कतर में दी गई भारतीय नौसेना के 8 पूर्व अफसरों को मौत की सजा
भारत सरकार ने साफ कहा कि आठों भारतीयों को जरूरी कानूनी सहायता उपलब्ध करवाई जाएगी

डेस्क, 26 अक्टूबर (के.स.)। धर्मेन्द्र सिंह, कतर की एक अदालत ने गुरुवार को भारतीय नौसेना के आठ पूर्व अधिकारियों को ऐसे आरोपों में मौत की सजा सुनाई, जो सार्वजनिक नहीं किए गए हैं। खबर के सामने आते ही भारतीय विदेश मंत्रालय भी सक्रिय हो गया।कतर में उसके अधिकारी कानूनी टीम से सलाह ले रहे हैं। जानकारी के मुताबिक 8 पूर्व अधिकारियों में कैप्टन नवतेज सिंह गिल, कैप्टन सौरभ वशिष्ठ, कमांडर पूर्णेंदु तिवारी, कैप्टन बीरेंद्र कुमार वर्मा, कमांडर सुगुनाकर पकाला, कमांडर संजीव गुप्ता, कमांडर अमित नागपाल और नाविक रागेश शामिल हैं। वो डहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजीज एंड कंसल्टेंसी सर्विसेज के लिए काम कर रहे थे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक प्रमुख भारतीय युद्धपोतों की कमान संभालने वाले सम्मानित अधिकारियों जिस कंपनी के लिए काम कर रहे थे, वो एक निजी फर्म है। वो कतर के सशस्त्र बलों को प्रशिक्षण और संबंधित सेवाएं प्रदान करती है। उसका स्वामित्व रॉयल ओमानी वायुसेना के एक सेवानिवृत्त स्क्वाड्रन लीडर के पास है। उन्हें भी आठ भारतीयों के साथ गिरफ्तार किया गया था, लेकिन नवंबर में रिहा कर दिया गया। वहीं कंपनी की वेबसाइट को हटा दिया गया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 28 अक्टूबर 2022 को मीडिया में आठों की गिरफ्तारी की खबर आई थी, जिसके बाद वेबसाइट गायब हो गई। ये कंपनी कतरी अमीरी नौसेना बल को प्रशिक्षण, रसद और रखरखाव सेवाएं प्रदान करती है। खास बात ये है कि कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर कमांडर पूर्णेंदु तिवारी (सेवानिवृत्त) को भारत और कतर के बीच द्विपक्षीय संबंधों को आगे बढ़ाने में उनकी सेवाओं के लिए 2019 में प्रवासी भारतीय सम्मान पुरस्कार मिला था। वो सशस्त्र बलों से ये पुरस्कार पाने वाले एकमात्र व्यक्ति हैं। वहीं सभी भारतीय पिछले 4-6 साल से इस कंपनी के लिए काम कर रहे थे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक आठों भारतीयों पर लगे आरोपों को सार्वजनिक नहीं किया गया है। सूत्र ये दावा कर रहे कि उनको जासूसी के झूठे मामले में फंसाया गया है। भारत सरकार ने साफ कहा कि आठों भारतीयों को जरूरी कानूनी सहायता उपलब्ध करवाई जाएगी।