविधा की बदौलत हृदय रोग को मात देने में सफल रही। वे दोनों जन्मजात हृदय रोग से पीड़ित थे। यह सबकुछ सरकार की मजबूत और बेहतर स्वास्थ्य सुविधा बदौलत ही संभव हुआ। सुबल के पिता ने बताया, जब मेरा बेटे ठीक से चल नहीं पा रहा था और ना ही ढंग से खा पा रहा था तो मैं अपनी बच्चे को जाँच के लिए पहले एक निजी क्लीनिक ले गया, वहाँ डॉक्टर ने बताया कि बेटे के दिल में छेद है। यह सुनते ही मेरे होश उड़ गये। फिर कई अन्य निजी क्लीनिकों में भी हमलोग बेटे की जाँच करवायी, सभी जगह एक ही बात बताई गई और समुचित इलाज में लाखों का खर्च बताया गया। इतना व्यापक खर्च करने में हमलोग समर्थ नहीं थे। जिसके कारण इलाज की उम्मीद ही छोड़ दिए थे। इसी दौरान अखबार के माध्यम से जानकारी मिली कि ऐसे रोग से पीड़ित बच्चे का आरबीएसके टीम द्वारा मुख्यमंत्री बाल हृदय योजना के तहत पूरी तरह निःशुल्क इलाज किया जाता है। ये जानकारी मिलते ही हमलोगों को उम्मीद की एक नई किरण मिली और मैं अपने बेटे को जाँच के लिए स्थानीय सदर अस्पताल केंद्र ले गया। वहाँ जाँच के बाद स्क्रीनिंग के लिए एम्बुलेंस से पटना भेजा गया। स्क्रीनिंग के बाद पटना से हवाई जहाज से समुचित इलाज के लिए अहमदाबाद श्री सत्य-साईं अस्पताल भेजा गया। वहाँ मेरे बच्चे का समुचित निशुल्क इलाज हुआ। वही निखत खातून के पिता ने बताया मेरे पास अपनी बच्चे का इलाज कराने के लिए पर्याप्त पैसा नहीं था। किन्तु, इस बीच आरबीएसके कार्यक्रम के अंतर्गत मुख्यमंत्री बाल हृदय योजना की जानकारी मिली। इस योजना से मेरी बच्ची का इलाज शुरू हुआ और आज मेरे बच्चे हृदय रोग को मात देकर पूरी तरह स्वस्थ है। इस दौरान मेरे बच्चे को बेहतर और समुचित स्वास्थ्य सुविधा मिली एवं आरबीएसके टीम का भी काफी सहयोग मिला। सिविल सर्जन डॉ कौशल किशोर ने बताया, हृदय रोग से पीड़ित बच्चों के स्थाई निजात के लिए समय पर इलाज शुरू कराना जरूरी है। अन्यथा, परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। उन्होंने बताया कि इस योजना के तहत हृदय में छेद जैसे जन्मजात बीमारियां, कटा होठ एवं तालु, न्यूरल ट्यूब, क्लब फुट सहित अन्य गंभीर बीमारियों के लिए प्रखंड स्तर से जिलास्तर तक स्क्रीनिंग की जाती है। जिसमें शिशु रोग विशेषज्ञ के अलावा अन्य चिकित्सक एवं अधिकारी को भी शामिल किया जाता हैं। जिन बच्चों के होठ कटे हैं, उसका 03 सप्ताह से 03 माह के अंदर, जिसके तालु में छेद (सुराग) है, उसका 06 से 18 माह एवं जिसके पैर टेढ़े-मेढ़े हैं, उसका 02 सप्ताह से 02 माह के अंदर शत-प्रतिशत सफल इलाज संभव है। स्क्रीनिंग के अलावा यात्रा से लेकर इलाज़ तक का ख़र्च सरकार द्वारा वहन किया जाता हैं। ज़िले से लगभग 50 से अधिक बच्चों को निःशुल्क इलाज़ कराकर योजना से संबंधित लाभ दिया जा चुका है।

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