किशनगंज : वर्तमान में बदलते खानपान व जीवनशैली की वजह से बढ़ रहे हैं डायबिटीज के मामले:-सिविल सर्जन

संतुलित खानपान व स्वस्थ जीवनशैली से बीमारी पर प्रभावी नियंत्रण संभव।
किशनगंज/धर्मेन्द्र सिंह, वर्तमान में डायबिटीज रोग तेजी से फैल रहा है। युवा और बच्चे तेजी से इस रोग के शिकार हो रहे हैं। ब्लड शुगर लेवल का अनियंत्रित होना किसी रोगी के लिए घातक साबित हो सकता है। इसलिए इससे बचाव व शुगर को नियंत्रित करने के लिए खान-पान व जीवन शैली में बदलाव को जरूरी माना जाता है। अनुशासित जीवनशैली डायबिटीज से बचाव व इसे नियंत्रित करने का सबसे महत्वपूर्ण जरिया है। अनुशासित जीवनशैली को अपना कर डायबिटीज के खतरों से बहुत हद तक बचाव संभव है। विशेषज्ञों की मानें तो डायबिटीज के प्रति लापरवाही से यह बीमारी स्नायुतंत्र, आंखें, दिमाग, किडनी व हृदय संबंधी रोगों की वजह बन सकती हैं।
मरीज की रोजमर्रा की आदतों में बदलाव कर इस बीमारी को आगे बढने से रोका जा सकता है। गुरुवार को सिविल सर्जन डॉ कौशल किशोर ने सदर अस्पताल परिसर में जानकारी देते हुए बताया कि दौड़भाग भरी जीवन शैली में लोग खाने के नियम तय करें। मधुमेह के रोगियों को कभी भी किसी भी समय का भोजन टाल कर नहीं करना चाहिए। सामान्य रूप से प्रत्येक व्यक्ति को दिन में 3-4 बार भोजन करना चाहिए। ताकि शुगर लेवल कंट्रोल रहे। इसमें किसी तरह की लापरवाही न करें।
सुबह का नाश्ता सूर्योदय के बाद जल्दी से जल्दी करना अच्छा होता है। खिचड़ी, दलिया, अंकुरित अनाज, दूध व फल आदि को नाश्ते में ले सकते हैं।डायबिटीज के मामले में भारत का विश्व में दूसरा स्थान है। सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ अनवर आलम ने बताया कि दो तिहाई डायबिटिक व्यक्ति मध्यम वर्ग, छोटे कस्बों तथा गांवों से आते हैं। जागरूकता की कमी व स्वास्थ्य संबंधी मामलों में सतर्कता के अभाव की वजह से बीमारी देर में पकड़ आती है।
बाद में इसे नियंत्रित करना मुश्किल हो जाता है। सिविल सर्जन ने कहा कि डायबिटीज के बढ़ते मामलों पर प्रभावी नियंत्रण को लेकर जिला स्वास्थ्य विभाग विशेष रणनीति के तहत जरूरी पहल कर रहा है। इसके लिये एनसीडी सेवाओं की बेहतरी पर विभाग की निगाहें टिकी हैं। सदर अस्पताल सहित विभिन्न चिकित्सा संस्थानों में हर दिन 30 साल से अधिक उम्र के लोगों की स्क्रीनिंग का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। सदर अस्पताल, सामुदायिक एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में हर दिन निर्धारित आयु वर्ग के 50 लोगों की जांच व सभी सीएचसी में 30 व सभी हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर 10 लोगों की जांच करते हुए उन्हें जरूरी चिकित्सीय परामर्श व दवा नि:शुल्क उपलब्ध कराने की रणनीति पर अमल किया जा रहा है।