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सर्टिफिकेट के अभाव मे छात्र वार काउंसिलिंग का रजिस्ट्रेशन फार्म भरने से हो रहे वंचित 

आरा गुड्डू कुमार सिंह एक तरफ सरकार रोजगरोन्मुखी शिक्षा की बात कर रही है, तथा इसके लिए नित्य नई-नई नीतियां भी बनाई जा रही है । वहीं दूसरी तरफ वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय आरा के कुलपति प्रो. देवी प्रसाद तिवारी अपने कार्यकलापों से कानून के छात्रों का कैरियर बर्बाद करने पर तुले हुए हैं । यह कहना है 2019 बैच के विधि स्नातक पास आउट छात्र तथा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद बक्सर एवं भोजपुर जिले के विभाग संयोजक दीपक यादव का । उनका कहना है कि वीकेएसयू की अंगिभूत इकाई महाराजा विधि महाविद्यालय आरा द्वारा सन् 2019 के पास आउट छात्रों को रिजल्ट तो दे दिया गया है, लेकिन उनका ट्रांसफर सर्टिफिकेट एवं आचरण प्रमाण पत्र अभी तक नहीं मिला है । ऊपर से महाविद्यालय की मान्यता भी समाप्त कर दी गई है । जिसके कारण छात्रों को ट्रांसफर सर्टिफिकेट तथा आचरण प्रमाण पत्र नहीं मिल पा रहा है, जो बार काउंसिल ऑफ बिहार में विधि स्नातक छात्रों के रजिस्ट्रेशन के लिए सबसे महत्वपूर्ण है।

सर्टिफिकेट के अभाव में छात्र बार काउंसिल का रजिस्ट्रेशन फॉर्म भरने से हो रहे वंचित

विधि स्नातक तथा एबीवीपी बक्सर एवं भोजपुर जिले के विभाग संयोजक दीपक यादव छात्र नेता दीपक यादव ने बताया कि अभी बिहार काउंसिल द्वारा रजिस्ट्रेशन प्रारंभ किया गया है, लेकिन वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय की अंगीभूत इकाई महाराजा विधि महाविद्यालय से 2019 सत्र में एलएलबी पास छात्र ट्रांसफर सर्टिफिकेट तथा आचरण प्रमाण पत्र के नहीं रहने से बार काउंसिल का रजिस्ट्रेशन फॉर्म नहीं भर पा रहे हैं । जिसकी परवाह कुलपति महोदय को तनिक भी नहीं है । जबकि इसके लिए छात्रों ने कई बार उनसे मिलकर गुहार भी लगाई है, फिर भी उनको छात्रों के कैरियर से कोई लेना देना नहीं है।अब तो स्थिति ऐसी हो गई है कि कुलपति महोदय छात्रों का फोन रिसीव करना भी मुनासिब नहीं समझते । मानो उनको छात्रों के भविष्य की कोई परवाह नहीं । वहीं छात्र रिजल्ट मिलने के बाद भी उनकी कृपा से इस वैश्विक महामारी के बीच अपने कैरियर को लेकर दर-दर की ठोकरें खाने को मजबुर हो रहे हैं।समस्या के यथाशीघ्र निदान नहीं होने पर छात्र करेंगे उग्र आंदोलनइस स्थिति को स्वयं भी झेल रहे छात्र नेता दीपक यादव ने कहा कि यदि कुलपति यथाशीघ्र छात्रों के कैरियर को लेकर इसका निदान नहीं निकालते हैं तो फिर बाध्य होकर छात्रों को उग्र आंदोलन का रास्ता अख्तियार करना पड़ेगा, जिसकी सारी जिम्मेदारी छात्रों का कैरियर बर्बाद करने पर तुले अकर्मण्य कुलपति देव प्रसाद तिवारी की होगी ।

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