बगहा

जो बहाना बनाकर पैसा उगाही के लिए छितौनी के बदले पनियहवा पुल का निर्माण हुआ कहीं ऐसा ही योजना तो नहीं,

जो बहाना बनाकर पैसा उगाही के लिए छितौनी के बदले पनियहवा पुल का निर्माण हुआ कहीं ऐसा ही योजना तो नहीं,
*आदि शक्ति, सिद्ध पीठ और सिद्ध के रूप में भारत के विभिन्न राज्यों के अलावे नेपाल तक ख्याति प्राप्त कर चुके शक्ति पीठ और सिद्ध पीठ माता मदनपुर वाली के नाम पर मदनपुर -पनियहवा उत्तरदायित्व हिनता का शिकार है । कभी 28B के नाम से जाना जाता था । अब यह राष्ट्रीय मार्ग727 के नाम से जाना जाता है । शक्तिपीठ और सिद्ध पीठ माता मदनपुर के नाम पर इस रास्ते का नाम मदनपुर- पनियहवा मुख्य मार्ग की लोकप्रियता आज भी कम नहीं हुआ है* ।ज्ञात हो कि माता मदनपुर वाली के नाम पर मदनपुर गांव भी है।यह रास्ता अति प्राचीन है। *चुकि यह किसी नेता, पदाधिकारी या प्रभुत्वशाली व्यक्ति के नाम पर नहीं है।अपितु सनातन धर्म के संरक्षिका आदिशक्ति माता दुर्गा के स्थानीय नाम मदनपुर के नाम पर है। इसीलिए इस रास्ते को बंद करने के फरमान जारी करने वाले वन विभाग और उसको मुख दर्शक बधिर श्रोता वाले हम चेतन हिन बने हुए हैं*।
बगहा का एक अंतरराष्ट्रीय राज्य मार्ग जो व्यक्ति विशेष के नाम पर चंद गाँवों से गुजता है। विशेष प्रचारक टीम उस पर लंबी-लंबी व्याख्या और व्याख्यान देते है और शायद देते रहेंगे। *लेकिन सनातन धर्म की संरक्षिका आदिशक्ति माता मदनपुर के नाम पर इस मार्ग का नाम मदनपुर पनियहवा है। इसलिए कई लोगों को इसके बंद हो जाने पर भी कोई आत्मग्लानि नहीं है* ।
*सबसे पहले अपने शानदार अभिव्यक्ति को लिखकर (मदनपुर पनियहवा मार्ग के संदर्भ में) समाचार संप्रेषित करने वाले जागरण टीम और उत्तर प्रदेश के कई स्थानीय समाचार पत्र के अलावे पत्रकार श्री दिवाकर जी ,श्री पंचानन सिंह जी, श्री प्रसून पुष्कर जी, श्री नवल ठाकुर जी का हार्दिक अभिनंदन करता हूं और आभार व्यक्त करता हूं* ।
उस उदाहरण से आपका ध्यान आकृष्ट करता हूं कि *भले ही मदनपुर परिणाम मुख्य मार्ग राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 727 का नाम समाज के नाम किसी नेता पदाधिकारी या किसी बड़े होहदे के नाम पर नहीं है। लेकिन यह दो बडे राज्यों के जोड़ने वाला सबसे सरल सुखद और प्रकृति की सुंदरता की अनुभूति कराने वाला यह रास्ता है। जो पूर्वांचल की राजधानी गोरखपुर और अनुसूचित जनजातियों की राजधानी हर्नाटांड़ के अलावे नेपाल और बिहार की उत्तर पश्चिम सीमावर्ती क्षेत्रों को जोड़ता है। चीन और भारत के बीच जो प्रतिद्वंदिता है। उस दृष्टि से भी इस राज्य का इस रास्ते का बड़ा ही महत्व है । उनके स्वास्थ्य और अनके उपयोग की वस्तुओं के क्रय केंद्र व एक बडा शहर गोरखपुर तक सरलता से पहुंचाने का यह सबसे अच्छा मार्ग है* । इसलिए अब हमसभी को सदैव सावधान रहकर इसके शीघ्रातिशीघ्र पक्कीकरण और सौन्दर्यीकरण पर ध्यान देना चाहिए।
*मात्र रेलवे स्टेशन के ट्रैक बदलकर छितौनी से पनियहवा कर देने से विकसित छितौनी उपेक्षा के कारण अपनी बदहाली का आंसू रोते रोते लगभग केवल नाम से जाना जाता है ।जब बगहा और छितौनी को जोड़ने के लिए पुल का निर्माण करने की बात आई तो उस समय नदी का चौड़ा धारा के तेज का बहाना बनाकर बड़े प्रोजेक्ट को पैसा बचाने के लिए छोटा कर दिया कर छितौनी से भी जंगल के बीच पनिया हवा की तरफ ले जाया गया ।इससे जंगल के बीचो बीच से गुजारा गया। कई एकड़ जमीन को नष्ट हुआ* । बगहा गंडक के बीच आ गया। लेकिन सुनने में भी आता है कि केवल छितौनी के लोगों ने एक इंजीनियर को काला कह देने से ऐसा कर दिया । इसलिए उस छितौनी को वंचित कर दिया गया। जिसका खामियाजा केवल छितौनी धनहा ठाकरा जहटा नहीं बगहा जैसे नगर व गांव के किनारों पर बसे नगर कटाव के कगार पर पहुंच चुके हैं । कई एकड जंगल जमीनोज्द हो चुके हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें । *अपने समय का ख्याति लब्ध स्टेशन छितौनी जिसके छितवन के छांव में बैकर किसी रचनाकार ने चितवन की छांव नामक शीर्षक से रचना किए। मात्र एक ट्रैक बदलने से आर्थिक सामाजिक सभी दृश्यों से छितौनी बिछड़ गया। सिसवा और खड्डा से भी बड़ा बाजार वाला छितौनी मे अब पतनशील हो गया। इसलिए मदनपुर पनियहवा मार्ग का ख्याल रखना हम सभी क्या उत्तरदायित्व है*।

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