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किशनगंज : बच्चों के चेहरे पर ख़ुशी बिखेर रहा मॉडल आंगनबाड़ी केंद्र।

प्ले स्कूल की तर्ज पर खुशनुमा माहौल व रोचक तरीके से शिक्षित हो रहे हैं बच्चे।किशनगंज/धर्मेन्द्र सिंह, यह सत्य है कि शिक्षा की बुनियाद सिर्फ संसाधनों की उपलब्धता से मजबूत नहीं होती है। लेकिन बात यदि बच्चों की शिक्षा की हो तो शिक्षण संस्थान में बाल सुलभ सुविधाओं की मौजूदगी बच्चों में आकर्षण पैदा करता है, जो बाद में उनकी शिक्षा की नींव तैयार करती है। आधुनिक स्कूलों के प्रति लोगों के बढ़ते रुझान ने आंगनबाड़ी केंद्र जैसे सरकारी इकाइयों के सामने चुनौतियां पेश की है। लेकिन आंगनबाड़ी केन्द्रों के आदर्श बनने की राह ने फिर से आंगनबाड़ी केन्द्रों की महत्ता एवं उपयोगिता को जीवंत किया है। आंगनबाड़ी केंद्रों को बच्चों के लिये अधिक रूचिकर व उपयोगी बनाने के उद्देश्य से जिले के सभी सात प्रखंडो में एक चिह्नित आंगनबाड़ी केंद्रों को मॉडल आंगनबाड़ी केंद्र के रूप में विकसित किया गया है। इन केंद्रों पर आधारभूत सुविधाओं को बढ़ाने के साथ इसे आधुनिक तकनीक से जोड़ा गया है। ताकि सहज अंदाज में बच्चों के शैक्षणिक कौशल का विकास संभव हो सके। मॉडल केंद्रों पर आकर्षक वॉल पेंटिंग के माध्यम से गिनती, वर्णमाला, पशु-पंक्षियों के चित्र, कार्टून्स व मापतौल के चित्रों अंकन किया गया है। ताकि बच्चे खेल-खेल में नई जानकारियां हासिल कर सकें। बच्चों को रोचक ढंग से खुशनुमा माहौल में शिक्षा उपलब्ध कराई जा रही है। आंगनबाड़ी केंद्र पर पढ़ने वाले नौनिहाल शारीरिक और मानसिक रूप से विकसित हों, इसके लिए केंद्रों को प्ले-स्कूल की तर्ज पर विकसित किया जा रहा है। मंगलवार को जिले के कोचाधामन प्रखंड के सोन्था पंचायत में संचालित मॉडल आंगनबाड़ी केंद्र संख्या 217 की सेविका इशरत जहां बताती हैं कि मॉडल आंगनबाड़ी केंद्र बनने के बाद केंद्र के प्रति बच्चों का रूझान काफी बढ़ा है। निजी प्ले-स्कूल की तर्ज पर यहां भी लाभार्थी परिवार के बच्चों को रोचक ढंग से खुशनुमा माहौल में शिक्षा उपलब्ध कराई जा रही है। भवन की दीवारों पर जहां सुंदर चित्र बनाये गये हैं वहीं साथ ही केंद्रों में स्वच्छ पेयजल, शौचालय और बागवानी आदि की भी समुचित व्यवस्था की गयी है। पहले पोषक क्षेत्र के बच्चे केंद्र आने में कोई रूचि नहीं लेते थे। लेकिन केंद्र में सुविधाओं के हुए विकास के बाद बच्चों की उपस्थिति में काफी सुधार हुआ है। केंद्र पर आने वाले बच्चे खेल-खेल में ही अपना पाठ याद करते हैं। केंद्र पर विद्युत सेवा, स्वच्छ पेयजल, शौचालय व डिजिटल स्क्रीन के माध्यम से बच्चों को जरूरी जानकारी देते हुए उनके शारीरिक व मानसिक विकास पर ध्यान दिया जाता है। जिला पोषण समन्वयक मंजूर आलम ने बताया कि मॉडल आंगनबाड़ी केंद्र छह साल से कम उम्र के बच्चों को बेहतर प्री स्कूली शिक्षा उपलब्ध कराने में कारगर साबित हो रहा है। केंद्र के माध्यम से शिशु व गर्भवती महिलाओं के टीकाकरण, स्वास्थ्य, पोषण, व प्री स्कूल से जुड़ी सेवा स्थानीय लोगों को सहजता पूर्वक उपलब्ध कराया जा रहा है। डीपीओ आईसीडीएस सुमन सिन्हा ने बताया कि मॉडल आंगनबाड़ी केंद्रों पर खेल खेल में बच्चे नई जानकारियों हासिल कर रहे हैं। फिलहाल जिले में 07 मॉडल आंगनबाड़ी केंद्र संचालित हैं। महिला पर्यवेक्षिका रूबी कुमारी ने बताया आंगनबाड़ी केंद्रों पर प्रसव पूर्व जाँच के लिए आने वाली महिलाओं को भी अब बेहतर सुविधा मुहैया करायी जा रही है। सभी मॉडल आंगनबाड़ी केंद्रों पर पर्दायुक्त पंजीकरण कॉर्नर बनाया गया है। जिससे गर्भवती महिलाओं की प्रसव पूर्व जांच में काफी सहुलियत हो रही है। वही पोठिया प्रखंड की नगर पंचायत क्षेत्र में अवस्थित मॉडल आंगनबाड़ी केंद्र संख्या 132 की सेविका रूबी कुमारी ने कहा इस मॉडल आंगनबाड़ी केंद्र पर बच्चों को बुनियादी शिक्षा की व्यवस्था की गई है। इसके लिए नवीन आधुनिक पद्धतियों को अपनाकर बच्चों को सरलतम तरीके से शिक्षा देने की पहल की गयी है। बच्चों को उनकी स्थानीय बोली और भाषा में कविता, कहानी और गीतों के माध्यम से भी सिखाया जा रहा है। सीडीपीओ जीनत यास्मिन ने बताया की मॉडल आंगनबाड़ी केंद्रों पर अर्ली चाइल्डहुड केयर एंड एजुकेशन (ईसीसीई) दिवस पर पढाई के साथ पोषण पर भी जानकारी दी जाती है। इस दौरान विभिन्न सब्जियों और फलों का प्रदर्शन भी किया जाता है। साथ ही सब्जी एवं फलों से प्राप्त होने वाले पोषण के विषय में भी जानकारी दी जाती है। इसके अलावा माताओं को विभिन्न रोगों में सब्जी या फल के सेवन के विषय में भी जागरूक किया जाता है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता अर्ली चाइल्डहुड केयर एंड एजुकेशन दिवस पर माताओं को बच्चे के 6 महीने पूरा होने क बाद अनुपूरक आहार देने की जरूरत पर भी जानकारी देती है। माताओं को खेल-खेल में बच्चों को अनुपूरक आहार खिलाने के संबंध में बताया जाता है।

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