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किशनगंज : लैंगिक समानता की शक्ति को उजागर करने की थीम पर  मना विश्व जनसंख्या दिवस

जागरूकता की कमी है जनसख्या नियंत्रण में बाधक:  सिविल सर्जन

परिवार नियोजन से मातृ मृत्यु दर में लायी जा सकती है कमी

किशनगंज, 11 जुलाई (के.स.)। धर्मेन्द्र सिंह, बढ़ती आबादी के प्रति आम लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से प्रत्येक वर्ष 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस मनाया जाता है। इस वर्ष विश्व जनसंख्या दिवस की थीम लैंगिक समानता की शक्ति को उजागर करना: हमारी दुनिया की अनंत संभावनाओं को उपलब्ध कराने के लिए महिलाओं और लड़कियों की आवाज को ऊपर उठाना है। इसी क्रम में परिवार मिशन अभियान के तहत मंगलवार को सदर अस्पताल सहित जिले के सभी स्वास्थ्य केन्द्रों में परिवार नियोजन मेला लगाया गया। सदर अस्पताल में मेले का उद्घाटन सिविल सर्जन डा० कौशल किशोर ने किया। मेले में कई तरह के स्टॉल लगे थे। जहां पर परिवार नियोजन को लेकर जागरूक करने से लेकर अस्थायी सामग्री तक का वितरण किया गया। सिविल सर्जन ने बताया कि वर्ष 2011 में वैश्विक जनसंख्या 7 बिलियन के आंकड़े तक पहुंच गई व 2021 में यह लगभग 7.9 बिलियन हो गई है।  2030 में इसके बढ़कर लगभग 8.5 बिलियन तक पहुंचने की उम्मीद है। सिविल सर्जन ने बताया कि मंगलवार को जिले के सभी स्वास्थ्य संस्थानों में परिवार नियोजन मेला का आयोजन किया गया। जिसके माध्यम से योग्य और सक्षम इच्छुक लाभार्थियों को जागरूक किया गया। उन्होंने बताया, 27 जून से 31 जुलाई के बीच जनसंख्या स्थिरीकरण पखवाड़ा का आयोजन किया जा रहा है। इसके पहले चरण में 27 से 10 जुलाई तक दंपति संपर्क पखवाड़ा व दूसरे चरण में 11 से 31 जुलाई तक परिवार नियोजन सेवा पखवाड़ा आयोजित किया जायेगा। इस दौरान अभियान चलाकर लाभार्थियों तक पखवाड़े के संदेश को पहूंचाया जाएगा। ताकि अधिक से अधिक लोग परिवार नियोजन के साधनों को सुविधाजनक तरीके से अपना सकें और पखवाड़े का सफल संचालन सुनिश्चित सुनिश्चित हो सके। सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डा० अनवर आलम ने बताया कि परिवार नियोजन के विषय में पुरुषों और महिलाओं को जागरूक करना आवश्यक है। इसके लिए आशा, एएनएम, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता द्वारा परिवार नियोजन के बारे में खुलकर बात करना जरूरी है। यह चर्चा है कि परिवार नियोजन का क्या अर्थ है, यह उनको तय करना है कि आपके कितने बच्चे हों, और कब हों, अगर आप बच्चे पैदा करने के लिए थोड़ी प्रतीक्षा करना चाहते हैं तो अनेक उपलब्ध साधनों में से कोई एक साधन चुन सकते हैं। इन्हीं साधनों को परिवार नियोजन के साधन, बच्चों के जन्म के बीच अंतर रखने के साधन या गर्भ निरोधक साधन कहते हैं। गर्भधारण, प्रसव तथा असुरक्षित गर्भपात की समस्याओं के कारण महिलाओं की मृत्यु तक  हो जाती हैं। इन मौतों को परिवार नियोजन के द्वारा रोका जा सकता है। जिला योजना समन्वयक विश्वजीत कुमार ने बताया कि 18 वर्ष से कम आयु की लड़कियों की प्रसव के दौरान मृत्यु की संभावना रहती है। क्योंकि उनका शरीर पूरी तरह से विकसित नहीं होता है। उनके पैदा हुए बच्चे के भी पहले वर्ष में ही मृत्यु हो जाने की आशंका रहती है। गर्भधारण से अधिक आयु की महिलाओं को ज्यादा खतरा रहता है। क्योंकि उन्हें प्राय: अन्य स्वास्थ्य समस्याएं भी होती हैं। 3 या उससे अधिक बच्चे पैदा करने वाली महिला को प्रसव के पश्चात खून बहने व अन्य कारणों से मृत्यु का अधिक जोखिम होता है। ग्रामीण क्षेत्रों में आशा, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, सेविका सहायिकाओं द्वारा  महिलाओं को परिवार नियोजन के संसाधनों यथा कॉपर टी, कंडोम, गर्भ निरोधक गोलियां, सुई आदि की जानकारियों के साथ महिलाओं को अनचाहे गर्भावस्था से रोक के उपाय की जानकारी देने की आवश्यकता है। डीपीएम (हेल्थ) डा० मुनाजिम ने बताया, इस दौरान योग्य दंम्पत्तियों एवं उनके परिवार वालों को परिवार नियोजन की सुविधा अपनाने के लिए जागरूक किया गया। साथ ही  परिवार नियोजन के साधन को अपनाने से होने वाले फायदे, सरकार द्वारा उपलब्ध कराई गई तमाम सुविधाओं की भी जानकारी दी गई। ताकि योग्य महिलाएं इस साधन को अपनाने के लिए बेहिचक आगे आ सकें। वहीं, उन्होंने कहा, छोटे और खुशहाल परिवार के लिए परिवार नियोजन को अपनाना  बेहद जरूरी है। जब आपका परिवार छोटा होगा तभी आपके पूरे परिवार की  उचित परवरिश होगी। साथ ही आप अपने बच्चे को उचित शिक्षा देने में सक्षम रहेंगे।  बच्चे की उचित रहन-सहन के साथ परवरिश होगी। इसलिए, शादी के साथ ही परिवार की संख्या की योजना तैयार करें।

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