किशनगंज : जिले के सभी स्वास्थ्य केंद्रों में एएनएम की साप्ताहिक बैठक आयोजित, दिये गए आवश्यक दिशा निर्देश।

संपूर्ण टीकाकरण ही निमोनिया से बचाव का एकमात्र तरीका, बच्चों के लिए जरूरी है न्यूमोकॉकल कॉन्जुगेट वैक्सीन।
इन लक्षणों से निमोनिया की करें पहचान :
तेज बुखार होना, खांसी के साथ हरा या भूरा गाढ़ा बलगम आना, सांस लेने में दिक्कत होना, दांत किटकिटाना, दिल की धड़कन बढ़ना, सांस की रफ्तार अधिक होना, उलटी, दस्त, भूख की कमी, होंठों का नीला पड़ना, कमजोरी या बेहोशी होना।किशनगंज/धर्मेन्द्र सिंह, भारत में प्रत्येक एक मिनट में एक बच्चा निमोनिया का शिकार होता है। देश में 2030 तक 17 लाख से अधिक बच्चों की निमोनिया संक्रमण का खतरा है। दुनिया भर में होने वाली बच्चों की मौतों में 18 फीसदी सिर्फ निमोनिया की वजह से होती है। विश्व में हर साल 5 साल से नीचे के उम्र के 20 लाख बच्चों की मौत निमोनिया से हो जाती है। मलेरिया, दस्त एवं खसरा को मिलाकर होने वाली बच्चों की होने वाली कुल मौत से अधिक निमोनिया की वजह से बच्चों की मौत हो जाती है। बच्चों को निमोनिया से सुरक्षित रखने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा सभी स्वास्थ्य केंद्रों, उपकेंद्रों व आंगनवाड़ी केंद्रों पर टीकाकरण कार्यक्रम चलाया जाता है। नियमित टीकाकरण का लाभ उठाने वाले बच्चों में निमोनिया से ग्रसित होने की सम्भावना खत्म हो जाती जिससे बच्चे स्वस्थ रह सकते हैं। इसी क्रम में जिले के सभी सामुदायिक एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी की अध्यक्षता में एएनएम् के साप्ताहिक बैठक का आयोजन किया गया जिसमे नियमित टीकाकरण एवं परिवार विकाश अभियान की सफलता पर विशेष दिशा निर्देश दिया गया। जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ देवेंद्र कुमार ने बताया कि निमोनिया दो तरह के बैक्ट्रीरिया स्ट्रेप्टोकोकस निमोनिया एवं हीमोफीलियस इंफ्लूएंजा टाइप टू से होता है। निमोनिया बच्चों के लिए सबसे बड़ी जानलेवा संक्रामक बीमारी है। बैक्टीरिया से बच्चों को होने वाले जानलेवा निमोनिया को टीकाकरण कर रोका जा सकता है। बच्चों को न्यूमोकॉकल कॉन्जुगेट वैक्सीन यानी पीसीवी का टीका दो माह, चार माह, छह माह, 12 माह और 15 माह पर लगाने होते हैं। जिला अस्पताल से लेकर, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों व उपकेंद्रों में आवश्यक टीकाकरण की सुविधा मौजूद है। गौर करे कि निमोनिया सांस से जुड़ी एक गंभीर बीमारी है। बैक्टीरिया, वायरस या फंगल की वजह से फेफड़ों में संक्रमण हो जाता है।आमतौर पर बुखार या जुकाम होने के बाद निमोनिया होता है और यह 10 दिन में ठीक हो जाता। लेकिन खासकर 5 साल से छोटे बच्चों और 60 साल से ज्यादा उम्र के लोगों में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है और इस लिए निमोनिया का असर जल्द होता। यदि किसी को निमोनिया होता है तो उसे और अन्य तरह की बीमारियां जैसे खसरा, चिकनपॉक्स, टीबी, एड्स, अस्थमा, डायबिटीज, कैंसर और दिल के रोगियों को निमोनिया होने का खतरा बढ़ जाता। सिविल सर्जन डॉ. कौशल किशोर ने बताया कि बच्चे को निमोनिया से बचाने के लिए संपूर्ण टीकाकरण जरूरी है। न्यूमोकोकल टीका (पीसीवी) निमोनिया, सेप्टिसीमिया, मैनिंजाइटिस या दिमागी बुखार आदि से बचाव करता है। इसके अलावा, डिप्थीरिया, काली खांसी और एचआईवी के इंजेक्शन भी निमोनिया से बचाव करते हैं। उन्होंने बताया कि निमोनिया को दूर रखने के लिए व्यक्तिगत साफ-सफाई जरूरी है। छींकते-खांसते समय मुंह और नाक को ढक लें। समय-समय पर बच्चे के हाथ भी जरूर धोना चाहिए। बच्चों को प्रदूषण से बचायें और सांस संबंधी समस्या न रहे इसके लिए उन्हें धूल-मिट्टी व धूम्रपान करने वाली जगहों से दूर रखें। बच्चों की रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए पर्याप्त पोषण दें। बच्चा छह महीने से कम का है, तो नियमित रूप से स्तनपान कराएं। स्तनपान प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में जरूरी है। भीड़-भाड़ वाली जगह से भी बच्चों को दूर रखें क्योंकि ऐसी जगहों पर संक्रमण फैलने का खतरा अधिक होता है।