मनरेगा में घोटाले का गढ़: किशनगंज के तुलसिया पंचायत में भ्रष्टाचार की परतें उजागर
बिना काम के मजदूरी, मृतक के नाम पर भुगतान, और कागजों में फर्जी योजनाएं — मनरेगा के नाम पर बड़ा खेल

किशनगंज,19मई(के.स.)। धर्मेन्द्र सिंह, बिहार के सीमावर्ती ज़िले किशनगंज के दिघलबैंक प्रखंड अंतर्गत तुलसिया पंचायत से मनरेगा योजना के नाम पर एक बड़ा घोटाला सामने आया है। बांसबाड़ी गांव के वार्ड नंबर 9 और 10 में ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि बिना काम कराए ही मजदूरी की रकम निकाली गई और इसका फायदा कुछ चुनिंदा लोगों ने उठाया। इस पूरे मामले की शिकायत स्थानीय ग्रामीण खालिद हुसैन अकबर ने जिलाधिकारी विशाल राज को एक आवेदन के माध्यम से दी है।
फर्जीवाड़े की बुनियाद: कागजों पर काम, जमीनी हकीकत में गड्ढे
मामले की तह में जाएं तो कई चौंकाने वाले खुलासे सामने आते हैं। गांव के ही स्वर्गीय सहा आलम की भूमि से रेलवे लाइन निर्माण के लिए पहले ही मिट्टी निकाल ली गई थी। लेकिन बाद में इसी जमीन पर मनरेगा योजना का बोर्ड लगाकर कागजों में यह दर्शाया गया कि काम मनरेगा के तहत हुआ। असलियत में वहां कोई काम नहीं किया गया।
मृतकों के नाम पर भी हुआ भुगतान
इस घोटाले की सबसे गंभीर बात यह है कि एक ऐसे व्यक्ति के नाम पर अप्रैल 2025 का काम दिखाया गया है जिसकी मृत्यु छह महीने पहले हो चुकी थी। यह इस बात की गवाही है कि पूरे सिस्टम में कैसे भ्रष्टाचार ने जड़ें जमा ली हैं।
ग्रामीणों का शपथ पत्र: “हमने काम नहीं किया”
रहमानी बेगम, तमन्ना बेगम, नीमा खातून, गुलाबी प्रवीण और सीमा प्रवीण जैसी जॉब कार्ड धारकों ने शपथ पत्र देकर स्वीकार किया है कि उन्होंने कोई श्रम नहीं किया, फिर भी उनके खातों में मजदूरी की राशि जमा हुई। यह सीधे तौर पर सरकारी धन के दुरुपयोग की ओर इशारा करता है।
वार्ड मेंबर पर आरोप: ‘300 रुपए प्रति माह’ का लालच
ग्रामीणों के मुताबिक, वार्ड मेंबर रुकसाद ने जॉब कार्ड बनवाने के एवज में लोगों को हर महीने 300 रुपए देने का वादा किया था। इसी योजना के तहत फर्जी मजदूरी निकासी की गई। इस शिकायत की प्रतियां जिलाधिकारी, पीओ दिघलबैंक, डीडीसी, राज्य सरकार एवं केंद्र सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय को भी भेजी गई हैं।
पंचायत मुखिया की सफाई
तुलसिया पंचायत के मुखिया जैद अजीज ने सफाई देते हुए कहा, “वित्तीय वर्ष में वार्ड 09 और 10 में मुखिया फंड से सिर्फ दो योजनाएं चलाई गईं। यदि किसी अन्य योजना में गड़बड़ी हुई है तो वह जांच का विषय है।”
मनरेगा पीओ का रुख
मनरेगा पीओ श्यामदेव ने कहा, “मुझे इस विषय में लिखित शिकायत प्राप्त नहीं हुई है, लेकिन मौखिक जानकारी जरूर मिली है। तकनीकी रिपोर्ट के अनुसार कार्य हुआ है और एमबी बुक भी तैयार की गई है। यदि लिखित शिकायत मिलती है, तो जांच की जाएगी।”
तथ्यों से स्पष्ट है कि मनरेगा जैसी महत्त्वपूर्ण योजना, जो ग्रामीणों को रोजगार देने के लिए बनाई गई है, वहां पर स्थानीय स्तर पर गम्भीर अनियमितताएं हुई हैं। मृतकों के नाम पर मजदूरी, बिना श्रम के भुगतान, और कागजों में झूठी योजनाएं — ये सब घोटाले की स्पष्ट तस्वीर पेश करते हैं। आवश्यकता है कि इस मामले की निष्पक्ष जांच कर दोषियों को कानून के कठघरे में खड़ा किया जाए, ताकि जनता का भरोसा सरकारी योजनाओं पर बना रहे।